छात्रों के कमरों में मैले कपड़ों का ढेर ऊँचा होता जा रहा है और SU के पदाधिकारियों एवं धोबियों के बीच तनाव अब भी बरकरार है, ऐसे में इस समस्या का हल निकालने और laundromat सेवा से वंचित छात्रों के लिए जल्द से जल्द कपड़ों की धुलाई की व्यवस्था करने का भीषण दबाव छात्रसंघ पर है। ऐसे में छात्रों के विकल्प, संस्थान एवं छात्रसंघ की पहल और मौजूदा समय की स्थिति का एक विवरण यहाँ प्रस्तुत है।
Laundromat: समस्या की शुरुआत
आप सभी को याद दिलाते हुए हम आपको यह बताना चाहेंगे कि कैम्पस में Laundromat सेवा प्रारंभ करने की पहल मौजूदा समय में छात्रसंघ अध्यक्ष पदाधिकारी साई प्रणीत ने की थी। ऑडी-डीबेट के दौरान चुनाव आयोग ने laundromat सेवा से धोबियों की आजीविका के खतरे में आने का मुद्दा उठाया था। हालांकि उस वक्त अध्यक्ष पद के उम्मीदवार प्रणीत ने अपने सुझावों से चुनाव आयोग को संतुष्ट कर दिया था, पर उस वक्त किसी ने धोबियों के वृहद स्तर पर इस सेवा के विरोध में प्रदर्शन के बारे में सोचा भी न होगा। उस समय चुनाव आयोग और ऑडीटोरियम में मौजूद छात्रों को संतुष्ट करने वाले प्रणीत शायद अपने सुझावों और बातों से धोबियों को बहलाने में असमर्थ रहे; कम से कम धोबियों की हड़ताल तो इसी तरफ ही इशारा करती है।
धोबी यूनियन की माँगें :-
छात्रसंघ अध्यक्ष साई प्रणीत ने धोबी यूनियन की माँगों की चर्चा करते हुए बताया कि laundromat धोबियों द्वारा सेवा की एक साल की अवधि समाप्त होने पर इस सेवा के पूर्ण निलम्बन के अलावा भी कुछेक बेतुकी माँगे पेश की गई थी। जहाँ मौजूदा श्रामिकि बढ़ाने की शर्त को सही ठहराते हुए इसे स्वीकार कर लिया गया तो वहीं laundromat पिक-एंड-ड्राप सेवा के निलम्बन की शर्त को छात्रों की असुविधा का कारण मानते हुए नकार दिया गया। हालांकि यूनियन इस सेवा को अपना दुश्मन बताता रहा और इसे laundromat के प्रति बढ़ते हुए छात्रों के झुकाव का कारण बताता रहा। प्रणीत ने ज्ञात करवाया कि laundromat प्रणाली केवल 500 छात्रों को ही सेवा प्रदान करती है एवं 3500 से भी अधिक छात्र अब भी कपड़ों की धुलाई के लिए धोबियों पर ही निर्भर हैं। साथ ही भविष्य में भी laundromat सेवा के विस्तार की भी कोई योजना नहीं है, ऐसे में laundromat सेवा के निलम्बन की शर्त पूर्णतया बेतुकी है।
संस्थान का रवैया :-
छात्र प्रतिनिधियों की माने तो संस्थान इस द्वंदव में किसी भी दल का पक्ष लेने को तैयार नहीं है। संस्थान के निदेशक श्री रघुरामा ने हड़बड़ी में कोई भी फैसला लेने से इंकार करते हुए दोनों पक्ष धोबी यूनियन एवं छात्रसंघ को बातचीत के ज़रिए कोई बीच का हल निकालने की सलाह दी है। आने वाले वर्षों में विश्व के कई कोनों से बिट्स में प्रवेश लेने वाले विदेशी छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए वे laundromat सेवा के निलम्बन को गलत मानते हैं पर साथ ही साथ वे बिट्स को कई वर्षों से अपनी सेवा देने वाले सैकड़ों धोबियों की आजीविका छिन जाने के भी घोर विरोध में हैं। एक तरह से निदेशक ने फैसला छात्रों के ऊपर छोड़ दिया है| उनके अनुसार छात्र ही सभी के हितों को ध्यान में रखते हुए सही निर्णय लेंगे।
SAC ऐम्फिथियेटर सभा :- मौजूदा स्थिति
छात्रों के सम्मुख इस धोबी-हड़ताल समस्या के सभी पहलू रखने एवं संस्थान और छात्रसंघ के प्रयासों का ब्यौरा देने हेतु SAC ऐम्फिथियेटर में 28 जनवरी की शाम एक लघु सभा का आयोजन हुआ। वहाँ मौजूद छात्रों को सम्बोधित करने हेतु छात्रसंघ के अध्यक्ष साई प्रणीत, महासचिव आशुतोष मुंधड़ा एवं SSMS अध्यक्ष उपस्थित थे। मौजूदा स्थिति को साफ करते हुए प्रणीत ने बताया कि धोबियों की सभी पुरानी माँगे न पूरी होने पर उन्होंने तत्कालीन प्रभाव से laundromat सेवा के निलम्बन की शर्त रखी है जिसके पूरे होने पर ही वे अपनी सेवा पुनः प्रारम्भ करेंगे। प्रणीत ने कहा कि अपनी कुशलता से उपभोक्ताओं को संतुष्ट करने की जगह सभी धोबी धुलाई सेवा पर एकछत्र अधिकार चाहते हैं। आशुतोष के अनुसार छात्रों के पास विकल्प होने चाहिए ताकि धोबी आने वाले समय में मनमानी न कर सकें। laundromat सेवा प्रदाता स्मार्ट-वॉश ने मशीनों की संख्या बढ़ा कर एवं दो पालियों में धुलाई कर सभी 4000 छात्रों के कपड़ों की साप्ताहिक धुलाई का दम भरा है। प्रणीत के अनुसार ऐसे में उन्हें धोबी यूनियन की बेतुकी शर्तों के सामने न झुकने का तर्क भी मिल गया है। प्रणीत ने SAC ऐम्फिथियेटर में उपस्थित सभी जनों से धोबी सेवाओं के निलम्बन के फैसलों पर विचार माँगे। धोबी यूनियन से आखिरी बातचीत के सभी प्रयासों के विफल होने के बाद laundromat सेवा का विस्तार ही अंतिम विकल्प बताया गया।
सभा समाप्ति के बाद आशुतोष, प्रणीत एवं SU के सदस्यों ने प्रत्येक भवन में जाकर छात्रों से बात की और उनका समर्थन माँगा। इस मुद्दे की प्रगति को देखते हुए लग रहा है कि जल्द ही कोई फैसला लिया जाएगा और छात्रों के कमरों में लगे कपड़ों के ढेर की ऊँचाई को कम होने में वक्त नहीं है।
Laundromat: समस्या की शुरुआत
आप सभी को याद दिलाते हुए हम आपको यह बताना चाहेंगे कि कैम्पस में Laundromat सेवा प्रारंभ करने की पहल मौजूदा समय में छात्रसंघ अध्यक्ष पदाधिकारी साई प्रणीत ने की थी। ऑडी-डीबेट के दौरान चुनाव आयोग ने laundromat सेवा से धोबियों की आजीविका के खतरे में आने का मुद्दा उठाया था। हालांकि उस वक्त अध्यक्ष पद के उम्मीदवार प्रणीत ने अपने सुझावों से चुनाव आयोग को संतुष्ट कर दिया था, पर उस वक्त किसी ने धोबियों के वृहद स्तर पर इस सेवा के विरोध में प्रदर्शन के बारे में सोचा भी न होगा। उस समय चुनाव आयोग और ऑडीटोरियम में मौजूद छात्रों को संतुष्ट करने वाले प्रणीत शायद अपने सुझावों और बातों से धोबियों को बहलाने में असमर्थ रहे; कम से कम धोबियों की हड़ताल तो इसी तरफ ही इशारा करती है।
धोबी यूनियन की माँगें :-
छात्रसंघ अध्यक्ष साई प्रणीत ने धोबी यूनियन की माँगों की चर्चा करते हुए बताया कि laundromat धोबियों द्वारा सेवा की एक साल की अवधि समाप्त होने पर इस सेवा के पूर्ण निलम्बन के अलावा भी कुछेक बेतुकी माँगे पेश की गई थी। जहाँ मौजूदा श्रामिकि बढ़ाने की शर्त को सही ठहराते हुए इसे स्वीकार कर लिया गया तो वहीं laundromat पिक-एंड-ड्राप सेवा के निलम्बन की शर्त को छात्रों की असुविधा का कारण मानते हुए नकार दिया गया। हालांकि यूनियन इस सेवा को अपना दुश्मन बताता रहा और इसे laundromat के प्रति बढ़ते हुए छात्रों के झुकाव का कारण बताता रहा। प्रणीत ने ज्ञात करवाया कि laundromat प्रणाली केवल 500 छात्रों को ही सेवा प्रदान करती है एवं 3500 से भी अधिक छात्र अब भी कपड़ों की धुलाई के लिए धोबियों पर ही निर्भर हैं। साथ ही भविष्य में भी laundromat सेवा के विस्तार की भी कोई योजना नहीं है, ऐसे में laundromat सेवा के निलम्बन की शर्त पूर्णतया बेतुकी है।
संस्थान का रवैया :-
छात्र प्रतिनिधियों की माने तो संस्थान इस द्वंदव में किसी भी दल का पक्ष लेने को तैयार नहीं है। संस्थान के निदेशक श्री रघुरामा ने हड़बड़ी में कोई भी फैसला लेने से इंकार करते हुए दोनों पक्ष धोबी यूनियन एवं छात्रसंघ को बातचीत के ज़रिए कोई बीच का हल निकालने की सलाह दी है। आने वाले वर्षों में विश्व के कई कोनों से बिट्स में प्रवेश लेने वाले विदेशी छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुए वे laundromat सेवा के निलम्बन को गलत मानते हैं पर साथ ही साथ वे बिट्स को कई वर्षों से अपनी सेवा देने वाले सैकड़ों धोबियों की आजीविका छिन जाने के भी घोर विरोध में हैं। एक तरह से निदेशक ने फैसला छात्रों के ऊपर छोड़ दिया है| उनके अनुसार छात्र ही सभी के हितों को ध्यान में रखते हुए सही निर्णय लेंगे।
SAC ऐम्फिथियेटर सभा :- मौजूदा स्थिति
छात्रों के सम्मुख इस धोबी-हड़ताल समस्या के सभी पहलू रखने एवं संस्थान और छात्रसंघ के प्रयासों का ब्यौरा देने हेतु SAC ऐम्फिथियेटर में 28 जनवरी की शाम एक लघु सभा का आयोजन हुआ। वहाँ मौजूद छात्रों को सम्बोधित करने हेतु छात्रसंघ के अध्यक्ष साई प्रणीत, महासचिव आशुतोष मुंधड़ा एवं SSMS अध्यक्ष उपस्थित थे। मौजूदा स्थिति को साफ करते हुए प्रणीत ने बताया कि धोबियों की सभी पुरानी माँगे न पूरी होने पर उन्होंने तत्कालीन प्रभाव से laundromat सेवा के निलम्बन की शर्त रखी है जिसके पूरे होने पर ही वे अपनी सेवा पुनः प्रारम्भ करेंगे। प्रणीत ने कहा कि अपनी कुशलता से उपभोक्ताओं को संतुष्ट करने की जगह सभी धोबी धुलाई सेवा पर एकछत्र अधिकार चाहते हैं। आशुतोष के अनुसार छात्रों के पास विकल्प होने चाहिए ताकि धोबी आने वाले समय में मनमानी न कर सकें। laundromat सेवा प्रदाता स्मार्ट-वॉश ने मशीनों की संख्या बढ़ा कर एवं दो पालियों में धुलाई कर सभी 4000 छात्रों के कपड़ों की साप्ताहिक धुलाई का दम भरा है। प्रणीत के अनुसार ऐसे में उन्हें धोबी यूनियन की बेतुकी शर्तों के सामने न झुकने का तर्क भी मिल गया है। प्रणीत ने SAC ऐम्फिथियेटर में उपस्थित सभी जनों से धोबी सेवाओं के निलम्बन के फैसलों पर विचार माँगे। धोबी यूनियन से आखिरी बातचीत के सभी प्रयासों के विफल होने के बाद laundromat सेवा का विस्तार ही अंतिम विकल्प बताया गया।
सभा समाप्ति के बाद आशुतोष, प्रणीत एवं SU के सदस्यों ने प्रत्येक भवन में जाकर छात्रों से बात की और उनका समर्थन माँगा। इस मुद्दे की प्रगति को देखते हुए लग रहा है कि जल्द ही कोई फैसला लिया जाएगा और छात्रों के कमरों में लगे कपड़ों के ढेर की ऊँचाई को कम होने में वक्त नहीं है।