BITS के छात्रों का आधुनिक प्रगतिशील प्रयास- हाइपरलूप इंडिया
हाइपरलूप एक नया उभरता हुआ परिवहन माध्यम है और इससे संबंधित कैलिफ़ोर्निया में होने वाली प्रतियोगिता में बिट्स के विद्यार्थियों की टीम प्रथम चरण होने के बाद भारत से एकमात्र चयनित टीम है।
हाइपरलूप इंडिया के लेविटेशन प्रमुख अवैस अहमद ने हाइपरलूप के बारे में बताया कि वैक्यूम पर आधारित परिवहन का यह माध्यम इलोन मस्क के दिमाग की उपज है।
हाइपरलूप में एक वैक्यूम ट्यूब का प्रयोग होता है, जो परिवहन में सामने आने वाली सबसे बड़ी समस्या, हवा के घर्षण का समाधान करती है। हाइपरलूप में पॉड को स्थायी चुम्बकों की मदद से लेविटेट किया जाता है, तथा इसे लीनियर इंडक्शन मोटर की मदद से गति प्रदान की जाती है।
हाइपरलूप एक बहुत बड़ी योजना है, इसिलए इसमें लेविटेशन, ब्रैकिंग, ऐरोडायनामिक्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल, वेहिकल डायनामिक्स, स्ट्रक्चर, बिज़नेस डेवलपमेंट जैसे कई विभाग हैं। हाइपरलूप इंडिया बाकी देशों की टीमों से भी संपर्क में है। कुछ टीमों ने पहले राउंड के बाद अपने मॉडल्स में बदलाव भी किए। सभी टीम काफ़ी ज़ोरों-शोरों से अगस्त में कैलिफ़ोर्निया में होने वाली प्रतियोगिता की तैयारियों में जुटीं हैं। हाइपरलूप इंडिया में IIM-A, RVCE बैंगलोर, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिज़ाइन अहमदाबाद एवं इंडियन स्कूल ऑफ बिज़नेस जैसे सम्मानित कॉलेज भी बिट्स के साथ इस योजना का हिस्सा हैं।
हाइपरलूप को फंड करने के लिए SKF, Geotrix business envelope एवं hyperloop one जैसे कई हाथ सामने आए। इसके अलावा टीम ने ketto के द्वारा जन सहयोग से भी कुछ राशि एकत्रित की। टीम का मीडिया पार्टनर tvf है, जो कि उनके लिए एक और उपलब्धि रही है। tvf जैसे लोकप्रिय यूट्यूब चैनल की लोकप्रियता का फ़ायदा टीम को भी मिलेगा।
हाइपरलूप में एक कार के सफ़र जैसी सुविधा और एक हवाईजहाज़ के समान गति है। समय की बचत के साथ साथ 1000 km/hr की गति के साथ यह शहरों के बीच के सफऱ को बहुत आसान बना सकता है।
अवैस अहमद के अनुसार फाइबर ऑप्टिक्स इंटरनेट के क्षेत्र में जो क्रांति लाया है, वही क्रांति हाइपरलूप परिवहन के क्षेत्र में ला सकता है। प्रतियोगिता के बाद के टीम की योजनाओं के बारे में अवैस ने बताया कि अभी तो टीम का पूरा ध्यान कैलिफ़ोर्निया में होने वाली प्रतियोगिता पर है, परंतु इसके बाद टीम भारतीय उपमहाद्वीप में हाइपरलूप के क्रियान्वयन के विषय पर शोध करेंगे।
हाइपरलूप इंडिया के लेविटेशन प्रमुख अवैस अहमद ने हाइपरलूप के बारे में बताया कि वैक्यूम पर आधारित परिवहन का यह माध्यम इलोन मस्क के दिमाग की उपज है।
हाइपरलूप में एक वैक्यूम ट्यूब का प्रयोग होता है, जो परिवहन में सामने आने वाली सबसे बड़ी समस्या, हवा के घर्षण का समाधान करती है। हाइपरलूप में पॉड को स्थायी चुम्बकों की मदद से लेविटेट किया जाता है, तथा इसे लीनियर इंडक्शन मोटर की मदद से गति प्रदान की जाती है।
हाइपरलूप एक बहुत बड़ी योजना है, इसिलए इसमें लेविटेशन, ब्रैकिंग, ऐरोडायनामिक्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिकल, वेहिकल डायनामिक्स, स्ट्रक्चर, बिज़नेस डेवलपमेंट जैसे कई विभाग हैं। हाइपरलूप इंडिया बाकी देशों की टीमों से भी संपर्क में है। कुछ टीमों ने पहले राउंड के बाद अपने मॉडल्स में बदलाव भी किए। सभी टीम काफ़ी ज़ोरों-शोरों से अगस्त में कैलिफ़ोर्निया में होने वाली प्रतियोगिता की तैयारियों में जुटीं हैं। हाइपरलूप इंडिया में IIM-A, RVCE बैंगलोर, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिज़ाइन अहमदाबाद एवं इंडियन स्कूल ऑफ बिज़नेस जैसे सम्मानित कॉलेज भी बिट्स के साथ इस योजना का हिस्सा हैं।
हाइपरलूप को फंड करने के लिए SKF, Geotrix business envelope एवं hyperloop one जैसे कई हाथ सामने आए। इसके अलावा टीम ने ketto के द्वारा जन सहयोग से भी कुछ राशि एकत्रित की। टीम का मीडिया पार्टनर tvf है, जो कि उनके लिए एक और उपलब्धि रही है। tvf जैसे लोकप्रिय यूट्यूब चैनल की लोकप्रियता का फ़ायदा टीम को भी मिलेगा।
हाइपरलूप में एक कार के सफ़र जैसी सुविधा और एक हवाईजहाज़ के समान गति है। समय की बचत के साथ साथ 1000 km/hr की गति के साथ यह शहरों के बीच के सफऱ को बहुत आसान बना सकता है।
अवैस अहमद के अनुसार फाइबर ऑप्टिक्स इंटरनेट के क्षेत्र में जो क्रांति लाया है, वही क्रांति हाइपरलूप परिवहन के क्षेत्र में ला सकता है। प्रतियोगिता के बाद के टीम की योजनाओं के बारे में अवैस ने बताया कि अभी तो टीम का पूरा ध्यान कैलिफ़ोर्निया में होने वाली प्रतियोगिता पर है, परंतु इसके बाद टीम भारतीय उपमहाद्वीप में हाइपरलूप के क्रियान्वयन के विषय पर शोध करेंगे।