ओएसिस- 2014 की चुनौतियॉँं
वॉलमैग बॉसम -2014
'बॉसम' उद्घाटन
आज शाम 7 बजे ऑडी में संस्थान के वार्षिक खेल समारोह 'बॉसम' का उद्घाटन है। मुख्य अतिथि के रूप में प्रसिद्ध क्रिकेटर दिनेश मोंगिया, आर.के. कौल एवं बिट्स पिलानी के निदेशक प्रो. जी.रघुरामा उपस्थित रहेंगे।
दिनेश मोंगिया 17 अप्रैल, 1977 को चंडीगढ़ में जन्मे थे| मोंगिया राष्ट्रीय खेलों में धमाकेदार खिलाड़ी रह चुके हैं। उनके द्वारा राष्ट्रीय खेलों में 6850 रन बनाए गए हैं, जिसमें नाबाद 350 उनका सर्वाधिक स्कोर रहा है। मार्च 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्होंने अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय एक दिवसीय मैच खेला था। एक दिवसीय क्रिकेट में 27.5 की औसत से उनके 1230 रन हैं। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उन्होंने 121 मैच में 8028 रन बनाए हैं जिसमें उनका सर्वाधिक स्कोर 159 रहा है। 57 एक दिवसीय मैच में उन्होंने 14 विकेट भी चटकाए हैं। इंग्लिश काउंटी में वे काफी सफल खिलाड़ी रहे हैं। मार्च 2002 में जिम्बावे के खिलाफ अपना 159 रन की पारी खेलकर उन्होंने बहुत उम्दा खेल का प्रदर्शन किया था। टी-20 में भी उपस्थिति दर्ज करवा चुके दिनेश मोंगिया ने आखिरी अंतर्राष्ट्रीय टी-20 2006 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेला था। बिट्स पिलानी के लिए यह गौरव की बात है कि खेल जगत के इतने बड़े दिग्गज हमारे खेल समारोह में पधारेंगे।
बिट्स पिलानी के निदेशक श्री रघुरामा का पिलानी कैंपस से पुराना रिश्ता है। वर्ष 1987 में वे सहायक व्याख्याता उपाध्याय के पद पर बिट्स पिलानी से जुड़े थे। पदोन्नत होते-होते सन् 2000 में वे प्राध्यापक के पद पर पहुँचे। 16 अप्रैल, 2010 को उन्हें बिट्स पिलानी के निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया था। प्रो. रघुरामा सेंट अलोय्सिअस कॉलेज, मैंगलोर से विज्ञान स्नातक, आई.आई.टी. मद्रास से विज्ञान निष्णात एवं IISc बैंगलोर से पीएच.डी हैं। अपने कार्यकाल में वे डीन एवं वार्डन के पद पर भी काम कर चुके हैं। प्रो. रघुरामा को पुस्तकें पढ़ना और संगीत सुनना पसंद है। उन्हें नए स्थानों पर जाना रोमांचक लगता है। खेलों के प्रति रूचि प्रकट करते हुए वे कहते हैं कि उन्हें चेस, बिलियर्ड्स एवं कार्ड गेम्स में रुचि है। अपने पीएच.डी के दिनों में वे 'ब्रिज' एवं ‘चेस’ तो रोज़ खेला करते थे। समय के अभाव के कारण वे अपने खेलों के शौक को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। वे विद्यार्थी जीवन में खेलों की भूमिका को अहम मानते हैं। प्रथम वर्षीय छात्रों को दिए गए अपने पहले भाषण में वे इस बात पर प्रकाश डाल चुके हैं।
खेलों के शुभारम्भ में इन दिग्गजों का होना अपने आप में एक सन्देश देता है। दिनेश मोंगिया का खेल प्रेम सिखाता है खेलों को जीना, उनमें अव्वल होना। रघुरामा सर से हमें प्रेरणा मिलती है कि अपने जीवन को अनुशासित एवं अपने समय को व्यवस्थित रखना उन्नति के लिए परम आवश्यक है।
बॉसम एक मंच की तरह है जहाँ खिलाड़ियों और आयोजकों द्वारा बहाया गया पसीना साफ झलकेगा| इसमें हर किसी को कुछ न कुछ अवश्य सीखने को मिलेगा| इसमें अपनी उपस्थिति देकर खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन करें और इसे सफलता के शीर्ष तक पहुचाएँ|
दिनेश मोंगिया 17 अप्रैल, 1977 को चंडीगढ़ में जन्मे थे| मोंगिया राष्ट्रीय खेलों में धमाकेदार खिलाड़ी रह चुके हैं। उनके द्वारा राष्ट्रीय खेलों में 6850 रन बनाए गए हैं, जिसमें नाबाद 350 उनका सर्वाधिक स्कोर रहा है। मार्च 2001 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्होंने अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय एक दिवसीय मैच खेला था। एक दिवसीय क्रिकेट में 27.5 की औसत से उनके 1230 रन हैं। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उन्होंने 121 मैच में 8028 रन बनाए हैं जिसमें उनका सर्वाधिक स्कोर 159 रहा है। 57 एक दिवसीय मैच में उन्होंने 14 विकेट भी चटकाए हैं। इंग्लिश काउंटी में वे काफी सफल खिलाड़ी रहे हैं। मार्च 2002 में जिम्बावे के खिलाफ अपना 159 रन की पारी खेलकर उन्होंने बहुत उम्दा खेल का प्रदर्शन किया था। टी-20 में भी उपस्थिति दर्ज करवा चुके दिनेश मोंगिया ने आखिरी अंतर्राष्ट्रीय टी-20 2006 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेला था। बिट्स पिलानी के लिए यह गौरव की बात है कि खेल जगत के इतने बड़े दिग्गज हमारे खेल समारोह में पधारेंगे।
बिट्स पिलानी के निदेशक श्री रघुरामा का पिलानी कैंपस से पुराना रिश्ता है। वर्ष 1987 में वे सहायक व्याख्याता उपाध्याय के पद पर बिट्स पिलानी से जुड़े थे। पदोन्नत होते-होते सन् 2000 में वे प्राध्यापक के पद पर पहुँचे। 16 अप्रैल, 2010 को उन्हें बिट्स पिलानी के निदेशक के रूप में नियुक्त किया गया था। प्रो. रघुरामा सेंट अलोय्सिअस कॉलेज, मैंगलोर से विज्ञान स्नातक, आई.आई.टी. मद्रास से विज्ञान निष्णात एवं IISc बैंगलोर से पीएच.डी हैं। अपने कार्यकाल में वे डीन एवं वार्डन के पद पर भी काम कर चुके हैं। प्रो. रघुरामा को पुस्तकें पढ़ना और संगीत सुनना पसंद है। उन्हें नए स्थानों पर जाना रोमांचक लगता है। खेलों के प्रति रूचि प्रकट करते हुए वे कहते हैं कि उन्हें चेस, बिलियर्ड्स एवं कार्ड गेम्स में रुचि है। अपने पीएच.डी के दिनों में वे 'ब्रिज' एवं ‘चेस’ तो रोज़ खेला करते थे। समय के अभाव के कारण वे अपने खेलों के शौक को पूरा नहीं कर पा रहे हैं। वे विद्यार्थी जीवन में खेलों की भूमिका को अहम मानते हैं। प्रथम वर्षीय छात्रों को दिए गए अपने पहले भाषण में वे इस बात पर प्रकाश डाल चुके हैं।
खेलों के शुभारम्भ में इन दिग्गजों का होना अपने आप में एक सन्देश देता है। दिनेश मोंगिया का खेल प्रेम सिखाता है खेलों को जीना, उनमें अव्वल होना। रघुरामा सर से हमें प्रेरणा मिलती है कि अपने जीवन को अनुशासित एवं अपने समय को व्यवस्थित रखना उन्नति के लिए परम आवश्यक है।
बॉसम एक मंच की तरह है जहाँ खिलाड़ियों और आयोजकों द्वारा बहाया गया पसीना साफ झलकेगा| इसमें हर किसी को कुछ न कुछ अवश्य सीखने को मिलेगा| इसमें अपनी उपस्थिति देकर खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन करें और इसे सफलता के शीर्ष तक पहुचाएँ|
जुनून 2014
"विकलांगता स्वयं में कोई विकलांगता नहीं होती, विकलांगता होती है विकलांगों के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण में।"
इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए एन॰एस॰एस॰ बिट्स पिलानी ने खेल संघ के सौजन्य में जुनून- दो दिवसीय खेल उत्सव के तृतीय संस्करण का आयोजन किया जिसका उद्देश्य है कि वंचित बच्चों को मुख्यधारा के सामने अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिले। इस जुनून में दिल्ली, जयपुर, पिलानी और झुंझुनू से 8 गैर सरकारी संस्थाओं- आरोह नवज्योति, आर्थ आस्था, अक्षय प्रतिष्ठान, आमला बिरला केंद्र, आशा का झरना, दिशा, मुस्कान और एच॰सी॰आर॰ए॰ के 170 विशेष क्षमता वाले बच्चों ने हिस्सा लिया। 6 एवं 7 सितंबर 2014 को आयोजित हुए जुनून का उदघाटन मुख्य अतिथि डॉ॰ सतेन्द्र सिंह ने दीप प्रज्वलन से किया| वे यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज़ में चिकित्सक हैं और स्वयं भी
असमर्थता कार्यकर्त्ता रह चुके हैं। तत्पश्चात विभिन्न एन॰जी॰ओ॰ के परिचय तथा मुख्य अतिथि एवं एन॰एस॰एस॰ अध्यक्ष के व्यक्तव्य हुए। एन॰एस॰एस॰ अध्यक्ष कर्तव्य खन्ना ने अपने व्यक्तव्य में कहा कि भारत में असमर्थता को एक रोग समझा जाता है और जुनून लोगों में समानता की भावना अंतर्निविष्ट करते हुए इस सामाजिक अंतराल को दूर करने का प्रयास करता है। उद्घाटन के उपरांत बच्चों ने नृत्य एवं मौज-मस्ती की। इसके उपरांत ई॰एस॰पी॰एन॰ द्वारा प्रायोजित यूनीफ़ाइड Bocce प्रतियोगिता आयोजित की गई। इसमें पिलानी के विद्यालयों के बच्चों की जुनून में सम्मिलित बच्चों से Bocce मुक़ाबले करवाए गए ताकि इन बच्चों में मुख्यधारा से प्रतिस्पर्धा करने का आत्मविश्वास जागृत हो सके। एन॰एस॰एस॰ के कार्यक्रम संयोजक शिखर ने बताया कि नामी प्रायोजक की बदौलत इस बार प्रचार में
आसानी रही जिसके कारण जुनून ऊँचे स्तर पर आयोजित हो पाया है और वे चाहते हैं कि भविष्य में जुनून इससे भी अधिक सफल रहे।
इसी दौरान आयोजित हुए क्रिकेट मुकाबलों में भी प्रतिभागियों का उत्साह दर्शनीय था। विभिन्न एन॰जी॰ओ॰ की टीमों ने उत्कृष्ट खेल का प्रदर्शन दिया। बास्केटबॉल मुकाबलों में भी रोमांचक खेल का प्रदर्शन हुआ। उपस्थित दर्शकों की संख्या भी अच्छी-ख़ासी रही। मैच में बिट्स बास्केटबॉल टीम का भी काफी सहयोग रहा। हालांकि इस दौरान मेड-सी में उसी समय बिट्स क्रिकेट टीम का मैच होने के कारण
प्रतिभागियों को चोट लगने का अंदेशा बना हुआ था। इस पर शिखर ने कहा कि क्रिकेट टीम को भी बॉसम के लिए अभ्यास करना होता है परंतु ऐसी किसी घटना से बचाव हेतु पर्याप्त स्वेच्छाकर्मी वहाँ मौजूद थे।
अगले दिन एथलेटिक्स, शॉटपुट, एवं Bocce आयोजित किए गए। एथलेटिक्स में 50 मीटर, 100 मीटर एवं रीले दौड़ के मुकाबलों में विभिन्न एन॰जी॰ओ॰ से अत्यधिक प्रतिभागिता रही। प्रतिभागियों का उत्साह एवं एन॰एस॰एस॰ स्वयंसेवकों की मदद से सुचारु रूप से सभी कार्यक्रम संचालित हुए। Bocce में 8 टीमों के नॉक आउट प्रतियोगिता में आशा का झरना की टीम विजेता रही।
तदुपरांत SAC में क्रैक की मदद से आर्ट वर्कशॉप का आयोजन किया गया। इसमें विभिन्न तरह की मनोरंजक गतिविधियाँ जैसे हस्त चित्रण, नृत्य-संगीत, बैडमिंटन आदि के दौरान SAC का माहौल आनंद से भरपूर था। मुस्कान के प्रतिभागियों ने सराहनीय नृत्य का प्रदर्शन दिया।
जुनून का समापन जुनून नाइट से हुआ। इसमें सभी एन॰जी॰ओ॰ ने भाग लिया। जुनून नाइट की शुरुआत गुरुकुल द्वारा प्रस्तुत मनमोहक संगीत कार्यक्रम से हुई। उसके बाद एन॰जी॰ओ॰ ने भी शानदार नृत्य प्रस्तुत किए जिनमें किसी में भगवान कृष्ण की महिमा का वर्णन किया तो किसी में अच्छाई और बुराई की लड़ाई को नृत्य के ज़रिए प्रस्तुत किया गया। हिन्दी ड्रामा क्लब ने अपने नाटक के ज़रिए सरकारी कर्मचारियों की काम न करने की प्रवृति को प्रदर्शित किया। इन सबके बाद पोएट्री क्लब ने अपनी कविताओं से सबका मन मोह लिया| मुख्य अतिथि के रूप में बिट्स पिलानी के निर्देशक प्रोफेसर जी. रघुरामा ने आकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। इसके बाद मुख्य अतिथि ने जुनून में भाग लेने वाले एन.जी.ओ. और एन.एस.एस. को धन्यवाद दिया और कहा कि जुनून जैसे उत्सव ही बिट्स पिलानी को बाकी सभी कॉलेज से अलग करते हैं|
अंत में पुरस्कार वितरण समारोह हुआ जिसमें सभी एन.जी.ओ. को मुख्य अतिथि द्वारा सम्मानित किया गया।
जुनून में यदि कहीं पर कुछ कमी नज़र आई तो वह थी पूरे कार्यक्रम, यहाँ तक कि जुनून नाइट में भी बिट्सियन्स की उपस्तिथि जो कि नगण्य थी। इस पर शिखर ने कहा कि यह उनके लिए भी एक पहेली है|
जिस कार्यक्रम में हिंदी ड्रामा क्लब, गुरुकुल और पोएट्री क्लब की प्रस्तुतियाँ होने के उपरान्त भी यदि बिट्सियन्स नहीं आते हैं तो इसका एक ही तात्पर्य हो सकता है कि वे एन॰एस॰एस.-निर्माण के बारे में अभिज्ञ हैं।
इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए एन॰एस॰एस॰ बिट्स पिलानी ने खेल संघ के सौजन्य में जुनून- दो दिवसीय खेल उत्सव के तृतीय संस्करण का आयोजन किया जिसका उद्देश्य है कि वंचित बच्चों को मुख्यधारा के सामने अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिले। इस जुनून में दिल्ली, जयपुर, पिलानी और झुंझुनू से 8 गैर सरकारी संस्थाओं- आरोह नवज्योति, आर्थ आस्था, अक्षय प्रतिष्ठान, आमला बिरला केंद्र, आशा का झरना, दिशा, मुस्कान और एच॰सी॰आर॰ए॰ के 170 विशेष क्षमता वाले बच्चों ने हिस्सा लिया। 6 एवं 7 सितंबर 2014 को आयोजित हुए जुनून का उदघाटन मुख्य अतिथि डॉ॰ सतेन्द्र सिंह ने दीप प्रज्वलन से किया| वे यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज़ में चिकित्सक हैं और स्वयं भी
असमर्थता कार्यकर्त्ता रह चुके हैं। तत्पश्चात विभिन्न एन॰जी॰ओ॰ के परिचय तथा मुख्य अतिथि एवं एन॰एस॰एस॰ अध्यक्ष के व्यक्तव्य हुए। एन॰एस॰एस॰ अध्यक्ष कर्तव्य खन्ना ने अपने व्यक्तव्य में कहा कि भारत में असमर्थता को एक रोग समझा जाता है और जुनून लोगों में समानता की भावना अंतर्निविष्ट करते हुए इस सामाजिक अंतराल को दूर करने का प्रयास करता है। उद्घाटन के उपरांत बच्चों ने नृत्य एवं मौज-मस्ती की। इसके उपरांत ई॰एस॰पी॰एन॰ द्वारा प्रायोजित यूनीफ़ाइड Bocce प्रतियोगिता आयोजित की गई। इसमें पिलानी के विद्यालयों के बच्चों की जुनून में सम्मिलित बच्चों से Bocce मुक़ाबले करवाए गए ताकि इन बच्चों में मुख्यधारा से प्रतिस्पर्धा करने का आत्मविश्वास जागृत हो सके। एन॰एस॰एस॰ के कार्यक्रम संयोजक शिखर ने बताया कि नामी प्रायोजक की बदौलत इस बार प्रचार में
आसानी रही जिसके कारण जुनून ऊँचे स्तर पर आयोजित हो पाया है और वे चाहते हैं कि भविष्य में जुनून इससे भी अधिक सफल रहे।
इसी दौरान आयोजित हुए क्रिकेट मुकाबलों में भी प्रतिभागियों का उत्साह दर्शनीय था। विभिन्न एन॰जी॰ओ॰ की टीमों ने उत्कृष्ट खेल का प्रदर्शन दिया। बास्केटबॉल मुकाबलों में भी रोमांचक खेल का प्रदर्शन हुआ। उपस्थित दर्शकों की संख्या भी अच्छी-ख़ासी रही। मैच में बिट्स बास्केटबॉल टीम का भी काफी सहयोग रहा। हालांकि इस दौरान मेड-सी में उसी समय बिट्स क्रिकेट टीम का मैच होने के कारण
प्रतिभागियों को चोट लगने का अंदेशा बना हुआ था। इस पर शिखर ने कहा कि क्रिकेट टीम को भी बॉसम के लिए अभ्यास करना होता है परंतु ऐसी किसी घटना से बचाव हेतु पर्याप्त स्वेच्छाकर्मी वहाँ मौजूद थे।
अगले दिन एथलेटिक्स, शॉटपुट, एवं Bocce आयोजित किए गए। एथलेटिक्स में 50 मीटर, 100 मीटर एवं रीले दौड़ के मुकाबलों में विभिन्न एन॰जी॰ओ॰ से अत्यधिक प्रतिभागिता रही। प्रतिभागियों का उत्साह एवं एन॰एस॰एस॰ स्वयंसेवकों की मदद से सुचारु रूप से सभी कार्यक्रम संचालित हुए। Bocce में 8 टीमों के नॉक आउट प्रतियोगिता में आशा का झरना की टीम विजेता रही।
तदुपरांत SAC में क्रैक की मदद से आर्ट वर्कशॉप का आयोजन किया गया। इसमें विभिन्न तरह की मनोरंजक गतिविधियाँ जैसे हस्त चित्रण, नृत्य-संगीत, बैडमिंटन आदि के दौरान SAC का माहौल आनंद से भरपूर था। मुस्कान के प्रतिभागियों ने सराहनीय नृत्य का प्रदर्शन दिया।
जुनून का समापन जुनून नाइट से हुआ। इसमें सभी एन॰जी॰ओ॰ ने भाग लिया। जुनून नाइट की शुरुआत गुरुकुल द्वारा प्रस्तुत मनमोहक संगीत कार्यक्रम से हुई। उसके बाद एन॰जी॰ओ॰ ने भी शानदार नृत्य प्रस्तुत किए जिनमें किसी में भगवान कृष्ण की महिमा का वर्णन किया तो किसी में अच्छाई और बुराई की लड़ाई को नृत्य के ज़रिए प्रस्तुत किया गया। हिन्दी ड्रामा क्लब ने अपने नाटक के ज़रिए सरकारी कर्मचारियों की काम न करने की प्रवृति को प्रदर्शित किया। इन सबके बाद पोएट्री क्लब ने अपनी कविताओं से सबका मन मोह लिया| मुख्य अतिथि के रूप में बिट्स पिलानी के निर्देशक प्रोफेसर जी. रघुरामा ने आकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। इसके बाद मुख्य अतिथि ने जुनून में भाग लेने वाले एन.जी.ओ. और एन.एस.एस. को धन्यवाद दिया और कहा कि जुनून जैसे उत्सव ही बिट्स पिलानी को बाकी सभी कॉलेज से अलग करते हैं|
अंत में पुरस्कार वितरण समारोह हुआ जिसमें सभी एन.जी.ओ. को मुख्य अतिथि द्वारा सम्मानित किया गया।
जुनून में यदि कहीं पर कुछ कमी नज़र आई तो वह थी पूरे कार्यक्रम, यहाँ तक कि जुनून नाइट में भी बिट्सियन्स की उपस्तिथि जो कि नगण्य थी। इस पर शिखर ने कहा कि यह उनके लिए भी एक पहेली है|
जिस कार्यक्रम में हिंदी ड्रामा क्लब, गुरुकुल और पोएट्री क्लब की प्रस्तुतियाँ होने के उपरान्त भी यदि बिट्सियन्स नहीं आते हैं तो इसका एक ही तात्पर्य हो सकता है कि वे एन॰एस॰एस.-निर्माण के बारे में अभिज्ञ हैं।
मरुधरा नाईट 2014
मेस का खाना, बी.फार्मा, सिविल, एम.बी. की बंदियों का उपहास और कुछ अश्लीलता- ये चीज़ें हर कल्चरल नाईट मे इतनी आम हो चुकी हैं कि एक तृतिय या चतुर्थ वर्ष का छात्र शायद ही मंच पर हो रहे कार्यक्रम को देखकर तालियाँ भी बजाए, ठहाके लगाना तो दूर की बात| पर इस सेमेस्टर की पहली नाईट ‘गणगौर’ कोई अनोखा और बेहतरीन जैसे शब्दों से नवाज़े तो उसमें कुछ भी गलत नहीं होगा|
5 सितम्बर की शाम को कार्यक्रम की शुरुआत हुई लोक नृत्य से जिसके बाद मंच को संभाला कुछ गायकों ने| इसके बाद कतार में थे दो माईम, कुछ और नृत्य और गीत| यह सब तो आम है... है न? पर जिस प्रकार इन चीज़ों को दर्शकों के सामने परोसा गया, वह यकीनन ही नया था, अच्छा था| “पिलानी जाऊँगा” और “वो साली कमीनी” के बाद अब बिट्सियन जनता के पास एक और गीत है गुनगुनाने को, इस संसथान को याद रखने को| “आ भी जा, मेरे दो बुक सन की माँ” एक नया गीत कल शाम ऑडी में गाया गया जिसपर लोगों ने न सिर्फ कुर्सियों पर खड़े होकर तालियाँ बजाईं बल्कि गीत ख़त्म होने पर ‘वंस मोर’ चिल्लाने लगे| के.बी.सी. - कौन बनेगा .... (वो तोह आप जानते ही हैं क्या?) नामक माईम में बिट्स के चुनावों से जुड़ी हर बात का दिल खोलकर मज़ाक उड़ाया गया| “काव्या” का ई-मेल, साइकिल क्लब की ‘कंडीसन’ और धोबी की ‘सिचुएसन’ के अलावा ए.सी.एम. के सर्टिफिकेट फ़ोकट में बंटने की बात उठाई गई| लोग अपनी हँसी पर काबू तब खो बैठे जब अपने सर पर ‘चिड़िया का घोंसला’ लिए महासचिव के एक उम्मीदवार मंच पर बात करने से ज्यादा चुटकियाँ बजाकर नाचता हुआ नज़र आया|
अगर कुछ शब्दों में समेटकर कहा जाए तो ‘गणगौर’ में मरुधरा के प्रत्येक सदस्य की मंच के पीछे की गई मेहनत साफ़ नज़र आ रही थी| इससे बड़ी बात क्या हो सकती है कि ढाई-तीन घंटे के कार्यक्रम में ऑडी में दर्शकों की ओर से एक बार भी ‘1…2…3…4…’ नहीं हुआ, कुर्सियों पर खड़े होकर लोगों ने बेहिसाब तालियाँ बजाईं और कार्यक्रम ख़त्म होने पर चिल्लाकर अपना दुःख जताया| इस सेमेस्टर में होने वाले अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए एक बड़ी चुनौती होगी कि वे भी रात 10.30 तक लोगों को इस तरह बांधे कि ऑडी अंतिम कतार तक भरा रहे|
- अर्चित अग्रवाल
5 सितम्बर की शाम को कार्यक्रम की शुरुआत हुई लोक नृत्य से जिसके बाद मंच को संभाला कुछ गायकों ने| इसके बाद कतार में थे दो माईम, कुछ और नृत्य और गीत| यह सब तो आम है... है न? पर जिस प्रकार इन चीज़ों को दर्शकों के सामने परोसा गया, वह यकीनन ही नया था, अच्छा था| “पिलानी जाऊँगा” और “वो साली कमीनी” के बाद अब बिट्सियन जनता के पास एक और गीत है गुनगुनाने को, इस संसथान को याद रखने को| “आ भी जा, मेरे दो बुक सन की माँ” एक नया गीत कल शाम ऑडी में गाया गया जिसपर लोगों ने न सिर्फ कुर्सियों पर खड़े होकर तालियाँ बजाईं बल्कि गीत ख़त्म होने पर ‘वंस मोर’ चिल्लाने लगे| के.बी.सी. - कौन बनेगा .... (वो तोह आप जानते ही हैं क्या?) नामक माईम में बिट्स के चुनावों से जुड़ी हर बात का दिल खोलकर मज़ाक उड़ाया गया| “काव्या” का ई-मेल, साइकिल क्लब की ‘कंडीसन’ और धोबी की ‘सिचुएसन’ के अलावा ए.सी.एम. के सर्टिफिकेट फ़ोकट में बंटने की बात उठाई गई| लोग अपनी हँसी पर काबू तब खो बैठे जब अपने सर पर ‘चिड़िया का घोंसला’ लिए महासचिव के एक उम्मीदवार मंच पर बात करने से ज्यादा चुटकियाँ बजाकर नाचता हुआ नज़र आया|
अगर कुछ शब्दों में समेटकर कहा जाए तो ‘गणगौर’ में मरुधरा के प्रत्येक सदस्य की मंच के पीछे की गई मेहनत साफ़ नज़र आ रही थी| इससे बड़ी बात क्या हो सकती है कि ढाई-तीन घंटे के कार्यक्रम में ऑडी में दर्शकों की ओर से एक बार भी ‘1…2…3…4…’ नहीं हुआ, कुर्सियों पर खड़े होकर लोगों ने बेहिसाब तालियाँ बजाईं और कार्यक्रम ख़त्म होने पर चिल्लाकर अपना दुःख जताया| इस सेमेस्टर में होने वाले अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए एक बड़ी चुनौती होगी कि वे भी रात 10.30 तक लोगों को इस तरह बांधे कि ऑडी अंतिम कतार तक भरा रहे|
- अर्चित अग्रवाल
बिट्स पिलानी और सिविल सेवा परीक्षा
25-08-2014 को रात्रि के ठीक 8 बजे, BITS पिलानी के अत्याधुनिक टेलीप्रेसेंस कक्ष में, इसी संस्थान के UPSC की सिविल सर्विस परीक्षा में लोहा मनवाने वाले दो छात्र - प्रभाव जोशी (AIR 23) व दीपक पारिक (AIR 131), ने अपने विचार प्रस्तुत किये और पदाभिलाषी छात्रों को सुझाव भी दिए।
हॉल पूर्ण रूप से भरा था, यहाँ तक कि खड़े होने को भी स्थान न बचा था। Video Conferencing के द्वारा बिट्स के गोवा और हैदराबाद कैंपस भी जुड़े हुए थे। परदे पर व्याख्यान का शीर्षक प्रोजेक्ट हो रहा था- From Pilani to Mussoorie।
श्री प्रभाव जोशी व दीपक पारिक ने अपने वक्तव्य की शुरुवात अपने संकाय एवं CGPA बता कर की जिससे एकाएक ही सभी विद्यार्थी मुस्करा उठे।
पुनः श्री प्रभाव जी ने वहाँ उपस्थित सभी शिक्षकों की भावुक वंदना में कहा कि गुरु वो दीप है जो अज्ञान-तिमिर का नाश करता है। प्रभाव ने अपने भाषण के मुद्दे स्पष्ट किये और शुरू में ही कहा कि वे BITS से सिविल सर्विसेज में होने वाले 17 से 20 चुनावों को दुगुना होते देखना चाहते हैं।
इसके बाद भारत की अब तक की तरक्की के बारे में चर्चा हुई जिसमें छात्रों व वक्ताओं ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान, चीन आदि पड़ोसी देशों से भारत के लोकतांत्रिक विकास को बेहतर माना। फिर चर्चा हुई भारत के विकास पथ में आ रही मुसीबतों की। श्रोताओं ने कई मुद्दे उठाए, जैसे- भ्रष्टाचार, निरक्षरता , आरक्षण, आतंकवाद और उससे उत्पन्न सामाजिक अस्थिरता, अराजकता, ब्रेन ड्रेन, स्वास्थ्य सम्बन्धी असुविधाएं आदि । प्रदीप ने इस प्रकार की चर्चा का लाभ बताते हुए बताया की उनसे भी साक्षात्कार में इन्हीं मुद्दों पर बोलने को कहा गया था। उन्होंने तथ्यों द्वारा स्पष्ट किया की भारत शिक्षा क्षेत्र में पिछड़ा हुआ है और अनुसंधान क्षेत्र में बहुत धीमी गति से विकसित हो रहा है। श्रोताओं की जागरूकता और चर्चा में जोश देखते हुए दीपक ने सभी से देश के लिए कुछ करने की शपथ लेने को कहा। दोनों वक्ता बीच-बीच में श्रोताओं को अपनी व्यंगात्मक टिप्पणियों से हंसाते रहे।
इसके बाद प्रभाव ने सिविल सेवाओं को राष्ट्र सेवा बताते हुए श्रोताओं को इसके गुण-दोषों से परिचित करवाया। उन्होंने कहा कि सेवा-निश्चितता, ऊँचे पद और पूर्ण स्वाभिमान एक सिविल सेवक को मिलते हैं। उन्होंने अपने प्रेरणा स्त्रोत रहे IAS समित शर्मा और उनके समाज के लिए किये गए कार्यों को उजागर किया जिन्हें श्रोताओं ने तालियों से सराहा। प्रभाव ने IAS समित शर्मा के प्रमुख कार्यों से अवगत करवाया और बताया की किस प्रकार वह राजस्व, विकास और कानून के मामले में आने वाली आम समस्याओं को दूर करते हैं। इसके बाद दीपक ने बताया कि परिवार से दूरी, भ्रष्टाचार, राजनीतिक दखलंदाजी आदि दोष सिविल सेवा में व्याप्त हैं। परीक्षा और चुनाव प्रक्रिया कीमती समय लेती है, वह समय जिसमें आप अन्य रोजगार नहीं कर सकते और सीटें खासकर सामान्य वर्ग के लिए सीटें बहुत कम होती हैं।
प्रभाव व दीपक ने फिर BITS की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए बताया कि AIR 1, 4, 13, 14, 23 और बहुतेरी गौरवपूर्ण रैंक हमारे संस्थान ने दी हैं। प्रति वर्ष यहाँ से लगभग 15 चुनाव होते है एवं स्वयं UPSC ने माना है की इसी संस्थान की सिविल सर्विस परीक्षा में पूरे भारत में सबसे अधिक उत्तीर्ण-प्रतिशत है। BITS का alumni network बहुत उद्यमी एवं सक्रिय है, जिसमें अब तक के BITS से बने नौकरशाह क्रियाशील हैं जो समय-समय पर संस्थान में पढ़ रहे अपने अनुजों की सहायता करते हैं। BITS का पाठ्यक्रम भी आई.ए.एस परीक्षा की तैयारी में सहायक है, यहाँ का अनुसंधान प्रधान माहौल सोच विकसित करता है एवं 'डुअल डिग्री स्कीम' सोच का दायरा बढ़ाने के साथ-साथ विद्यार्थी को अधिक साक्षर बनाती है।
उन्होंने बताया कि BITS में पढ़ने का, IAS परीक्षा उत्तीर्ण करने हेतु, यह नुकसान है कि विद्यार्थी IAS में पूछे गए लम्बे उत्तरों को तीव्रता से लिख पाने में सक्षम नहीं होते। यहाँ कई छात्र परिश्रम को उच्च प्राथमिकता नहीं देते एवं परिश्रमी को 'घोट' पुकारा जाता है। उनकी इस प्रकार की सरल और सटीक बात सुन श्रोता विस्मित हो गए।
इसके अतिरिक्त दीपक ने बताया की वैकल्पिक विषयों के रूप में विज्ञान विषय भी आजकल प्रसिद्ध हो रहे हैं एवं भविष्य में अभ्यार्थी इन्हें भी चुन सकते हैं।
परीक्षा की तैयारी की दौरान सामने आने वाली स्वास्थ्य एवं मस्तिष्क सम्बन्धी समस्याओं की भी चर्चा हुई । प्रभाव ने परीक्षा सम्बन्धी भ्रान्तियों को खारिज करते हुए कहा कि न ही यह परीक्षा अत्यंत कठिन है, न ही इसे प्रथम बार में पास करना असंभव है और न ही साक्षात्कार में पास होना सिर्फ और सिर्फ भाग्य का खेल। उन्होंने माना कि यद्यपि भाग्य भी साथ होना चाहिए मगर सर्वोपरि तो परिश्रम ही है। उन्होंने सभी वर्षों के छात्रों को राय दी कि वे 'The Hindu' समाचार-पत्र नियमित रूप से पढ़ें एवं अपने CGPA का भी ध्यान रखें ।
अंत में श्रोताओं ने सवाल पूछे जिनके उतर दीपक व प्रभाव ने दिये। प्रश्न BITS के तीनों कैम्पसों के विद्यार्थियों ने पूछे। सवाल-जवाब समाप्त होने पर दीपक व प्रभाव ने संस्थान के पुस्तकालय के लिए दो पुस्तकें प्रो॰ राहुल बनर्जी को भेंट की।अंत में प्रभाव ने बताया कि कैसे उन्होंने अपने एक IAS परीक्षा में सफल senior से पूछा था कि किस प्रकार सिविल सर्विसेज परीक्षा उत्तीर्ण की जाए। उन्हें जो उत्तर मिला, जो उन्हें आज भी प्रेरणा दे रहा है, वही उन्होंने श्रोताओं को दे दिया, “तुम बस मेहनत करो - तुम्हारा हो जाएगा” ।
हॉल पूर्ण रूप से भरा था, यहाँ तक कि खड़े होने को भी स्थान न बचा था। Video Conferencing के द्वारा बिट्स के गोवा और हैदराबाद कैंपस भी जुड़े हुए थे। परदे पर व्याख्यान का शीर्षक प्रोजेक्ट हो रहा था- From Pilani to Mussoorie।
श्री प्रभाव जोशी व दीपक पारिक ने अपने वक्तव्य की शुरुवात अपने संकाय एवं CGPA बता कर की जिससे एकाएक ही सभी विद्यार्थी मुस्करा उठे।
पुनः श्री प्रभाव जी ने वहाँ उपस्थित सभी शिक्षकों की भावुक वंदना में कहा कि गुरु वो दीप है जो अज्ञान-तिमिर का नाश करता है। प्रभाव ने अपने भाषण के मुद्दे स्पष्ट किये और शुरू में ही कहा कि वे BITS से सिविल सर्विसेज में होने वाले 17 से 20 चुनावों को दुगुना होते देखना चाहते हैं।
इसके बाद भारत की अब तक की तरक्की के बारे में चर्चा हुई जिसमें छात्रों व वक्ताओं ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान, चीन आदि पड़ोसी देशों से भारत के लोकतांत्रिक विकास को बेहतर माना। फिर चर्चा हुई भारत के विकास पथ में आ रही मुसीबतों की। श्रोताओं ने कई मुद्दे उठाए, जैसे- भ्रष्टाचार, निरक्षरता , आरक्षण, आतंकवाद और उससे उत्पन्न सामाजिक अस्थिरता, अराजकता, ब्रेन ड्रेन, स्वास्थ्य सम्बन्धी असुविधाएं आदि । प्रदीप ने इस प्रकार की चर्चा का लाभ बताते हुए बताया की उनसे भी साक्षात्कार में इन्हीं मुद्दों पर बोलने को कहा गया था। उन्होंने तथ्यों द्वारा स्पष्ट किया की भारत शिक्षा क्षेत्र में पिछड़ा हुआ है और अनुसंधान क्षेत्र में बहुत धीमी गति से विकसित हो रहा है। श्रोताओं की जागरूकता और चर्चा में जोश देखते हुए दीपक ने सभी से देश के लिए कुछ करने की शपथ लेने को कहा। दोनों वक्ता बीच-बीच में श्रोताओं को अपनी व्यंगात्मक टिप्पणियों से हंसाते रहे।
इसके बाद प्रभाव ने सिविल सेवाओं को राष्ट्र सेवा बताते हुए श्रोताओं को इसके गुण-दोषों से परिचित करवाया। उन्होंने कहा कि सेवा-निश्चितता, ऊँचे पद और पूर्ण स्वाभिमान एक सिविल सेवक को मिलते हैं। उन्होंने अपने प्रेरणा स्त्रोत रहे IAS समित शर्मा और उनके समाज के लिए किये गए कार्यों को उजागर किया जिन्हें श्रोताओं ने तालियों से सराहा। प्रभाव ने IAS समित शर्मा के प्रमुख कार्यों से अवगत करवाया और बताया की किस प्रकार वह राजस्व, विकास और कानून के मामले में आने वाली आम समस्याओं को दूर करते हैं। इसके बाद दीपक ने बताया कि परिवार से दूरी, भ्रष्टाचार, राजनीतिक दखलंदाजी आदि दोष सिविल सेवा में व्याप्त हैं। परीक्षा और चुनाव प्रक्रिया कीमती समय लेती है, वह समय जिसमें आप अन्य रोजगार नहीं कर सकते और सीटें खासकर सामान्य वर्ग के लिए सीटें बहुत कम होती हैं।
प्रभाव व दीपक ने फिर BITS की उपलब्धियों का उल्लेख करते हुए बताया कि AIR 1, 4, 13, 14, 23 और बहुतेरी गौरवपूर्ण रैंक हमारे संस्थान ने दी हैं। प्रति वर्ष यहाँ से लगभग 15 चुनाव होते है एवं स्वयं UPSC ने माना है की इसी संस्थान की सिविल सर्विस परीक्षा में पूरे भारत में सबसे अधिक उत्तीर्ण-प्रतिशत है। BITS का alumni network बहुत उद्यमी एवं सक्रिय है, जिसमें अब तक के BITS से बने नौकरशाह क्रियाशील हैं जो समय-समय पर संस्थान में पढ़ रहे अपने अनुजों की सहायता करते हैं। BITS का पाठ्यक्रम भी आई.ए.एस परीक्षा की तैयारी में सहायक है, यहाँ का अनुसंधान प्रधान माहौल सोच विकसित करता है एवं 'डुअल डिग्री स्कीम' सोच का दायरा बढ़ाने के साथ-साथ विद्यार्थी को अधिक साक्षर बनाती है।
उन्होंने बताया कि BITS में पढ़ने का, IAS परीक्षा उत्तीर्ण करने हेतु, यह नुकसान है कि विद्यार्थी IAS में पूछे गए लम्बे उत्तरों को तीव्रता से लिख पाने में सक्षम नहीं होते। यहाँ कई छात्र परिश्रम को उच्च प्राथमिकता नहीं देते एवं परिश्रमी को 'घोट' पुकारा जाता है। उनकी इस प्रकार की सरल और सटीक बात सुन श्रोता विस्मित हो गए।
इसके अतिरिक्त दीपक ने बताया की वैकल्पिक विषयों के रूप में विज्ञान विषय भी आजकल प्रसिद्ध हो रहे हैं एवं भविष्य में अभ्यार्थी इन्हें भी चुन सकते हैं।
परीक्षा की तैयारी की दौरान सामने आने वाली स्वास्थ्य एवं मस्तिष्क सम्बन्धी समस्याओं की भी चर्चा हुई । प्रभाव ने परीक्षा सम्बन्धी भ्रान्तियों को खारिज करते हुए कहा कि न ही यह परीक्षा अत्यंत कठिन है, न ही इसे प्रथम बार में पास करना असंभव है और न ही साक्षात्कार में पास होना सिर्फ और सिर्फ भाग्य का खेल। उन्होंने माना कि यद्यपि भाग्य भी साथ होना चाहिए मगर सर्वोपरि तो परिश्रम ही है। उन्होंने सभी वर्षों के छात्रों को राय दी कि वे 'The Hindu' समाचार-पत्र नियमित रूप से पढ़ें एवं अपने CGPA का भी ध्यान रखें ।
अंत में श्रोताओं ने सवाल पूछे जिनके उतर दीपक व प्रभाव ने दिये। प्रश्न BITS के तीनों कैम्पसों के विद्यार्थियों ने पूछे। सवाल-जवाब समाप्त होने पर दीपक व प्रभाव ने संस्थान के पुस्तकालय के लिए दो पुस्तकें प्रो॰ राहुल बनर्जी को भेंट की।अंत में प्रभाव ने बताया कि कैसे उन्होंने अपने एक IAS परीक्षा में सफल senior से पूछा था कि किस प्रकार सिविल सर्विसेज परीक्षा उत्तीर्ण की जाए। उन्हें जो उत्तर मिला, जो उन्हें आज भी प्रेरणा दे रहा है, वही उन्होंने श्रोताओं को दे दिया, “तुम बस मेहनत करो - तुम्हारा हो जाएगा” ।
यार मेरी ज़िंदगी
पिछले सप्ताह के अंत में बिट्स पिलानी के सन् 1969 बैच के छात्रों ने मिलकर बिट्स सभागार में “यार मेरी ज़िंदगी” नामक एक पूर्व छात्र सम्मेलन आयोजित किया| इस सम्मेलन में बिट्स 1969 बैच के करीब 180 छात्रों ने अपने परिवारों सहित भाग लिया। सर्वप्रथम बिट्स’69 बैच के छात्र जे.एस.कोल्चर ने सभी लोगों को संबोधित करते हुए अपनी याद को उजागर करते हुए बताया कि जब वह पहली बार सन् 1964 में दिल्ली से लोहारु आए थे, तब यह एक बीहड़ क्षेत्र था| रेलवे स्टेशन में रेल की पटरी के अतिरिक्त कुछ भी नहीं था| लोहारु से पिलानी के लिए जो बस थी उसमें खिड़कियाँ नहीं थी, ड्राइवर ने एक मशाल जलाकर इंजन को गर्म किया ताकि इंजन चालू हो सके। उस समय मन में यही था कि कहाँ फँस गए किन्तु जब हमारे कॉलेज की अवधि समाप्त हुई, तब बहुत लोगों की आँखें नम थीं क्योंकि अब पिलानी ही उनका घर बन चुका था और सब छात्र यहाँ से यादों का एक पिटारा लेकर जा रहे थे जो बड़ा ही दुर्लभ था। उन्होंने बताया कि मित्रता कई प्रकार की होती है, आप जिसके संग व्यापार करते है मित्रता उससे भी होती है परंतु विद्यालय तथा कॉलेज में होने वाली मित्रता ही पूर्णतय: स्वार्थहीन होती है। उन्होनें दुःख व्यक्त करते हुए कहा कि वे अपने 28 मित्रों को खो चुके हैं और शेष लोगों की ज़िंदगी भी अब अधिक नहीं रह गयी है परन्तु वे लोग सदा मित्रता के पवित्र बंधन में बंधे रहेंगे। उन्होंने इस 50 वर्ष पुरानी मित्रता को बरकरार रखने का पूर्ण श्रेय अपने मित्र मनोहर बहेती व अशोक सुरेखा जी को दिया। साथ ही उन्होंने वाइस चांसलर डॉ. बी.एन. जैन, निदेशक प्रोफेसर जी. रघुरामा, प्रोफेसर आर्य कुमार, डॉ. आर.के. मित्तल आदि का अभिनन्दन किया।
तत्पश्चात समारोह को संबोधित करने आए प्रोफेसर आर्य कुमार ने कहा कि यह हम सब के लिए एक यादगार पल है कि बिट्स’69 बैच के 180 से अधिक छात्र अपने परिवार सहित आज हमारे बीच उपस्थित हैं| उन्होनें बड़े गर्व से कहा कि उनके अनुसार से यह विश्व में अभी तक का सबसे बड़ा स्वर्ण जयंती समारोह होगा। बिट्स में स्वर्ण जयंती उत्सव का आरंभ सन् 1961 बैच से हो गया था किन्तु प्रत्येक वर्ष अभी तक अधिकतम 40 पूर्व छात्रों ने ही समारोह में भाग लिया था| उन्होंने बताया कि बिट्स’69 बैच में कुल 325 छात्र उत्तीर्ण हुए थे जिनमें से 55 छात्र आज विदेश में बसे हुए हैं और मुझे यह बताते हुए बड़ा गर्व हो रहा है कि उनमें से 15 छात्र विदेश से इस समारोह का हिस्सा बनने के लिए पिलानी आए हैं। आर्य कुमार ने कहा कि जब यह बैच बिट्स पिलानी में शिक्षा प्राप्त कर रहा था उस समय वे यहाँ थे तो नहीं पर उन्होनें उस समय के प्रोफेसरों से सुना है कि उन दिनों छात्र शनिवार को दूरदर्शन में प्रसारित होने वाली फिल्म को भी एक छोटे से टेलिविजन में देखा करते थे व उस समय छात्र नियमित रूप से शाम को मंदिर में एकत्रित होकर ‘शारदा प्रार्थना’ में भाग लेते थे। उन्होंने सभी को इस बात से भी अवगत करवाया कि इस बैच के कुछ वर्षों के अंतराल में होने वाले सभी सम्मेलन मनोहर बहेती, डॉ. अशोक सुरेखा व दीपक खोसला जी के परिश्रम का नतीजा है जिन्होंने सन् 1985 में अपने बैच के सभी छात्रों की एक निर्देशिका तैयार की और मित्रता का जश्न मनाने के लिए सम्मेलन का आयोजन प्रारंभ कर दिया। बिट्स’69 बैच का पहला सम्मेलन 1987 में हुआ व उसके पश्चात 1991,1994,1997,2003 में सम्मेलन आयोजित किए जाते रहे। बिट्स’69 बैच का अमेरिकी अध्याय सन् 2004 में वाशिंगटन डीसी में सम्पन्न हुआ।
यह हमारे लिए बड़े गर्व की बात है कि कोका कोला इंडिया द्वारा 31 अगस्त,2005 को जारी 2005 के ‘लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में एक ही बैच के पूर्व छात्र सम्मेलनों के लिए एक विश्व रिकॉर्ड के रूप में सूचीबद्ध किया गया है|
उनके बाद अपने विचारों को व्यक्त करने आए वाइस-चांसलर डॉ. बी.एन. जैन ने सभी को तहेदिल से नमस्कार किया और सभा को संबोधित करते हुए बताया कि आज बिट्स किसी ब्रांड से कम नहीं है और शायद इसीलिए सभी यहाँ आकर शिक्षित होना पसंद करते हैं|
इसके उपरांत संगीत समारोह की शुरुआत हुई। पूर्वछात्र मनोहर बहेती जी ने गायकों का परिचय देते हुए बताया कि संगीतकार चिंतन बाकीवाला ने गीत 'चैन दिल से फरार हो गया' में अपनी आवाज दी है व दक्षिणी फिल्मों के मशहूर निर्देशक नागेश कुमार जी ने इन्हें अपनी आने वाली फिल्म ‘किशोर-दा’ के गीतों में अपनी आवाज देने का मौका दिया है|इसके अलावा सिद्धार्थ कौर अभी हाल ही में गोवा में अपनी प्रस्तुति देकर आए हैं। दोनों दिग्गजों ने सुर से सुर मिलाते हुए 'यारी है ईमान मेरा', 'कुर्बानी', ‘तेरे जैसा यार कहाँ’ जैसे कई गीत प्रस्तुत किए। समारोह के अंत में बहेती जी ने सभी उपस्थित छात्रों को आगे बुलाया तथा सभी ने मिलकर बड़े जोश के साथ नृत्य भी किया। यह समारोह सभी के लिए एक अविस्मरणीय था|
तत्पश्चात समारोह को संबोधित करने आए प्रोफेसर आर्य कुमार ने कहा कि यह हम सब के लिए एक यादगार पल है कि बिट्स’69 बैच के 180 से अधिक छात्र अपने परिवार सहित आज हमारे बीच उपस्थित हैं| उन्होनें बड़े गर्व से कहा कि उनके अनुसार से यह विश्व में अभी तक का सबसे बड़ा स्वर्ण जयंती समारोह होगा। बिट्स में स्वर्ण जयंती उत्सव का आरंभ सन् 1961 बैच से हो गया था किन्तु प्रत्येक वर्ष अभी तक अधिकतम 40 पूर्व छात्रों ने ही समारोह में भाग लिया था| उन्होंने बताया कि बिट्स’69 बैच में कुल 325 छात्र उत्तीर्ण हुए थे जिनमें से 55 छात्र आज विदेश में बसे हुए हैं और मुझे यह बताते हुए बड़ा गर्व हो रहा है कि उनमें से 15 छात्र विदेश से इस समारोह का हिस्सा बनने के लिए पिलानी आए हैं। आर्य कुमार ने कहा कि जब यह बैच बिट्स पिलानी में शिक्षा प्राप्त कर रहा था उस समय वे यहाँ थे तो नहीं पर उन्होनें उस समय के प्रोफेसरों से सुना है कि उन दिनों छात्र शनिवार को दूरदर्शन में प्रसारित होने वाली फिल्म को भी एक छोटे से टेलिविजन में देखा करते थे व उस समय छात्र नियमित रूप से शाम को मंदिर में एकत्रित होकर ‘शारदा प्रार्थना’ में भाग लेते थे। उन्होंने सभी को इस बात से भी अवगत करवाया कि इस बैच के कुछ वर्षों के अंतराल में होने वाले सभी सम्मेलन मनोहर बहेती, डॉ. अशोक सुरेखा व दीपक खोसला जी के परिश्रम का नतीजा है जिन्होंने सन् 1985 में अपने बैच के सभी छात्रों की एक निर्देशिका तैयार की और मित्रता का जश्न मनाने के लिए सम्मेलन का आयोजन प्रारंभ कर दिया। बिट्स’69 बैच का पहला सम्मेलन 1987 में हुआ व उसके पश्चात 1991,1994,1997,2003 में सम्मेलन आयोजित किए जाते रहे। बिट्स’69 बैच का अमेरिकी अध्याय सन् 2004 में वाशिंगटन डीसी में सम्पन्न हुआ।
यह हमारे लिए बड़े गर्व की बात है कि कोका कोला इंडिया द्वारा 31 अगस्त,2005 को जारी 2005 के ‘लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स’ में एक ही बैच के पूर्व छात्र सम्मेलनों के लिए एक विश्व रिकॉर्ड के रूप में सूचीबद्ध किया गया है|
उनके बाद अपने विचारों को व्यक्त करने आए वाइस-चांसलर डॉ. बी.एन. जैन ने सभी को तहेदिल से नमस्कार किया और सभा को संबोधित करते हुए बताया कि आज बिट्स किसी ब्रांड से कम नहीं है और शायद इसीलिए सभी यहाँ आकर शिक्षित होना पसंद करते हैं|
इसके उपरांत संगीत समारोह की शुरुआत हुई। पूर्वछात्र मनोहर बहेती जी ने गायकों का परिचय देते हुए बताया कि संगीतकार चिंतन बाकीवाला ने गीत 'चैन दिल से फरार हो गया' में अपनी आवाज दी है व दक्षिणी फिल्मों के मशहूर निर्देशक नागेश कुमार जी ने इन्हें अपनी आने वाली फिल्म ‘किशोर-दा’ के गीतों में अपनी आवाज देने का मौका दिया है|इसके अलावा सिद्धार्थ कौर अभी हाल ही में गोवा में अपनी प्रस्तुति देकर आए हैं। दोनों दिग्गजों ने सुर से सुर मिलाते हुए 'यारी है ईमान मेरा', 'कुर्बानी', ‘तेरे जैसा यार कहाँ’ जैसे कई गीत प्रस्तुत किए। समारोह के अंत में बहेती जी ने सभी उपस्थित छात्रों को आगे बुलाया तथा सभी ने मिलकर बड़े जोश के साथ नृत्य भी किया। यह समारोह सभी के लिए एक अविस्मरणीय था|
छात्र-संघ चुनाव 2014
ऑडी डिबेट
'संदेश' स्वतन्त्रता दिवस का :
बिट्स मेल पर 13 अगस्त को एक मेल आया था, स्वतंत्रता दिवस समारोह का आमंत्रण संदेश लेकर| शायद आपने भी पढ़ा होगा| आज पंद्रह अगस्त है, और सुबह नौ बजे मेडिकल सेंटर ग्राउंड में कुछ लोग एकत्रित होकर जन-गण-मन गाते दिखे| माना कि झंडे के नीचे खड़े होकर वंदे मातरम और जन-गण-मन गाना देशभक्ति का कोई पैमाना नहीं होता|
मगर यह भी नहीं समझ आता कि जो भीड़ “भाई” की 155 मिनट की किक देखने खचा-खच भरे ऑडिटोरियम तक जा सकती है, वही भीड़ दो दिन बाद राष्ट्रीय पर्व का हिस्सा बनने के लिए अपनी व्यस्त ज़िंदगी से 30 मिनट भी निकालना उचित क्यों नहीं समझती?
खैर, आप सभी को हिन्दी प्रेस परिवार की ओर से स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ|
मगर यह भी नहीं समझ आता कि जो भीड़ “भाई” की 155 मिनट की किक देखने खचा-खच भरे ऑडिटोरियम तक जा सकती है, वही भीड़ दो दिन बाद राष्ट्रीय पर्व का हिस्सा बनने के लिए अपनी व्यस्त ज़िंदगी से 30 मिनट भी निकालना उचित क्यों नहीं समझती?
खैर, आप सभी को हिन्दी प्रेस परिवार की ओर से स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ|
प्रवाह - 5 अगस्त 2014 प्रथम |
प्रवाह -16 अप्रैल 2014 |
प्रोजेक्ट परिवर्तन पर डायरेक्टर से वार्ता
अपनी स्थापना की पचासवीं वर्षगाँठ के अवसर पर बिट्स पिलानी का पिलानी परिसर खुद को विश्वस्तरीय मानकों पर सँवारने के लिए ‘प्रोजेक्ट परिवर्तन’ नामक अभियान में जुटा है| परिसर में हो रहे इन निरंतर परिवर्तनों पर लग रहे कयासों और छात्रों के मन में उठ रहे विभिन्न प्रश्नों का प्रामाणिक उत्तर जानने के लिए डायरेक्टर जी.रघुरामा से खास वार्तालाप हुई| इस वार्तालाप के दौरान प्रोफेसर रघुरामा ने प्रोजेक्ट परिवर्तन के हर पहलू पर अपने विचार साझा किये|
उनके अनुसार इसकी शुरुआत वर्ष 2010 से हुई जब परिसर में आधारभूत सरंचनाओं में आवश्यक परिवर्तन की ओर ध्यान देना शुरू किया गया| प्रारम्भ में इसका प्रस्ताव केवल संसाधनों की वृद्धि तक सीमीत था, परन्तु कुछ उच्च-स्तरीय मीटिंग्स के पश्चात इसमें मौजूदा संसाधनों के नवीनीकरण को भी शामिल किया गया| यह पूरा अभियान मुख्यतः 3 बिंदुओं पर केंद्रित किया गया है-
1.शिक्षा में तकनीक का प्रयोग
2.हमारे औद्योगिक अनुबंध
3.रिसर्च सम्बंधित
उनके अनुसार जहाँ अभी हमारे परिसर में छात्रों की संख्या लगभग 4300 है, वर्ष 2020 तक यह बढ़कर 5800हो जाएगी| अगले शैक्षणिक सत्र में 900 के लगभग छात्र प्रथम वर्ष में प्रवेश लेंगें और 2020 तक यह संख्या 1040 होगी| शिक्षकों की संख्या भी 280 से बढ़कर 400 होगी और पी.एच.डी. के छात्रों की संख्या में भी इज़ाफ़ा होगा| इस वृद्धि के परिणामस्वरूप हमें नए शैक्षिक और आवासीय भवन समूह की आवश्यकता होगी| इसी को ध्यान में रखकर ‘प्रोजेक्ट परिवर्तन’ क्रियान्वित किया गया था| इसके अंतर्गत 200 छात्रों की क्षमता वाले एक नए भवन का निर्माण वी-फास्ट के समीप ही किया गया है| पुराने आवासीय भवनों के नवीनीकरण की शुरुआत राम भवन से शुरू हो चुकी है, जिसका कार्य इस वर्ष की समाप्ति तक संपन्न हो जाएगा| राम भवन में सारे फर्श एवं फर्नीचर बदल दिए जाएंगे| इसके अलावा नए कक्ष भी बनाए जाएंगें और परिणामस्वरूप छोटे हुए QT को ज्यादा आकर्षक बनाया जाएगा| बाथरूम्स का पुनर्निर्माण होगा और नयी वायरिंग डाली जाएगी| इसके साथ ही लैन हटा कर भवन को wi-fi प्रदान किया जाएगा| राम भवन में यह प्लान सफल होने के बाद सारे भवनों में इसी तर्ज़ पर काम किया जाएगा और यह कार्य 2017 तक समाप्त हो जाएगा|| वर्कशॉप का पूर्ण स्थानांतरण लगभग 2 वर्ष पश्चात होगा और पुरानी वर्कशॉप का भी उचित इस्तेमाल किया जाएगा| समस्त फैकल्टी डिविज़न का भी नवीनीकरण होगा और उनमें wi-fi की सुविधा भी प्रदान की जाएगी, साथ ही उनमें कुछ महत्वपूर्ण जगह वातानुकूलित भी होगी जैसे की समस्त फैकल्टी कक्ष| शैक्षणिक भवन समूहों के नवीनीकरण का कार्य 2016 तक समाप्त होने की संभावना है|
वर्त्तमान में जहाँ विद्युत आपूर्ति B.E.T. के पावर स्टेशन द्वारा पूरी की जाती है, भविष्य में यह बिट्स के खुद के पावर स्टेशन से पूरी की जाएगी| यह स्टेशन SR भवन के नज़दीक स्थित होगा और तब विद्युत आपर्ति वर्तमान में उप्लब्ध 11kw से बढ़कर 33kw होगी| क्योंकि पिलानी में पानी की कमी के चलते पानी को बचाए रखना बहुत ज़रूरी है इसलिए नया वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट भी स्थापित किया जाएगा, जिसके पश्चात वर्तमान में रीसाइकिल हो रहे 1 मिलियन लीटर पानी की मात्रा बढकर 2.5 मिलियन लीटर हो जाएगी| यह पानी भवनों में फ्लशिंग और परिसर में हरियाली कायम रखने के काम आएगा| बिट्स ऑडी का नवीनीकरण किया जाएगा जिसके अंतर्गत इसे ज़्यादा आरामदायक बनाया जाएगा और पूर्णतः वातानुकूलित किया जाएगा| इसके अलावा खेल सुविधाओं पर भी ध्यान दिया जाएगा, जैसे कि नया टेनिस कोर्ट, एथेलेटिक्स ट्रैक, क्रिकेट मैदान, हॉकी मैदान और एक वॉलीबाल कोर्ट बनाया जाएगा| स्विमिंग पूल का भी पुनर्निर्माण करवा कर उसे फिर से शुरू किया जाएगा| यह सारा कार्य वर्ष 2015 तक पूरा हो जाएगा| नए शैक्षणिक ब्लॉक की खूबियाँ बताते हुए रघुरामा सर ने कहा कि इसमें मौजूद हरियाली न केवल खूबसूरती बढ़ाने के लिए है बल्कि इससे तापमान नियंत्रण में भी मदद मिलेगी| साथ ही दीवारों और खिड़कियों में कैविटी का इस्तेमाल किया गया है| बारिश के समय किसी समस्या से बचने के लिए वाटर पिट्स बनाए गए हैं, जिनसे पम्प होकर पानी जी.डी. बिरला की मूर्ती के पीछे निर्माणाधीन तालाब में एकत्रित होगा|
उनके अनुसार हर साल लैब्स के नवीनीकरण पर कुछ करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगें| सिविल और केमिकल विभाग को इससे काफी फ़ायदा पहुंचेगा और एफ.डी. में खाली हुए कक्ष इन विभागों के विस्तार के काम आ सकेंगें| फार्मेसी की लैब्स का कार्य काफी हद तक पूरा हो चुका है| बायोलॉजी लैब को अच्छे संसाधन व पहले से ज्यादा स्थान मिलेगा| फ़िज़िक्स और केमिस्ट्री लैब भी अगले कुछ महीनों में अच्छे स्तर की हो जाएगीं| यह डिपार्टमेंट्स नए शैक्षणिक ब्लॉक में स्थानांतरित किये जायेंगें –social sciences, economics, finance, management ,CS,IS, mathematics। इसके साथ ही i.p.c. यूनिट भी स्थानांतरित होगा| प्रो. ने बताया की हमारा संस्थान रिसर्च के क्षेत्र में प्रगति करने के लिए प्रयत्नरत है और इसके लिए शिक्षकों की भर्ती ज़ोरों पर है| इसके साथ ही water, waste और energy के क्षेत्र में रिसर्च के लिए एक अनुसंधान केंद्र खोला जाएगा, जिसमें तीनों परिसर हिस्सा लेंगें| उनहोंने बताया कि BITSAT को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित किया जाएगा, ताकि हमारे छात्रों को विभिन्न सभ्यता-संस्कृति से परिचित होने का मौक़ा मिले| नवीन प्रक्रियाओं व उद्यमिता के क्षेत्र में अग्रसर होने के लिए सी.ई.एल. का विस्तार किया जाएगा|
प्रोफ़ेसर ने समस्त बिट्सियन्स से अपील की है कि नए शैक्षणिक भवन समूह का ज़्यादा से ज़्यादा उपयोग करें और परिसर को साफ़-सुथरा बनाने में सहयोग दें| नए शैक्षणिक भवनों की गरिमा को ठेस पहुंचाने पर यह समझा जाएगा कि यहाँ के छात्र इनके योग्य नहीं थे|अतः छात्र अपने सर्वांगीण विकास के लिए इन संसाधनों का फ़ायदा उठाये और संस्थान के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करें|
उनके अनुसार इसकी शुरुआत वर्ष 2010 से हुई जब परिसर में आधारभूत सरंचनाओं में आवश्यक परिवर्तन की ओर ध्यान देना शुरू किया गया| प्रारम्भ में इसका प्रस्ताव केवल संसाधनों की वृद्धि तक सीमीत था, परन्तु कुछ उच्च-स्तरीय मीटिंग्स के पश्चात इसमें मौजूदा संसाधनों के नवीनीकरण को भी शामिल किया गया| यह पूरा अभियान मुख्यतः 3 बिंदुओं पर केंद्रित किया गया है-
1.शिक्षा में तकनीक का प्रयोग
2.हमारे औद्योगिक अनुबंध
3.रिसर्च सम्बंधित
उनके अनुसार जहाँ अभी हमारे परिसर में छात्रों की संख्या लगभग 4300 है, वर्ष 2020 तक यह बढ़कर 5800हो जाएगी| अगले शैक्षणिक सत्र में 900 के लगभग छात्र प्रथम वर्ष में प्रवेश लेंगें और 2020 तक यह संख्या 1040 होगी| शिक्षकों की संख्या भी 280 से बढ़कर 400 होगी और पी.एच.डी. के छात्रों की संख्या में भी इज़ाफ़ा होगा| इस वृद्धि के परिणामस्वरूप हमें नए शैक्षिक और आवासीय भवन समूह की आवश्यकता होगी| इसी को ध्यान में रखकर ‘प्रोजेक्ट परिवर्तन’ क्रियान्वित किया गया था| इसके अंतर्गत 200 छात्रों की क्षमता वाले एक नए भवन का निर्माण वी-फास्ट के समीप ही किया गया है| पुराने आवासीय भवनों के नवीनीकरण की शुरुआत राम भवन से शुरू हो चुकी है, जिसका कार्य इस वर्ष की समाप्ति तक संपन्न हो जाएगा| राम भवन में सारे फर्श एवं फर्नीचर बदल दिए जाएंगे| इसके अलावा नए कक्ष भी बनाए जाएंगें और परिणामस्वरूप छोटे हुए QT को ज्यादा आकर्षक बनाया जाएगा| बाथरूम्स का पुनर्निर्माण होगा और नयी वायरिंग डाली जाएगी| इसके साथ ही लैन हटा कर भवन को wi-fi प्रदान किया जाएगा| राम भवन में यह प्लान सफल होने के बाद सारे भवनों में इसी तर्ज़ पर काम किया जाएगा और यह कार्य 2017 तक समाप्त हो जाएगा|| वर्कशॉप का पूर्ण स्थानांतरण लगभग 2 वर्ष पश्चात होगा और पुरानी वर्कशॉप का भी उचित इस्तेमाल किया जाएगा| समस्त फैकल्टी डिविज़न का भी नवीनीकरण होगा और उनमें wi-fi की सुविधा भी प्रदान की जाएगी, साथ ही उनमें कुछ महत्वपूर्ण जगह वातानुकूलित भी होगी जैसे की समस्त फैकल्टी कक्ष| शैक्षणिक भवन समूहों के नवीनीकरण का कार्य 2016 तक समाप्त होने की संभावना है|
वर्त्तमान में जहाँ विद्युत आपूर्ति B.E.T. के पावर स्टेशन द्वारा पूरी की जाती है, भविष्य में यह बिट्स के खुद के पावर स्टेशन से पूरी की जाएगी| यह स्टेशन SR भवन के नज़दीक स्थित होगा और तब विद्युत आपर्ति वर्तमान में उप्लब्ध 11kw से बढ़कर 33kw होगी| क्योंकि पिलानी में पानी की कमी के चलते पानी को बचाए रखना बहुत ज़रूरी है इसलिए नया वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट भी स्थापित किया जाएगा, जिसके पश्चात वर्तमान में रीसाइकिल हो रहे 1 मिलियन लीटर पानी की मात्रा बढकर 2.5 मिलियन लीटर हो जाएगी| यह पानी भवनों में फ्लशिंग और परिसर में हरियाली कायम रखने के काम आएगा| बिट्स ऑडी का नवीनीकरण किया जाएगा जिसके अंतर्गत इसे ज़्यादा आरामदायक बनाया जाएगा और पूर्णतः वातानुकूलित किया जाएगा| इसके अलावा खेल सुविधाओं पर भी ध्यान दिया जाएगा, जैसे कि नया टेनिस कोर्ट, एथेलेटिक्स ट्रैक, क्रिकेट मैदान, हॉकी मैदान और एक वॉलीबाल कोर्ट बनाया जाएगा| स्विमिंग पूल का भी पुनर्निर्माण करवा कर उसे फिर से शुरू किया जाएगा| यह सारा कार्य वर्ष 2015 तक पूरा हो जाएगा| नए शैक्षणिक ब्लॉक की खूबियाँ बताते हुए रघुरामा सर ने कहा कि इसमें मौजूद हरियाली न केवल खूबसूरती बढ़ाने के लिए है बल्कि इससे तापमान नियंत्रण में भी मदद मिलेगी| साथ ही दीवारों और खिड़कियों में कैविटी का इस्तेमाल किया गया है| बारिश के समय किसी समस्या से बचने के लिए वाटर पिट्स बनाए गए हैं, जिनसे पम्प होकर पानी जी.डी. बिरला की मूर्ती के पीछे निर्माणाधीन तालाब में एकत्रित होगा|
उनके अनुसार हर साल लैब्स के नवीनीकरण पर कुछ करोड़ रुपये खर्च किये जाएंगें| सिविल और केमिकल विभाग को इससे काफी फ़ायदा पहुंचेगा और एफ.डी. में खाली हुए कक्ष इन विभागों के विस्तार के काम आ सकेंगें| फार्मेसी की लैब्स का कार्य काफी हद तक पूरा हो चुका है| बायोलॉजी लैब को अच्छे संसाधन व पहले से ज्यादा स्थान मिलेगा| फ़िज़िक्स और केमिस्ट्री लैब भी अगले कुछ महीनों में अच्छे स्तर की हो जाएगीं| यह डिपार्टमेंट्स नए शैक्षणिक ब्लॉक में स्थानांतरित किये जायेंगें –social sciences, economics, finance, management ,CS,IS, mathematics। इसके साथ ही i.p.c. यूनिट भी स्थानांतरित होगा| प्रो. ने बताया की हमारा संस्थान रिसर्च के क्षेत्र में प्रगति करने के लिए प्रयत्नरत है और इसके लिए शिक्षकों की भर्ती ज़ोरों पर है| इसके साथ ही water, waste और energy के क्षेत्र में रिसर्च के लिए एक अनुसंधान केंद्र खोला जाएगा, जिसमें तीनों परिसर हिस्सा लेंगें| उनहोंने बताया कि BITSAT को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित किया जाएगा, ताकि हमारे छात्रों को विभिन्न सभ्यता-संस्कृति से परिचित होने का मौक़ा मिले| नवीन प्रक्रियाओं व उद्यमिता के क्षेत्र में अग्रसर होने के लिए सी.ई.एल. का विस्तार किया जाएगा|
प्रोफ़ेसर ने समस्त बिट्सियन्स से अपील की है कि नए शैक्षणिक भवन समूह का ज़्यादा से ज़्यादा उपयोग करें और परिसर को साफ़-सुथरा बनाने में सहयोग दें| नए शैक्षणिक भवनों की गरिमा को ठेस पहुंचाने पर यह समझा जाएगा कि यहाँ के छात्र इनके योग्य नहीं थे|अतः छात्र अपने सर्वांगीण विकास के लिए इन संसाधनों का फ़ायदा उठाये और संस्थान के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन करें|
वॉलमैग अपोजी -2014
प्रवाह 26/2/2K14
इंटरफेस
इंतज़ार की घड़ी समाप्त हो ही गयी| आख़िर वो वक़्त आ ही गया, जिसकी सभी प्रबंधन संकाय के छात्र-छात्राएँ बेसब्री से राह देख रहे थे| "इंटरफेस" ने दस्तक दे ही दी| "इंटरफेस" बिट्स पिलानी के प्रबंधन संघ के छात्रों द्वारा आयोजित एक राष्ट्रीय प्रबंधन कन्वेंशन है|
3 दिवसीय प्रबंधन फेस्ट "इंटरफेस" के 37वें चरण का उदघाटन 31 जनवरी को संध्याकाल 5:30 बजे LTC में हुआ| इस उद्घाटन समारोह के कार्यक्रम का प्रारंभ प्रोफेसर जी.रघुरामा ने किया| उन्होंने अपने भाषण में इस वर्ष के इंटरफेस की थीम "रण-नीति" को ध्यान में रखते हुए बिट्स पिलानी में अपनाई हुई रणनीति का बखूबी वर्णन किया| साथ ही उन्होंने टीम में एकजुट होकर काम करने की बात कही|
इंटरफेस के उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध कंपनी "टाटा टेली सर्वीसेज़" के उपाध्यक्ष "श्री हर्ष जुनेजा" उपस्थित थे| वहीं गेस्ट ऑफ ऑनर "कोका कोला इंडिया" के वरिष्ठ प्रबंधक "श्री समीर पाठक" थे|
समारोह के मुख्य अतिथि श्री हर्ष जुनेजा ने अपने भाषण में सफलता का फ़ॉर्मूला छात्रों को दिया| उन्होंने सफलता की "सीडी" कुछ इस तरह व्यक्त की: एस- सिंपल, आई- इन्फ़ॉर्मेशन गॅदरिंग, डी- ड्राइव, आई- इंप्रूव्मेंट| उनका अनुभव उनके शब्दों में साफ़ प्रतीत हो रहा था|
इसके बाद गेस्ट ऑफ ऑनर समीर पाठक ने अपने अनोखे अंदाज़ में भाषण दिया| उन्होंने भी व्यापार के अपने कुछ नये एवं अद्भुत तरीकों से छात्रों को अवगत करवाया तथा उनका मार्गदर्शन किया| उन्होंने अपने भाषण में "क्वेस्चनिंग" और "फीडबैक" पर ज़ोर डाला|
सभी प्रबंधन संघ के छात्र-छात्राएँ वहाँ पर मौजूद थे और अनुशासन भी प्रशंसनीय था| इन तैयारियों से ही इस फेस्ट की सफलता का अंदाज़ा लगाया जा सकता था| इसके पश्चात बिज़- क्विज़ का आयोजन किया गया, जिसके साथ इंटरफेस का प्रथम दिवस समाप्त हुआ|
3 दिवसीय प्रबंधन फेस्ट "इंटरफेस" के 37वें चरण का उदघाटन 31 जनवरी को संध्याकाल 5:30 बजे LTC में हुआ| इस उद्घाटन समारोह के कार्यक्रम का प्रारंभ प्रोफेसर जी.रघुरामा ने किया| उन्होंने अपने भाषण में इस वर्ष के इंटरफेस की थीम "रण-नीति" को ध्यान में रखते हुए बिट्स पिलानी में अपनाई हुई रणनीति का बखूबी वर्णन किया| साथ ही उन्होंने टीम में एकजुट होकर काम करने की बात कही|
इंटरफेस के उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में सुप्रसिद्ध कंपनी "टाटा टेली सर्वीसेज़" के उपाध्यक्ष "श्री हर्ष जुनेजा" उपस्थित थे| वहीं गेस्ट ऑफ ऑनर "कोका कोला इंडिया" के वरिष्ठ प्रबंधक "श्री समीर पाठक" थे|
समारोह के मुख्य अतिथि श्री हर्ष जुनेजा ने अपने भाषण में सफलता का फ़ॉर्मूला छात्रों को दिया| उन्होंने सफलता की "सीडी" कुछ इस तरह व्यक्त की: एस- सिंपल, आई- इन्फ़ॉर्मेशन गॅदरिंग, डी- ड्राइव, आई- इंप्रूव्मेंट| उनका अनुभव उनके शब्दों में साफ़ प्रतीत हो रहा था|
इसके बाद गेस्ट ऑफ ऑनर समीर पाठक ने अपने अनोखे अंदाज़ में भाषण दिया| उन्होंने भी व्यापार के अपने कुछ नये एवं अद्भुत तरीकों से छात्रों को अवगत करवाया तथा उनका मार्गदर्शन किया| उन्होंने अपने भाषण में "क्वेस्चनिंग" और "फीडबैक" पर ज़ोर डाला|
सभी प्रबंधन संघ के छात्र-छात्राएँ वहाँ पर मौजूद थे और अनुशासन भी प्रशंसनीय था| इन तैयारियों से ही इस फेस्ट की सफलता का अंदाज़ा लगाया जा सकता था| इसके पश्चात बिज़- क्विज़ का आयोजन किया गया, जिसके साथ इंटरफेस का प्रथम दिवस समाप्त हुआ|
आरोहन – अपोजी 2014
दिल्ली, मुम्बई एवं हैदराबाद सहित देश के 17 शहरों में आयोजित आरोहन अपने पहले ही संस्करण में प्रतिभावान विद्यार्थियों के लिए राष्ट्रीय स्तर पर अपनी योग्यता प्रदर्शित करने का स्वर्णिम मंच सिद्ध हुआ।
अपोजी 2014 की प्रख्याति एवं अनुदान संचयन के उद्देश्य से आयोजित इस प्रतियोगी परीक्षा में देश के विभिन्न हिस्सों से 42 विद्यालयों के 5000 से अधिक विद्यार्थी शरीक हुए। आरोहन भी बिटसेट की तर्ज पर आयोजित किया गया था। प्रतिभागी अपनी सुविधानुसार ब्रैनियाक एवं कोड वॉयज में से दोनों या किसी एक इवेंट में शामिल हो सकते थे। विद्यार्थी अपने विद्यालय के माध्यम से प्रत्येक इवेंट के लिए 100 रुपए की फीस जमा करा कर पंजीकरण करा सकते थे। ब्रैनियाक ने जहाँ प्रतिभागियों की तार्किक योग्यता और सामान्य विज्ञान के सिद्धांतो के अनुप्रयोग की क्षमता को परखा, वहीँ कोड वॉयज ने उनकी कोडिंग क्षमता एवं संगणक भाषा ज्ञान का आंकलन किया। कोड वॉयज में प्रतिभागियों को सी, सी++, जावा या पाईथन में कोडिंग करनी थी।
इस पर और जानकारी प्राप्त करने के लिए एच.पी.सी. के सदस्यों ने पी. सी. आर. के कॉस्टन शुभित से मुलाक़ात की| उन्होंने बताया कि आरोहन के माध्यम से अपोजी को तक़रीबन 3 लाख से अधिक आमदनी हुई है। शुभित के अनुसार कॉस्टा पिछले 3-4 वर्षों से आरोहन के आयोजन पर विचार कर रही थी, परन्तु इतने बड़े प्रोज़ेक्ट की जिम्मेदारी आसान नहीं थी। इसी कारण इस वर्ष डिपार्टमेंट ऑफ़ एक्सटर्नल अफेयर्स(डी. इ. ए.) का गठन किया गया। डी. इ. ए. का मुख्य काम आरोहन आयोजित करवाना एवं फेस्ट के लिए कैम्पस एम्बेसेडर मैनेज करना होगा। उन्होंने बताया कि 3-4 दिनों में इस नए डिपार्टमेंट के लिए रिक्रूटमेंट(भर्ती) प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
पहला संस्करण होने के कारण आयोजन में कुछ खामियां तो अवश्यंभावी थी ही; आरोहन की अंतिम रैन्किंग्स जनवरी के दूसरे सप्ताह में आनी थी परन्तु छुट्टियों के कारण देरी हो गई। शुभित के अनुसार 1 सप्ताह में परिणाम घोषित हो जायेगा। उन्होंने बताया कि चूँकि व्यक्तिगत परिणाम तो घोषित हो ही चुके है अत: उन्हें परिणाम में जल्दबाजी की जरुरत नहीं है। वहीँ कम भागीदारी के लिए उन्होंने समय की कमी को जिम्मेदार ठहराया। इसके अलावा अधिकांश विद्यालयों में इन्टरनेट के अभाव के कारण कोड वॉयज को ऑफलाइन आयोजित करवाना पड़ा। कुछ अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण हुई सॉफ्टवेयर में मामूली खामियों का ज़िक्र भी किया गया।
ब्रैनियाक में कुछ प्रश्नों का स्तर विद्यार्थियों की कक्षा से अधिक होने के सवाल पर शुभित ने बताया कि आरोहन के लिए प्रश्न बनाने का काम कॉस्टा ने सभी एसॉक्स को सौंपा था, और चूँकि यह प्रथम संस्करण होने के कारण एसॉक्स को भी अनुभव की कमी थी।
अपोजी 2014 की प्रख्याति एवं अनुदान संचयन के उद्देश्य से आयोजित इस प्रतियोगी परीक्षा में देश के विभिन्न हिस्सों से 42 विद्यालयों के 5000 से अधिक विद्यार्थी शरीक हुए। आरोहन भी बिटसेट की तर्ज पर आयोजित किया गया था। प्रतिभागी अपनी सुविधानुसार ब्रैनियाक एवं कोड वॉयज में से दोनों या किसी एक इवेंट में शामिल हो सकते थे। विद्यार्थी अपने विद्यालय के माध्यम से प्रत्येक इवेंट के लिए 100 रुपए की फीस जमा करा कर पंजीकरण करा सकते थे। ब्रैनियाक ने जहाँ प्रतिभागियों की तार्किक योग्यता और सामान्य विज्ञान के सिद्धांतो के अनुप्रयोग की क्षमता को परखा, वहीँ कोड वॉयज ने उनकी कोडिंग क्षमता एवं संगणक भाषा ज्ञान का आंकलन किया। कोड वॉयज में प्रतिभागियों को सी, सी++, जावा या पाईथन में कोडिंग करनी थी।
इस पर और जानकारी प्राप्त करने के लिए एच.पी.सी. के सदस्यों ने पी. सी. आर. के कॉस्टन शुभित से मुलाक़ात की| उन्होंने बताया कि आरोहन के माध्यम से अपोजी को तक़रीबन 3 लाख से अधिक आमदनी हुई है। शुभित के अनुसार कॉस्टा पिछले 3-4 वर्षों से आरोहन के आयोजन पर विचार कर रही थी, परन्तु इतने बड़े प्रोज़ेक्ट की जिम्मेदारी आसान नहीं थी। इसी कारण इस वर्ष डिपार्टमेंट ऑफ़ एक्सटर्नल अफेयर्स(डी. इ. ए.) का गठन किया गया। डी. इ. ए. का मुख्य काम आरोहन आयोजित करवाना एवं फेस्ट के लिए कैम्पस एम्बेसेडर मैनेज करना होगा। उन्होंने बताया कि 3-4 दिनों में इस नए डिपार्टमेंट के लिए रिक्रूटमेंट(भर्ती) प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
पहला संस्करण होने के कारण आयोजन में कुछ खामियां तो अवश्यंभावी थी ही; आरोहन की अंतिम रैन्किंग्स जनवरी के दूसरे सप्ताह में आनी थी परन्तु छुट्टियों के कारण देरी हो गई। शुभित के अनुसार 1 सप्ताह में परिणाम घोषित हो जायेगा। उन्होंने बताया कि चूँकि व्यक्तिगत परिणाम तो घोषित हो ही चुके है अत: उन्हें परिणाम में जल्दबाजी की जरुरत नहीं है। वहीँ कम भागीदारी के लिए उन्होंने समय की कमी को जिम्मेदार ठहराया। इसके अलावा अधिकांश विद्यालयों में इन्टरनेट के अभाव के कारण कोड वॉयज को ऑफलाइन आयोजित करवाना पड़ा। कुछ अपरिहार्य परिस्थितियों के कारण हुई सॉफ्टवेयर में मामूली खामियों का ज़िक्र भी किया गया।
ब्रैनियाक में कुछ प्रश्नों का स्तर विद्यार्थियों की कक्षा से अधिक होने के सवाल पर शुभित ने बताया कि आरोहन के लिए प्रश्न बनाने का काम कॉस्टा ने सभी एसॉक्स को सौंपा था, और चूँकि यह प्रथम संस्करण होने के कारण एसॉक्स को भी अनुभव की कमी थी।
ओ.आर.सी. 2013
15 नवंबर की शाम सैक एम्फी की सर्दी के बीच भी कर्तव्यपरायणता की अनूठी मिसाल पेश करते हुए बिट्स की स्टूडेंट यूनियन और ओएसिस में अपना पसीना बहाने वाले सभी क्लब्स और डिपार्टमेंट्स के समन्वयक और स्टूकंस ओ.आर.सी. की मीटिंग के लिए जमा हुए| इस मीटिंग में जहाँ सभी क्लब्स को ओएसिस के दौरान उपजे हुए गिले शिकवे दूर करने में मदद मिली, वहीं सभी को अपनी खूबियों और खामियों के बारे में भी जानने का मौक़ा मिला| इस 43वें ओ.आर.सी. की शुरुआत अध्यक्ष आदित्य भट्ट ने ए.डी.पी. को बोलने का मौक़ा देकर की| ए.डी.पी. ने अपने द्वारा किये गए कामों का ब्यौरा देते हुए लाइट्स डिपार्टमेंट पर आरोप भी लगाए, जिनका निष्कर्ष आपसी संवाद में उपजी परेशानियाँ थीं| महासचिव वैभव सिंह ने ए.डी.पी. को भविष्य में काम जल्दी शुरू करने को कहा| कंट्रोल्स स्टूकन रोहन देसाई ने अपने काम का पूर्ण ब्यौरा दिया| पी.सी.आर. ने बाहरी आगंतुकों से फीडबैक लेने का अपना मत रखा और इस वर्ष प्रतिभागियों की बढ़ी हुई संख्या पर बधाई भी दी| स्पॉन्ज़ ने बताया कि इस वर्ष पिछले सभी वर्षों से ज्यादा राशि प्रायोजकों से मिली है| 24.75 लाख की कुल प्रायोजक राशि 41 कंपनियों से मिली है| गुरुकुल और हैस को पर्याप्त स्पोंसरशिप न मिल पाने का व प्रोफ शो एन.टू.ओ. में killer को kiiler लिखने पर आपत्ति हुई थी| स्टेज़ कंट्रोल्स के अनुसार उन्हें हर शो में अपेक्षित सफलताएँ मिलीं| हालांकि लगभग सभी स्टेज़ से जुड़े क्लब्स को उनसे कुछेक समस्याएँ थी, जिनका कारण तकनीकी खराबी होना पता चला| क्लब्स की शुरुआत आरबिट्स से हुई, जिन्हें किसी से कोई खास शिकायत नहीं थी| अध्यक्ष आदित्य भट्ट ने उन्हें डिज़ाइंस एवं स्ट्रक्चर्स में हुई देरी के लिए जवाबदेह समझा और भविष्य में ऐसा न होने की हिदायत दी| ऑडी फोर्स की झंकार से हुई नोकझोंक का सभी ने जमकर लुत्फ़ उठाया| ऑडी फोर्स को सोनिक स्टाम्पीड के दौरान बेरिकेड्स ना होने के कारण खुद उसका मजा ना ले पाने का गम था| उनके संचालक ने बार-बार DC के वीडियो में उनके खड़े रहने का ज़िक्र किया, जिससे सभी हंस कर बेहाल हो गए| हैस को उनसे एन.टू.ओ. के संचालन में हुई गडबडी पर शिकायत थी जिसके जवाब में उन्होंने अपना पक्ष रखा कि “मैंने अपनी क्षमतानुसार टिकट फाड़े”| डी.वी.एम. ने बताया कि उन्होंने अप्रैल से ही अपनी तैयारियाँ प्रारम्भ कर दी थीं| अपने द्वारा किये हुए विभिन्न कार्यों को गिनाते हुए उन्होंने साउन्ड्स की खामियों से आये हुए व्यवधानों का जिक्र किया| क्रैक को किसी से कोई शिकायत नहीं थी| डांस क्लब के अनुसार उन्हें अपने काम से संतुष्टि थी, पर पी.सी.आर. से कुछ मुद्दों पर असहमति थी| वैभव सिंह व आदित्य भट्ट ने उन्हें रक्षित जैसे जज को रखने पर सवाल पूछे| डोपी ने अपने काम के बारे में बताया व सभी से संतुष्टि दर्शाई|
डॉट ने इस वर्ष कुल नौ इवेंट्स करवाए और एक लाख की प्रायोजक राशि जुटाई, जिस पर भट्ट ने उन्हें धन्यवाद दिया| उन्होंने अपने सहयोग के लिए ऑडी फोर्स को शुक्रिया किया| इनके बाद आये इ.डी.सी., इलास, फायर्वाल्ज़ को किसी से कोई शिकायत नही थी| एफ.एम.सी. के डी.वी.एम.पर लगाए गए विडियो ना चलाने के आरोप के उत्तर में उन्होंने कहा कि “पर मैंने आखिरकार वैल-डी सेरेमनी में तो वह चला दिया था”|गुरुकुल के समन्वयक ने बताया कि उन्हें 3 वर्कशॉप्स से 46750 रुपयों की प्राप्ति हुई| सी.आर.सी. से हुए विवाद में उन्होंने कहा कि उनकी एक गलतफहमी की वजह से जज को ज्यादा भुगतान करना पड़ा|हैस ने टिकेट्स को लेकर सी.आर.सी. से काफी मतभेद जताए| साउंड्स ने एन.टू.ओ. के दौरान एक लड़की द्वारा माइक पटकने पर आपत्ति जताई और कहा कि उसकी कीमत 80000 थी| इस पर हैस का जवाब था कि उस लड़की को गुस्सा दिखाने का एकमात्र साधन माइक ही मिला| एस.यू. के अनुसार माइक सुधारने का कुछ हिस्सा वह खुद वहन करेगा और कुछ वह लड़की| इन्फोर्मल्ज़ के ट्रेज़र हंट की वजह से अनप्लग्ड में हुई देरी पर म्यूजिक क्लब ने उनका घेराव किया| इस पर एस.यू. ने उन्हें अगली बार समय सीमा तय करने की हिदायत दी| झंकार के अनुसार फरहान के शो से 19 लाख रुपयों से ज्यादा की राशि प्राप्त हुई| माइम व डांस क्लब को भट्ट ने इनॉग के दौरान हुई तालमेल की कमी पर जवाबदेह माना| ओ.ई.पी.को सबसे संतुष्टि थी| ओ.एच.पी. के समन्वयक आतिफ़ ने बताया कि उनके सभी इवेंट्स में अच्छी प्रतिभागिता देखने को मिली और वे अपने कार्य से पूर्ण रूप से संतुष्ट हैं| फोटोग, रागमलिका, पोएट्री क्लब और रेडियोएक्टिव ने अपने अपने कार्यों के बारे में बताया| तत्पश्चात क्लब्स और डिपार्टमेंट्स के संयोजकों द्वारा हुई वोटिंग में डी.वी.एम. को रिव्यू पर व स्टेज़ कंट्रोल्स को प्रोविज़न पर डाला गया है और इस घोषणा के साथ ही इस वर्ष के ओ.आर.सी. का समापन हुआ|
डॉट ने इस वर्ष कुल नौ इवेंट्स करवाए और एक लाख की प्रायोजक राशि जुटाई, जिस पर भट्ट ने उन्हें धन्यवाद दिया| उन्होंने अपने सहयोग के लिए ऑडी फोर्स को शुक्रिया किया| इनके बाद आये इ.डी.सी., इलास, फायर्वाल्ज़ को किसी से कोई शिकायत नही थी| एफ.एम.सी. के डी.वी.एम.पर लगाए गए विडियो ना चलाने के आरोप के उत्तर में उन्होंने कहा कि “पर मैंने आखिरकार वैल-डी सेरेमनी में तो वह चला दिया था”|गुरुकुल के समन्वयक ने बताया कि उन्हें 3 वर्कशॉप्स से 46750 रुपयों की प्राप्ति हुई| सी.आर.सी. से हुए विवाद में उन्होंने कहा कि उनकी एक गलतफहमी की वजह से जज को ज्यादा भुगतान करना पड़ा|हैस ने टिकेट्स को लेकर सी.आर.सी. से काफी मतभेद जताए| साउंड्स ने एन.टू.ओ. के दौरान एक लड़की द्वारा माइक पटकने पर आपत्ति जताई और कहा कि उसकी कीमत 80000 थी| इस पर हैस का जवाब था कि उस लड़की को गुस्सा दिखाने का एकमात्र साधन माइक ही मिला| एस.यू. के अनुसार माइक सुधारने का कुछ हिस्सा वह खुद वहन करेगा और कुछ वह लड़की| इन्फोर्मल्ज़ के ट्रेज़र हंट की वजह से अनप्लग्ड में हुई देरी पर म्यूजिक क्लब ने उनका घेराव किया| इस पर एस.यू. ने उन्हें अगली बार समय सीमा तय करने की हिदायत दी| झंकार के अनुसार फरहान के शो से 19 लाख रुपयों से ज्यादा की राशि प्राप्त हुई| माइम व डांस क्लब को भट्ट ने इनॉग के दौरान हुई तालमेल की कमी पर जवाबदेह माना| ओ.ई.पी.को सबसे संतुष्टि थी| ओ.एच.पी. के समन्वयक आतिफ़ ने बताया कि उनके सभी इवेंट्स में अच्छी प्रतिभागिता देखने को मिली और वे अपने कार्य से पूर्ण रूप से संतुष्ट हैं| फोटोग, रागमलिका, पोएट्री क्लब और रेडियोएक्टिव ने अपने अपने कार्यों के बारे में बताया| तत्पश्चात क्लब्स और डिपार्टमेंट्स के संयोजकों द्वारा हुई वोटिंग में डी.वी.एम. को रिव्यू पर व स्टेज़ कंट्रोल्स को प्रोविज़न पर डाला गया है और इस घोषणा के साथ ही इस वर्ष के ओ.आर.सी. का समापन हुआ|
सैया भए कोतवाल
मिलांज के आखिरी दिन, बुधवार 9 अक्टूबर को बिट्स ऑडिटोरियम में निर्धारित समय 8 बजे से दर्शकों का जमघट लगना शुरु हो गया। पिछले दो दिनों की शानदार प्रस्तुतियों से प्रभावित होकर बाकी सब की तरह मैं भी पहुँच गया नाटक "सैया भए कोतवाल" देखने, परन्तु आज शायद मैंने कुछ ज्यादा ही उम्मीदें लगा ली थीं। इसलिए उनका टूटना तो स्वाभाविक ही था।
निर्देशक रामजी बाली द्वारा निर्देशित नाटक "सैया भए कोतवाल" एक हवलदार और उसकी प्रेमिका की कहानी है। हवलदार चाहता है कि वो कोतवाल बनने के बाद ही अपनी प्रेमिका से शादी करेगा| परंतु नगर कोतवाल के मरने पर प्रधानमंत्री अपने एक रिश्तेदार को कोतवाल बना देता है| तब एक साजिश के तहत हवलदार की प्रेमिका कोतवाल को अपने प्यार के जाल में फँसाकर राजा का पलंग चोरी करवाती है| और अंत में यह बात पता चलने पर राजा कोतवाल को हटाकर हवलदार को नया कोतवाल बना देता |
पिछले दो दिनों की तुलना में आज अभिनय भी थोड़ा कम प्रभावी था और पटकथा भी दर्शकों को 90 मिनट तक रोक पाने में असफल रही| अतः दर्शकों को उठ कर जाते हुए देखा जा सकता था| नाटक के अंत में बिट्स के निर्देशक जी. रघुरामा ने रामजी बाली और उनकी टीम को पुष्प गुच्छ भेंट किया| इसके बाद ह्यूमैनिटीज़ और लैंग्वेजेज़ डिपार्टमेंट के प्रोफेसर दिनेश ने सभी कलाकारों को धन्यवाद दिया और मिलांज में उत्साहपूर्वक भाग लेने के लिए सभी छात्रों की प्रशंसा की|
निर्देशक रामजी बाली द्वारा निर्देशित नाटक "सैया भए कोतवाल" एक हवलदार और उसकी प्रेमिका की कहानी है। हवलदार चाहता है कि वो कोतवाल बनने के बाद ही अपनी प्रेमिका से शादी करेगा| परंतु नगर कोतवाल के मरने पर प्रधानमंत्री अपने एक रिश्तेदार को कोतवाल बना देता है| तब एक साजिश के तहत हवलदार की प्रेमिका कोतवाल को अपने प्यार के जाल में फँसाकर राजा का पलंग चोरी करवाती है| और अंत में यह बात पता चलने पर राजा कोतवाल को हटाकर हवलदार को नया कोतवाल बना देता |
पिछले दो दिनों की तुलना में आज अभिनय भी थोड़ा कम प्रभावी था और पटकथा भी दर्शकों को 90 मिनट तक रोक पाने में असफल रही| अतः दर्शकों को उठ कर जाते हुए देखा जा सकता था| नाटक के अंत में बिट्स के निर्देशक जी. रघुरामा ने रामजी बाली और उनकी टीम को पुष्प गुच्छ भेंट किया| इसके बाद ह्यूमैनिटीज़ और लैंग्वेजेज़ डिपार्टमेंट के प्रोफेसर दिनेश ने सभी कलाकारों को धन्यवाद दिया और मिलांज में उत्साहपूर्वक भाग लेने के लिए सभी छात्रों की प्रशंसा की|
इंसानी रिश्तों में सबसे खूबसूरत रिश्ता 'दोस्ती' का होता है
यही संदेश देते हुए नाटक “यार बना बडी” का 8 अक्टूबर का शाम 7:45 बजे बिट्स पिलानी के ऑडिटोरियम में मंचन हुआ।
इस कहानी को नागराज रहीम बब्बर ने रचा और निर्देशित किया, जबकि इसको प्रस्तुत करने का श्रेय चिन्मय, यशपाल शर्मा और सज़्ज़ैद हुसैन को जाता है। यह तीन यारों जय, कार्तिक और मिट्ठू की कहानी है, जो बचपन से दोस्ती के पवित्र धागे से बंधे हुए हैं, पर सांसारिक मोहमाया और पश्चिमी सभ्यता के मोहपाश में फंसकर उनकी दोस्ती में कड़वाहट आ गई है।
इस नाटक द्वारा कलाकारों ने इतने गहरे संदेश को बड़ी ही सरलता, सहजता एवं प्रवाहमयी ढंग से प्रस्तुत किया। कलाकारों की कला का तो कोई जवाब ही नहीं था। परंतु पहले अध्यांश में दर्शकों के चेहरे पर कुछ बोरियत दिखाई दे रही थी। माइक की दिक्कत से भी दर्शकों का सब्र टूटता दिखाई दिया। दूसरा अध्यांश पहले के मुकाबले अधिक हास्य से परिपूर्ण होने के साथ दिल को छू लेने वाला भी था।
इस नाटक को यशपाल शर्मा ने अपने कंधों पर संभाला । उनकी प्रस्तुति बाकी सभी कलाकारों के मुक़ाबले बेहतरीन थी। लगभग पूरे समय सभागार दर्शकों की तालियों से गूंज रहा था। कुछ मौकों पर तो कुछ अतिउत्साहित दर्शक सीटियाँ बजाने से भी नहीं चूके।
दर्शक इस ड्रामे को लेकर पहले से ही काफ़ी उत्तेजित थे और इसी कारण पूरा सभागार खचाखच भरा हुआ था। इस 2 घंटे 10 मिनट के ड्रामे के दौरान दर्शकों का अनुशासन भी तारीफ़ के काबिल था।
"दोस्ती सिर्फ़ नसीहत देने के लिए नहीं होती, बल्कि गम बाँटने के लिए भी होती है।" इस संदेश को केंद्र में रखते हुए कलाकारों ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया।
अंत में इतना कहना काफ़ी होगा कि यह नाटक बहुत उत्कृष्ट होने के साथ साथ कलाकारों के शानदार अभिनय के कारण यादगार बन गया। बिट्स पिलानी के इतिहास में यह एक अविस्मरणीय पल रहेगा।
इस कहानी को नागराज रहीम बब्बर ने रचा और निर्देशित किया, जबकि इसको प्रस्तुत करने का श्रेय चिन्मय, यशपाल शर्मा और सज़्ज़ैद हुसैन को जाता है। यह तीन यारों जय, कार्तिक और मिट्ठू की कहानी है, जो बचपन से दोस्ती के पवित्र धागे से बंधे हुए हैं, पर सांसारिक मोहमाया और पश्चिमी सभ्यता के मोहपाश में फंसकर उनकी दोस्ती में कड़वाहट आ गई है।
इस नाटक द्वारा कलाकारों ने इतने गहरे संदेश को बड़ी ही सरलता, सहजता एवं प्रवाहमयी ढंग से प्रस्तुत किया। कलाकारों की कला का तो कोई जवाब ही नहीं था। परंतु पहले अध्यांश में दर्शकों के चेहरे पर कुछ बोरियत दिखाई दे रही थी। माइक की दिक्कत से भी दर्शकों का सब्र टूटता दिखाई दिया। दूसरा अध्यांश पहले के मुकाबले अधिक हास्य से परिपूर्ण होने के साथ दिल को छू लेने वाला भी था।
इस नाटक को यशपाल शर्मा ने अपने कंधों पर संभाला । उनकी प्रस्तुति बाकी सभी कलाकारों के मुक़ाबले बेहतरीन थी। लगभग पूरे समय सभागार दर्शकों की तालियों से गूंज रहा था। कुछ मौकों पर तो कुछ अतिउत्साहित दर्शक सीटियाँ बजाने से भी नहीं चूके।
दर्शक इस ड्रामे को लेकर पहले से ही काफ़ी उत्तेजित थे और इसी कारण पूरा सभागार खचाखच भरा हुआ था। इस 2 घंटे 10 मिनट के ड्रामे के दौरान दर्शकों का अनुशासन भी तारीफ़ के काबिल था।
"दोस्ती सिर्फ़ नसीहत देने के लिए नहीं होती, बल्कि गम बाँटने के लिए भी होती है।" इस संदेश को केंद्र में रखते हुए कलाकारों ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया।
अंत में इतना कहना काफ़ी होगा कि यह नाटक बहुत उत्कृष्ट होने के साथ साथ कलाकारों के शानदार अभिनय के कारण यादगार बन गया। बिट्स पिलानी के इतिहास में यह एक अविस्मरणीय पल रहेगा।
हास-परिहास में बिट्सियंस को मिली गंभीर सीख
नींद अपनी भुला के सुलाया हमको, आँसू अपने गिरा के हँसाया हमको| दर्द कभी ना देना उन हस्तियों को, खुदा ने माँ बाप बनाया जिसको|" यह अनमोल सीख बिट्सियंस को सोमवार, 7 अक्टूबर की शाम मशहूर निर्देशक रजत कपूर द्वारा निर्देशित नाटक "नथिन्ग लाइक लीयर" में मिली| मशहूर अभिनेता विनय पाठक द्वारा अभिनीत यह नाटक महान लेखक शेकस्पीयर द्वारा लिखित "किंग लियर" पर आधारित था| एक अकेले राजा की जिंदगी के विभिन्न पहलुओं को परिलक्षित करने वाले इस नाटक को रजत कपूर ने आधुनिक परिप्रेक्ष्य में विनय पाठक के एकल अभिनय की सहायता से, बेहतरीन अंदाज में प्रस्तुत किया|
संपूर्ण नाटक तीन हिस्सों में विभाजित था। पहला हिस्से ने नायक के व्यक्तित्व को परिभाषित किया, दूसरे हिस्सें में नायक और उसके पिता - भाई के संबंधों को बेहतरीन अंदाज में प्रस्तुत किया गया| तीसरे और अंतिम हिस्से में नायक विनय पाठक ने एक पिता और पुत्री के संबंधों को रोचक और भावुक अंदाज में प्रस्तुत किया| नाटक के मध्य में दर्शकों से हास्य और व्यंग्यात्मक अंदाज में, विनय पाठक के रूबरू होने की अदा दर्शकों को बहुत पसंद आई| सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि विनय पाठक ने अकेले अपने बलबूते पर दर्शकों को लगातार नाटक से जोड़े रखा|
अंत में इस नाटक ने जहाँ दर्शकों का संपूर्ण मनोरंजन किया, वहीं उन्हें यह सोचने पर भी मजबूर किया कि क्या हम आधुनिकता से भरी इस जिंदगी में अपने पारिवारिक संबंधों को लेकर गंभीर हैं? क्या हमारे संबंध केवल स्वार्थ आधारित हो गये हैं? ऐसे न जाने कितने प्रश्न सारे बिट्सियंस को न जाने कब तक घेरे रहेंगे| परंतु मेरे हिसाब से इन सारे प्रश्नों का उत्तर यह है कि "रिश्ते और संबंध स्वार्थ और मजबूरी के स्तंभ पर नहीं, बल्कि निःस्वार्थ प्रेम और आपसी सम्मान के मजबूत स्तंभों पर आधारित होना चाहिए| सेना की तरह ही एक परिवार की शक्ति एक दूसरे के प्रति निष्ठा में होती है।"
संपूर्ण नाटक तीन हिस्सों में विभाजित था। पहला हिस्से ने नायक के व्यक्तित्व को परिभाषित किया, दूसरे हिस्सें में नायक और उसके पिता - भाई के संबंधों को बेहतरीन अंदाज में प्रस्तुत किया गया| तीसरे और अंतिम हिस्से में नायक विनय पाठक ने एक पिता और पुत्री के संबंधों को रोचक और भावुक अंदाज में प्रस्तुत किया| नाटक के मध्य में दर्शकों से हास्य और व्यंग्यात्मक अंदाज में, विनय पाठक के रूबरू होने की अदा दर्शकों को बहुत पसंद आई| सबसे महत्वपूर्ण बात यह रही कि विनय पाठक ने अकेले अपने बलबूते पर दर्शकों को लगातार नाटक से जोड़े रखा|
अंत में इस नाटक ने जहाँ दर्शकों का संपूर्ण मनोरंजन किया, वहीं उन्हें यह सोचने पर भी मजबूर किया कि क्या हम आधुनिकता से भरी इस जिंदगी में अपने पारिवारिक संबंधों को लेकर गंभीर हैं? क्या हमारे संबंध केवल स्वार्थ आधारित हो गये हैं? ऐसे न जाने कितने प्रश्न सारे बिट्सियंस को न जाने कब तक घेरे रहेंगे| परंतु मेरे हिसाब से इन सारे प्रश्नों का उत्तर यह है कि "रिश्ते और संबंध स्वार्थ और मजबूरी के स्तंभ पर नहीं, बल्कि निःस्वार्थ प्रेम और आपसी सम्मान के मजबूत स्तंभों पर आधारित होना चाहिए| सेना की तरह ही एक परिवार की शक्ति एक दूसरे के प्रति निष्ठा में होती है।"
एक ख़ास मुलाक़ात - यशपाल शर्मा
मेलांज 2013 के सबसे बहुप्रतिक्षित नाटक "यार बना बड्डी " के लोकप्रिय कलाकार यशपाल शर्मा के साथ हुए हमारे एक विशेष वार्तालाप में उन्होंनें बताया कि यहाँ का अनुभव उनके लिए "माइंड ब्लोइंग " था। उनके अनुसार "थिएटर" के लिहाज से ऑडी एक उपयुक्त जगह नही है,यह नृत्य और संगीत के लिए काफ़ी अच्छा है परन्तु थिएटर में आपको हर दर्शक की आँखों में झाँककर उस तक नाटक का सन्देश पहुँचाना होता है,इसलिए २०० से ज्यादा दर्शक नही होने चाहिये। साउंड की कुछ परेशानियों के बावजूद दर्शकों के लगातार उत्साहवर्धन और अच्छे बर्ताव से यह शो एक अविश्वशनीय रूप से इतना मनोरंजक और सफ़ल हुआ। अपने प्रेरणास्त्रोत के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि मेरी सबसे बड़ी ताक़त हमेशा से माँ रही है,उन्होंने अकेले गरीबी में इतनी मुश्किलें झेलकर हमें पढ़ाया,कपड़े सिलकर पूरे परिवार का पेट भरा और जीवनपर्यंत संघर्ष किया, इसलिए जब भी कभी मुश्किल दौर से गुज़रा या थककर हार मानी तो यही सोच कर फिर खड़ा हुआ कि ज़ब मेरी माँ इतना संघर्ष कर सकती है तो उसके सामने ये तो कुछ भी नही है। इस तरह के करियर की शुरुआत में पारिवारिक समर्थन हमेशा से ही एक समस्या रही है ऐसे में युवा पीढ़ी को क्या करना चाहिए, इस सवाल के ज़वाब में उन्होंने कहा कि शुरू में हर परिवार डरता है,लेकिन आजकल एक बदलाव भी लोगों की सोच में देखने को मिला है। जब से टी.वी. पर आम आदमी भी स्टेज पर जाने लगा है और इंडियन आइडल,डी.आइ.डी. जैसे मंच लोगों को मिल रहे है तो जागरूकता भी आयी है और यह काम आसान भी हो गया है,लेकिन हमने वो मुश्किलों से भरा दौर गुजारा है। यह पूछे जाने पर कि स्टेज शो अलग अलग प्लेटफोर्म पर होता है ऐसे में एक कलाकार के तौर पर आप अपने अभिनय में कैसे बदलाव लाते है, उन्होंने कहा कि मैं हर शो को ऐसे करता हूँ जैसे यह मेरा पहला शो है और आउटपुट तो हर बार बदलता ही रहता है। फिल्मों की वजह से थिएटर को हो रहे नुकसान के बारे में उनके विचार थे कि इन दोनों मनोरंजन के माध्यमों में दिन रात का फर्क है,थिएटर जितना जीवंत और दिल के करीब होता हैउतना फिल्म नहीं,थिएटर दर्शकों और परिस्थितियों के अनुसार बदलता रहता है,उसमे एक जिन्दापन होता है। वहीं फिल्म एक बार में ही अपना अंतिम रूप ले लेती है।थिएटर के उत्थान के लिए उपयुक्त मार्गदर्शन पर उन्होंने कहा कि मैं अपना काम पूरी इमानदारी से करूँगा,और लोगों को इसके लिए जागरूक भी करूँगा।एक अभिनेता की सफलता पर उन्होंने कहा कि कुछ लोगों को यह थाली में मिल जाती है और कुछ इसे अपनी मेहनत , संघर्ष के दम पर हासिल करते है और वाकई सफलताके सफ़र का असली मजा तो तभी है जब हर कदम खुद चल कर तय किया जाए।बच्चों को अभिनय के क्षेत्र में उतारने का कडा विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि यह उनसे उनका पूरा बचपन छीनने जैसा है,उनकी पढ़ाई का नुकसान होता है और सबसे बड़ी बात एक जो बचपना होता है,बचपन की शरारतें होती हैं खो जाती हैं। अपने फ़िल्मी करियर पर उन्होंने कहा कि कोई भी फिल्म ये सोच कर नही की कि अवार्ड मिले,फिल्म तो एक डायरेक्टर मीडिया है और थिएटर एक एक्टर मीडिया ,इसलिए फिल्म में आपकी सफलता पूरी तरह डायरेक्टर पर निर्भर होती है । अंत में बिट्सियन्स के लिए कुछ सुझ्हाव पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि यहाँ एक 200 लोगों के लायक थिएटर का एक सघन स्थान होना चाहिए।
कैंडल लाईट मार्च: एक पहल
हमारी राष्ट्रीय राजधानी में पिछले दिनों बस में एक महिला के साथ जो दुष्कर्म हुआ उससे पूरा राष्ट्र शर्मशार हो गया| इस घटना से कई लोग जागे भी, सड़कों पर भी निकले, इण्डिया गेट पर अपना काम-काज छोड़कर जमा भी हो गए पर समय के साथ-साथ उनमें से अधिकतर पुनः सो गए| यह कोई नई बात नहीं है| हमको झकझोर कर रख देने वाली कई घटनाएँ समाज में घटती रहती हैं, हम उस पर कई बार नाराज भी होते हैं| गुस्सा जब ज्यादा बढ़ जाता है तब दो-चार लोगों से अपनी बात कह देते हैं और ऐसा प्रतीत होता है कि मानो गुस्सा लोगों के बीच बंट गया हो| हम आक्रोश को विभाजित सा कर देते हैं और उसके बाद बिना किसी निष्कर्ष पर पहुंचे बगैर ही ऐसा मान बैठते हैं कि हमारा काम तो पूरा हो गया| बिना किसी विरोध के यह बात बिल्कुल सही है कि भावनाएँ हमें किसी रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं परन्तु सिर्फ भावनाओं से पीड़ितों को न्याय नहीं मिलता| सिर्फ भावानाओं में कुछ देर तक बहने के बाद हम अपनी जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ सकते| हमें अपने समाज को “लिंग-असमानता” के रोग से मुक्त करने के लिए भावानाओं को कार्य में बदलना होगा| हमें जीवन के हर मोड़ पर हमें ध्यान रखना होगा कि लड़के और लडकियॉं दोनों मिलकर इस पृथ्वी की सर्वाधिक प्रगतिशील एवं बुद्धिमान “मनुष्य प्रजाति” का निर्माण करते हैं और इसमें दोनों का ही समान योगदान है|
इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए निर्माण ‘लिंग उत्पीड़न’ का शिकार हुई पीड़ितों के न्याय और ‘महिला सुरक्षा’ को लेकर 19 सितम्बर को शाम 7 बजे जिम-जी से “कैंडिल लाइट मार्च” का आयोजन कर रहा है| अधिक जानकारी के लिए श्रीविघ्नेश(7737906483) से संपर्क कर सकते हैं|
इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए निर्माण ‘लिंग उत्पीड़न’ का शिकार हुई पीड़ितों के न्याय और ‘महिला सुरक्षा’ को लेकर 19 सितम्बर को शाम 7 बजे जिम-जी से “कैंडिल लाइट मार्च” का आयोजन कर रहा है| अधिक जानकारी के लिए श्रीविघ्नेश(7737906483) से संपर्क कर सकते हैं|
आ गया बॉसम 2013
नया साल, नई उमंग और अब बिट्स का सबसे अधिक ऊर्जामयी और प्रतिस्पर्धात्मक उत्सव, ‘बॉसम’। हमारे बहुप्रतीक्षित खेल महोत्सव 'बॉसम' के 28वें संस्करण का आगाज इस बुधवार, 18 सितम्बर को होगा। यह महोत्सव, जिसकी मूल भावना दृढ़ता, साहस और वैभव है, आइये इसके बारे में कुछ जानें।
बॉसम, जिसकी नींव 1986 में रखी गई थी, आज एक वट वृक्ष के रूप में हमारे सामने है। आज इसकी कीर्ति न केवल भारत में, अपितु विदेशों में भी फैल रही है, जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण इस बार तमाम विदेशी प्रतियोगियों का नामांकन है। प्राचीनता के संरक्षक और नवीनता के पोषक के रूप में यह उत्सव प्रति वर्ष नए आयाम स्थापित करने के साथ बिट्सियन्स में नई ऊर्जा और स्फूर्ति का संचार करता है।
कैम्पस में तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद हमें पूर्ण विश्वास है कि यह उत्सव अपनी गौरवशाली परंपरा को कायम रखने में सफल होगा। बॉसम को प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी बिट्स के समस्त डिपार्टमेंट मिलकर आयोजित कर रहे हैं। स्पॉन्ज़ जहाँ इस बार पिछली बार की अपेक्षा कहीं ज्यादा स्पॉन्सरशिप ला रहा है, वहीं कंट्रोल्ज़ बॉसम को सफल बनाने के लिए अपना बेहतरीन प्रयास कर रहा है। प्रतिकूल परिस्थितियों से बचने के लिए भी कई कदम उठाए गए हैं, ताकि प्रतियोगिता में कम से कम व्यवधान उत्पन्न हो। यदि आप किसी टीम में नहीं हैं, तो भी आपके लिए स्ट्रीट फुटबॉल, एंटी चेस, कैप्चरैक्ट आदि इवेंट्स के साथ कई ऑनलाइन इवेंट्स आयोजित किए जा रहे हैं।
प्रथम वर्षीय छात्रों के लिए बॉसम खासतौर पर रोमांच का पर्याय होता है, परंतु इसके अलावा यह महोत्सव हमें खेल व मनोरंजन के साथ जिंदगी के तमाम क्षेत्रों में नई सीख भी देता है, जरूरत है उसे आत्मसात करने की। यह तभी संभव है जब हम पूरे उत्साह के साथ इस उत्सव में सम्मिलित हों।
“कौन कहता है कि आसमानों में छेद नहीं होता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो!”
बॉसम, जिसकी नींव 1986 में रखी गई थी, आज एक वट वृक्ष के रूप में हमारे सामने है। आज इसकी कीर्ति न केवल भारत में, अपितु विदेशों में भी फैल रही है, जिसका प्रत्यक्ष प्रमाण इस बार तमाम विदेशी प्रतियोगियों का नामांकन है। प्राचीनता के संरक्षक और नवीनता के पोषक के रूप में यह उत्सव प्रति वर्ष नए आयाम स्थापित करने के साथ बिट्सियन्स में नई ऊर्जा और स्फूर्ति का संचार करता है।
कैम्पस में तमाम प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद हमें पूर्ण विश्वास है कि यह उत्सव अपनी गौरवशाली परंपरा को कायम रखने में सफल होगा। बॉसम को प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी बिट्स के समस्त डिपार्टमेंट मिलकर आयोजित कर रहे हैं। स्पॉन्ज़ जहाँ इस बार पिछली बार की अपेक्षा कहीं ज्यादा स्पॉन्सरशिप ला रहा है, वहीं कंट्रोल्ज़ बॉसम को सफल बनाने के लिए अपना बेहतरीन प्रयास कर रहा है। प्रतिकूल परिस्थितियों से बचने के लिए भी कई कदम उठाए गए हैं, ताकि प्रतियोगिता में कम से कम व्यवधान उत्पन्न हो। यदि आप किसी टीम में नहीं हैं, तो भी आपके लिए स्ट्रीट फुटबॉल, एंटी चेस, कैप्चरैक्ट आदि इवेंट्स के साथ कई ऑनलाइन इवेंट्स आयोजित किए जा रहे हैं।
प्रथम वर्षीय छात्रों के लिए बॉसम खासतौर पर रोमांच का पर्याय होता है, परंतु इसके अलावा यह महोत्सव हमें खेल व मनोरंजन के साथ जिंदगी के तमाम क्षेत्रों में नई सीख भी देता है, जरूरत है उसे आत्मसात करने की। यह तभी संभव है जब हम पूरे उत्साह के साथ इस उत्सव में सम्मिलित हों।
“कौन कहता है कि आसमानों में छेद नहीं होता, एक पत्थर तो तबीयत से उछालो यारो!”
जुनून 2013
एन.एस.एस. बिट्स पिलानी द्वारा आयोजित जुनून-2013 का आरंभ कार्यक्रम में आए सभी 6 एन.जी.ओ. अक्षय प्रतिष्ठान(झूंझुनू) , दिशा(जयपुर) , आमला बिरला केंद्र(पिलानी ) , मुस्कान(दिल्ली ) , आशा का झरना (झूंझुनू) और श्री निर्मल विवेक (जयपुर) के परिचय और प्रार्थना गीत के साथ हुआ| तत्पश्चात् एन.एस.एस. बिट्स पिलानी के अध्यक्ष शशांक ने मुख्य अतिथि प्रोफेसर आर.एन.शाह और मधु जैन को फूलों की भेंट दी | मुख्य अतिथि ने अपनी बातों में जुनून में सम्मिलित होने आए सभी बच्चों को यह संदेश दिया कि जीत ज़रूरी नहीं है, प्रतिभागिता जरूरी है| उन्होंने समाज में असाधारण क्षमता वाले लोगों के प्रति सोच बदलने की जरूरत पर ज़ोर दिया| खेल सचिव ने सभी प्रतिभागियों को खेल भावना बनाए रखने हेतु शपथ दिलवाई |
एन.एस.एस ने क्रैक के साथ मिलकर विशेष क्षमता रखने वाले बच्चों के लिए एक वर्कशॉप का आयोजन किया। इस वर्कशॉप में सभी 6 एन.जी.ओ. ने भाग लिया। इसके अंतर्गत हर एन.जी.ओ. के बीस पच्चीस बच्चों को तीन समूहों में बाँट दिया गया और एक पोस्टर, पेपर और क्रेयॉन्स का सेट दिया गया। प्रतिभागियों ने काफी उत्साह दिखाया और मनमोहक चित्रण किया। यह होने के बाद सभी को अपने हस्त छाप को पेपर पर उतारने का भी मौका मिला। मौज मस्ती, नाच गाने के साथ-साथ फल वितरण भी हुआ| जुनून- 2013 में आयोजित बैडमिंटन प्रतियोगिता में 5 एन.जी.ओ. अक्षय प्रतिष्ठान , दिशा , आमला बिरला केंद्र , आशा का झरना और श्री निर्मल विवेक ने भाग लिया | डबल्स में HI वर्ग में आमला बिरला केंद्र के सलीम-इनायत प्रथम , श्री निर्मल विवेक के विजय महिन्द्र-विजय मंदीवाल द्वितीय स्थान पर रहे | प्रतिभागियों का जोश देखने लायक था| खिलाड़ियों का तालमेल भी काबिले तारीफ था| रेफरी ने सभी को खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन करने के लिए साइलेंट क्लैप करने को कहा| फ़ीमेल सिंगल्स मुक़ाबले में MR वर्ग में अदिति प्रथम , नयन द्वितीय और पूजा तृतीय स्थान पर रही| मेल सिंगल्स में कड़े मुक़ाबले के चलते आमला बिरला केंद्र के इनायत प्रथम, श्री निर्मल विवेक के विजय और आशा के विवेक तृतीय स्थान पर रहे| क्रिकेट मैच में भी सभी एन.जी.ओ. के लोगों ने भाग लिया, जिनके समर्थन हेतु कई बिट्स के छात्र भी उपस्थित थे |
बिरला शिशु विहार में आयोजित बास्केटबॉल मैच में दिल्ली के एन.जी.ओ. मुस्कान से प्रतिभागी एकत्रित हुए और एक रोमांचक मैच खेला गया। मैच में बिट्स की बास्केटबॉल टीम का भी काफी सहयोग रहा। मैच में दर्शकों की संख्या भी अच्छी ख़ासी थी, जिससे खिलाड़ियों के उत्साह में कोई कमी नहीं आई। यह मैच अंततः एक ड्रॉ में समाप्त हुआ।
जुनून के एथलेटिक्स इवेंट्स का आयोजन Med-C मैदान में किया गया। इसके अंतर्गत 50 और 100 मीटर की दौड़, गोलफेंक, बोत्चि जैसे इवेंट्स आयोजित किए गए। 50 और 100 मीटर की दौड़ों से पहले क्वॉलिफ़िकेशन राउंड हुये, जिनमें जीतने वाले प्रतिभागियों को अंतिम चरण में दौड़ने का मौका मिला। आयोजन में स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर के एन.जी.ओ. ने भाग लिया। प्रतिभागियों का उत्साह देखते ही बनता था। जुनून के इस इवेंट को सफल बनाने में NSS के स्वयंसेवकों का अत्यधिक योगदान रहा। वॉलीबॉल निश्चित समय से दो घंटे देरी से शुरू हुआ | इसमे दो एन.जी.ओ. श्री निर्मल विवेक और आमला बिरला केंद्र ने भाग लिया, जिनके मैच बिट्स पिलानी के कुछ छात्रों के साथ हुआ| पहले मैच में श्री निर्मल विवेक ने बिट्स की टीम को 26-21 से हराया तथा दूसरे मैच में आमला बिरला केंद्र ने बिट्स की टीम को 26-15 से हराया| आमला बिरला केंद्र प्रथम व श्री निर्मल विवेक द्वितीय स्थान पर रहे| मनोरंजन कार्यक्रम के दौरान बैक्स्टर(मैसकट जुनून-2013) की उपस्थिति बच्चों में उत्साह का संचार कर रही थी। SAC का वातवरण पूरी तरह ऊर्जा से भरा हुआ था। बच्चों के लिए पिट्टो, रस्साकशी जैसे खेलों का आयोजन भी कियाa गया।
जुनून का समापन जुनून नाइट से हुआ | जिसमें सभी एन.जी.ओ. के प्रतिभागियों ने भाग लिया | मुख्य अतिथि के रूप में बिट्स पिलानी के डायरेक्टर प्रोफेसर जी. रघुरामा ने आकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई| तत्पश्चात् गुरुकुल के संगीत कार्यक्रम ने वातावरण को आनंदमय बना दिया| सभी एन.जी.ओ. ने अपनी परफॉर्मेंस से सभी का मन मोह लिया और हिन्दी ड्रामा क्लब ने नाटक से यह संदेश दिया कि हमें अपनी सोच बदलनी होगी| समारोह को मनमोहक बनाने में पोएट्री क्लब ने कोई कसर नही छोड़ी| उन्होंने अपनी कविता ''सलाम है तेरे जुनून को'' से सबका मन मोह लिया| इसके बाद मुख्य अतिथि ने जुनून में भाग लेने वाले एन.जी.ओ. और एन.एस.एस. को धन्यवाद दिया और कहा कि जुनून जैसे उत्सव ही बिट्स पिलानी को बाकी सभी कॉलेज से अलग करते हैं| अंत में पुरस्कार वितरण समारोह हुआ, जिसमें सभी एन.जी.ओ. को मुख्य अतिथि द्वारा सम्मानित किया गया|
एन.एस.एस ने क्रैक के साथ मिलकर विशेष क्षमता रखने वाले बच्चों के लिए एक वर्कशॉप का आयोजन किया। इस वर्कशॉप में सभी 6 एन.जी.ओ. ने भाग लिया। इसके अंतर्गत हर एन.जी.ओ. के बीस पच्चीस बच्चों को तीन समूहों में बाँट दिया गया और एक पोस्टर, पेपर और क्रेयॉन्स का सेट दिया गया। प्रतिभागियों ने काफी उत्साह दिखाया और मनमोहक चित्रण किया। यह होने के बाद सभी को अपने हस्त छाप को पेपर पर उतारने का भी मौका मिला। मौज मस्ती, नाच गाने के साथ-साथ फल वितरण भी हुआ| जुनून- 2013 में आयोजित बैडमिंटन प्रतियोगिता में 5 एन.जी.ओ. अक्षय प्रतिष्ठान , दिशा , आमला बिरला केंद्र , आशा का झरना और श्री निर्मल विवेक ने भाग लिया | डबल्स में HI वर्ग में आमला बिरला केंद्र के सलीम-इनायत प्रथम , श्री निर्मल विवेक के विजय महिन्द्र-विजय मंदीवाल द्वितीय स्थान पर रहे | प्रतिभागियों का जोश देखने लायक था| खिलाड़ियों का तालमेल भी काबिले तारीफ था| रेफरी ने सभी को खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन करने के लिए साइलेंट क्लैप करने को कहा| फ़ीमेल सिंगल्स मुक़ाबले में MR वर्ग में अदिति प्रथम , नयन द्वितीय और पूजा तृतीय स्थान पर रही| मेल सिंगल्स में कड़े मुक़ाबले के चलते आमला बिरला केंद्र के इनायत प्रथम, श्री निर्मल विवेक के विजय और आशा के विवेक तृतीय स्थान पर रहे| क्रिकेट मैच में भी सभी एन.जी.ओ. के लोगों ने भाग लिया, जिनके समर्थन हेतु कई बिट्स के छात्र भी उपस्थित थे |
बिरला शिशु विहार में आयोजित बास्केटबॉल मैच में दिल्ली के एन.जी.ओ. मुस्कान से प्रतिभागी एकत्रित हुए और एक रोमांचक मैच खेला गया। मैच में बिट्स की बास्केटबॉल टीम का भी काफी सहयोग रहा। मैच में दर्शकों की संख्या भी अच्छी ख़ासी थी, जिससे खिलाड़ियों के उत्साह में कोई कमी नहीं आई। यह मैच अंततः एक ड्रॉ में समाप्त हुआ।
जुनून के एथलेटिक्स इवेंट्स का आयोजन Med-C मैदान में किया गया। इसके अंतर्गत 50 और 100 मीटर की दौड़, गोलफेंक, बोत्चि जैसे इवेंट्स आयोजित किए गए। 50 और 100 मीटर की दौड़ों से पहले क्वॉलिफ़िकेशन राउंड हुये, जिनमें जीतने वाले प्रतिभागियों को अंतिम चरण में दौड़ने का मौका मिला। आयोजन में स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर के एन.जी.ओ. ने भाग लिया। प्रतिभागियों का उत्साह देखते ही बनता था। जुनून के इस इवेंट को सफल बनाने में NSS के स्वयंसेवकों का अत्यधिक योगदान रहा। वॉलीबॉल निश्चित समय से दो घंटे देरी से शुरू हुआ | इसमे दो एन.जी.ओ. श्री निर्मल विवेक और आमला बिरला केंद्र ने भाग लिया, जिनके मैच बिट्स पिलानी के कुछ छात्रों के साथ हुआ| पहले मैच में श्री निर्मल विवेक ने बिट्स की टीम को 26-21 से हराया तथा दूसरे मैच में आमला बिरला केंद्र ने बिट्स की टीम को 26-15 से हराया| आमला बिरला केंद्र प्रथम व श्री निर्मल विवेक द्वितीय स्थान पर रहे| मनोरंजन कार्यक्रम के दौरान बैक्स्टर(मैसकट जुनून-2013) की उपस्थिति बच्चों में उत्साह का संचार कर रही थी। SAC का वातवरण पूरी तरह ऊर्जा से भरा हुआ था। बच्चों के लिए पिट्टो, रस्साकशी जैसे खेलों का आयोजन भी कियाa गया।
जुनून का समापन जुनून नाइट से हुआ | जिसमें सभी एन.जी.ओ. के प्रतिभागियों ने भाग लिया | मुख्य अतिथि के रूप में बिट्स पिलानी के डायरेक्टर प्रोफेसर जी. रघुरामा ने आकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई| तत्पश्चात् गुरुकुल के संगीत कार्यक्रम ने वातावरण को आनंदमय बना दिया| सभी एन.जी.ओ. ने अपनी परफॉर्मेंस से सभी का मन मोह लिया और हिन्दी ड्रामा क्लब ने नाटक से यह संदेश दिया कि हमें अपनी सोच बदलनी होगी| समारोह को मनमोहक बनाने में पोएट्री क्लब ने कोई कसर नही छोड़ी| उन्होंने अपनी कविता ''सलाम है तेरे जुनून को'' से सबका मन मोह लिया| इसके बाद मुख्य अतिथि ने जुनून में भाग लेने वाले एन.जी.ओ. और एन.एस.एस. को धन्यवाद दिया और कहा कि जुनून जैसे उत्सव ही बिट्स पिलानी को बाकी सभी कॉलेज से अलग करते हैं| अंत में पुरस्कार वितरण समारोह हुआ, जिसमें सभी एन.जी.ओ. को मुख्य अतिथि द्वारा सम्मानित किया गया|
गोरबन्द - मरुधरा नाइट 2013
अपनी बिट्सियन लाइफ के पहले सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रतीक्षा कर रहे प्रथम वर्षीय बिट्सियन्स का इंतजार ख़त्म हुआ 6 सितम्बर को मरुधरा नाइट 2013 – ‘गोरबन्द’ के साथ| कार्यक्रम की शुरुआत मरुधरा के प्रोफेसर इंचार्ज प्रोफ़ एम. के. काशीरामका को शॉल भेंट कर के की गयी| नाइट में नए गीतों की भरमार थी| ग्रुप डांस में राँझना, लुंगी डांस, हवन करेंगे आदि गानों पर छात्रों ने ऑडी में सबको झूमने पर मजबूर कर दिया| वो अलग बात है कि कितनी ही बार छात्रों ने नृत्य में गड़बड़ी की और कुछ के तो कदम अंतिम चरण में आकर डगमगा गए| शोले रिलोडेड में शोले फिल्म को बिट्सियन लाइफ से जोड़ कर एक प्रशंसनीय माईम प्रस्तुत की गई| और तो और मेस के आलू के पराठे को अम्बुजा सीमेंट से बना हुआ बताना, mcn की तुलना बिट्स की फीस से करना व बसंती से ब्रेकअप होने से पहले वीरू द्वारा अपना id कार्ड माँगने जैसे डायलॉग्स ने कार्यक्रम को मनोरंजक बना दिया | एक्ज़ॉक्टिक, आयो रे म्हारो ढोलना, बेदर्दी-राजा, बन-ठन आदि गानों पर छात्राओं के नृत्य ने भी दर्शकों की खूब वाह-वाही बँटोरी| आशिक़ी और पधारो म्हारे देस पर छात्रों की गायिकी को भी पसंद किया गया| नृत्य प्रस्तुति में कभी-कभी अभ्यास और सामंजस्य की कमी साफ नजर आ रही थी| शोलों सी, कुछ ख़ास है और घाघरा आदि गानों पर कपल डांस भी काबिले-तारीफ़ थे| ‘द वायरल फीवर.कॉम’ की तर्ज पर बिट्सियन लाईफ का Q-tiyapa भी प्रस्तुत किया गया| ‘स्वर्गीय बिट्सियन्स स्किट’ में यमलोक के माध्यम से बिट्स के विभिन्न व्यक्तियों व्यंग्य किया गया| ऑडी रैगिंग से त्रस्त जेन-सेक और प्रेज़ के उम्मीदवारों को फिर से ऑडी में चर्चा में लाया गया किन्तु इस बार माईम में व्यंग्य के रूप में| नाइट का समापन आखरी सलाम नाम से बलम पिचकारी गाने पर ग्रुप डांस के साथ हुआ |
छात्र संघ चुनाव 2013
अध्यक्ष पद के उम्मीदवार
आदित्य भट्ट
SU के अध्यक्ष पद के उम्मीदवार आदित्य भट्ट के साथ हुए साक्षात्कार में उन्होंने अपने विचार हमसे साझा किये। अध्यक्ष पद के चुनाव में खड़े होने के पीछे अपनी प्रेरणा SU के पूर्व अध्यक्ष को बताया| साथ ही आदित्य ने छात्रों का SU में विश्वास और भागीदारी बढ़ाने की अपनी इच्छा भी ज़ाहिर की। आदित्य भट्ट विश्वकर्मा भवन के हॉस्टल-प्रतिनिधि भी रह चुके हैं।
घोषणापत्र के बिंदुओं पर आते हुए उन्होंने बताया कि मेस में Meal Cancellation प्रणाली लागू करना उनकी प्राथमिकता रहेगी। इसके तहत छात्र अपना खाना 2 दिन पहले रद्द करवा सकते हैं। मेस में फ्रिज लगने पर इस अवधि को 12 घंटे कर दिया जाएगा। पानी की खराब गुणवत्ता की समस्या के समाधान के लिए उन्होंने हर हॉस्टल में R.O. प्रणाली लगवाने का आश्वासन भी दिया। इस कार्य के लिये उन्हें संस्थान से मंजूरी मिल चुकी है। उन्होंने अपनी नई योजना बुक-बैंक का वर्णन भी किया। इसके तहत छात्रों से किताबें मूल कीमत के 40 प्रतिशत मूल्य पर खरीदी जाएँगी व इच्छुक छात्रों को 10 प्रतिशत मूल्य पर एक सेमेस्टर के लिये किराये पर दी जाएँगी। इससे हुए लाभ से SU की योजनाओं का क्रियांवयन किया जायेगा। उन्होंने यह भी बताया कि वे VentureHire, Microsoft और LetsIntern.com जैसी कम्पनियों से इंटर्नशिप के संदर्भ में बात कर चुके हैं। उन्होंने क्लब्स के सदस्यों द्वारा हुए खर्चों का समय-समय पर पुनर्भुगतान करने का आश्वासन दिया। फेस्ट्स से एक महीना पहले क्लब्स व डिपार्ट्मेंट्स की बैठक बुलाने के अपने वादे का औचित्य बताते हुए आदित्य ने कहा कि इससे सारे क्लब्स व डिपार्टमेंट्स की योजनाओं का समय रहते पता चल सकेगा और उनमें उपयोगी सुझाव दिए जा सकेंगे।
उन्होंने SU की वेबसाइट को नया रूप देने की बात भी कही, ताकि उस पर मेस बिल, टी-शर्ट साइनिंग आदि की जानकारी भी डाली जा सके। इसके अलावा छात्र टी-शर्ट, वर्कशॉप आदि की फर्ज़ी साइनिंग को 15 दिन के अंदर रद्द भी करवा सकेंगे। साथ ही SU की वेबसाइट से रोबोकॉन आदि के लिये प्रायोजन भी आमंत्रित किए जा सकेंगे। उन्होंने तृतीय व चतुर्थ वर्ष के छात्रों के लिये अलग वेबपेज बनाने का उल्लेख किया ताकि छात्र अपने CV, प्रोजेक्ट्स और अन्य उपलब्धियों को सबके सामने प्रस्तुत कर सकें। उन्होंने इंटर कैम्पस काउंसिल स्थापित करने का आश्वासन दिया ताकि बिट्स के अन्य कैम्पस में होने वाली गतिविधियों एवं अन्य कर्यक्रमों में हम हिस्सा ले सकें ।
उन्होंने कैम्पस में NCC विंग स्थापित करने का वादा भी किया। आदित्य के अनुसार NCC से छात्रों में अनुशासन व देशभक्ति की भावना का उदय होगा। इसमें छात्रों को फायरिंग के तरीके भी सिखाए जाएंगे। उनका मानना है कि यह अनुभव सभी छात्रों के लिये काफी रोमांचक होगा।
घोषणापत्र के बिंदुओं पर आते हुए उन्होंने बताया कि मेस में Meal Cancellation प्रणाली लागू करना उनकी प्राथमिकता रहेगी। इसके तहत छात्र अपना खाना 2 दिन पहले रद्द करवा सकते हैं। मेस में फ्रिज लगने पर इस अवधि को 12 घंटे कर दिया जाएगा। पानी की खराब गुणवत्ता की समस्या के समाधान के लिए उन्होंने हर हॉस्टल में R.O. प्रणाली लगवाने का आश्वासन भी दिया। इस कार्य के लिये उन्हें संस्थान से मंजूरी मिल चुकी है। उन्होंने अपनी नई योजना बुक-बैंक का वर्णन भी किया। इसके तहत छात्रों से किताबें मूल कीमत के 40 प्रतिशत मूल्य पर खरीदी जाएँगी व इच्छुक छात्रों को 10 प्रतिशत मूल्य पर एक सेमेस्टर के लिये किराये पर दी जाएँगी। इससे हुए लाभ से SU की योजनाओं का क्रियांवयन किया जायेगा। उन्होंने यह भी बताया कि वे VentureHire, Microsoft और LetsIntern.com जैसी कम्पनियों से इंटर्नशिप के संदर्भ में बात कर चुके हैं। उन्होंने क्लब्स के सदस्यों द्वारा हुए खर्चों का समय-समय पर पुनर्भुगतान करने का आश्वासन दिया। फेस्ट्स से एक महीना पहले क्लब्स व डिपार्ट्मेंट्स की बैठक बुलाने के अपने वादे का औचित्य बताते हुए आदित्य ने कहा कि इससे सारे क्लब्स व डिपार्टमेंट्स की योजनाओं का समय रहते पता चल सकेगा और उनमें उपयोगी सुझाव दिए जा सकेंगे।
उन्होंने SU की वेबसाइट को नया रूप देने की बात भी कही, ताकि उस पर मेस बिल, टी-शर्ट साइनिंग आदि की जानकारी भी डाली जा सके। इसके अलावा छात्र टी-शर्ट, वर्कशॉप आदि की फर्ज़ी साइनिंग को 15 दिन के अंदर रद्द भी करवा सकेंगे। साथ ही SU की वेबसाइट से रोबोकॉन आदि के लिये प्रायोजन भी आमंत्रित किए जा सकेंगे। उन्होंने तृतीय व चतुर्थ वर्ष के छात्रों के लिये अलग वेबपेज बनाने का उल्लेख किया ताकि छात्र अपने CV, प्रोजेक्ट्स और अन्य उपलब्धियों को सबके सामने प्रस्तुत कर सकें। उन्होंने इंटर कैम्पस काउंसिल स्थापित करने का आश्वासन दिया ताकि बिट्स के अन्य कैम्पस में होने वाली गतिविधियों एवं अन्य कर्यक्रमों में हम हिस्सा ले सकें ।
उन्होंने कैम्पस में NCC विंग स्थापित करने का वादा भी किया। आदित्य के अनुसार NCC से छात्रों में अनुशासन व देशभक्ति की भावना का उदय होगा। इसमें छात्रों को फायरिंग के तरीके भी सिखाए जाएंगे। उनका मानना है कि यह अनुभव सभी छात्रों के लिये काफी रोमांचक होगा।
श्री कृष्णा प्रसाद रेड्डी
श्री कृष्णा ने अपने छात्रसंघ अध्यक्ष पद की दावेदारी के विषय पर हमसे खास बातचीत की| उनका कहना है कि उनकी सबसे बड़ी खूबी उनकी लगन हैं| पिछले वर्ष हॉस्टल प्रतिनिधि के चुनाव में पराजय के बावजूद उनका छात्रसंघ के प्रति रुझाव बना रहा| वह कहते हैं कि वह लगातार जी.बी.एम् मीट्स में भाग लेते रहे| इसके अतिरिक्त उन्होंने अपोजी में छात्रों को घर जाने से रोकने के लिए नेक्सस नामक प्री अपोजी इवेंट का आयोजन किया|
मैनिफेस्टो पर बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि दीवारों पर नोटिस लगाने की पाबंदी से हो रही समस्याओ से पार पाने के लिए मेस में एल.ई.डी. टी.वी लगवाने का प्रावधान हैं| इस विषय पर इंस्टीटयूट से बात की गई हैं| यदि यह ऐसा होता है तो हर क्लब/डिपार्टमेंट/असौक आदि को लॉगिन जानकारी दी जाएगी जिससे वह अपना पोस्टर प्रकाशित कर सकते हैं| इसके अतिरिक्त इंस्टीट्यूट नोटिस भी इन पर दिखाए जाएंगे| यदि इसका पूरा भार छात्र संघ पर आता हैं तो हर छात्र को प्रति वर्ष रु.21/- अदा करने होंगे| छात्र संघ कार्यों के लिखित प्रमाण पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले वर्षों में किये गए विभिन्न कार्यों के लिखित प्रमाणों में कमी थी, इसलिए वह इस वर्ष इसमें सुधार लाना चाहते हैं| इसकी आवश्यकता इसलिए भी हैं क्योकि काफी छात्रों को छात्र संघ कार्यों के बारे में पता नहीं रहता| इसके अंतर्गत वह यूनियन काउंसिल तथा कॉस्टा/स्टूका की मुख्य मीट्स का प्रेस क्लब्स की सहायता से लिखित प्रमाण तैयार करेंगे तथा उसे संकलित करके छात्र संघ पोर्टल पर डालेंगे|
तदान्तर श्री कृष्णा ने इंटर्नशिप सेल के बारे में बताया| बिट्स द्वारा दी गई आठ महीनों की इंटर्न के बावजूद क्या इसकी आवश्यकता हैं? इस पर उनका विचार था कि प्रथम एवं तृतीय वर्ष के छात्र भी साल के अंत में इंटर्न पर जाना चाहते हैं| उनके किये गए सर्वे के अनुसार 400 ऑन कैम्पस चतुर्थ वर्ष छात्रों में करीब 180 तृतीय वर्ष के बाद इंटर्न पर गए थे| यह सेल मुख्यतः बचे हुए छात्रों को भी इंटर्न करने का अवसर प्रदान करेगा |
श्री कृष्णा ने बिट्स में विभिन्न तकनीकी संस्थाओं को मिलाकर बिट्स टेक्निकल विंग बनाने का प्रस्ताव रखा| इसका मुख्य उद्देश्य हैं कि सभी संस्थाओं के लिए एक साथ स्पॉन्सर्शिप लाई जाएगी| उनका कहना था कि यह तकनीकी संस्थाए अपनी ओर से भी स्पॉन्सर्शिप लाना जारी रखेंगी| यह स्पॉन्सर्शिप उन छात्रों के लिए भी लाभदायक साबित होगी जो तकनीकी क्षेत्र में आगे बढ़ने के इच्छुक है पर आर्थिक कारणों से नहीं बढ़ पाते|
महिला जागरुकता केंद्र के बारे में उनका कहना था कि यह केंद्र दो भाग में काम करेगा| इसका एक भाग ग्रामीण महिलाओं (मुख्यतः पिलानी के आस पास) के उत्थान के लिए काम करेगा| यह भाग एन.एस.एस तथा निर्माण के सहयोग से आगे बढ़ेगा| इसके अंतर्गत महिलाओं को स्वाधीनता प्रदान करने के लिए विभिन्न हुनर सिखाए जाएंगे| दूसरा भाग केम्पस की छात्राओं की ओर केंद्रित रहेगा| इसके अंन्तर्गत छात्राओं को कॉरपरेट जगत में होने वाला उत्पीड़नों के विषय पर जागरुकता प्रदान की जाएगी|
मैनिफेस्टो पर बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि दीवारों पर नोटिस लगाने की पाबंदी से हो रही समस्याओ से पार पाने के लिए मेस में एल.ई.डी. टी.वी लगवाने का प्रावधान हैं| इस विषय पर इंस्टीटयूट से बात की गई हैं| यदि यह ऐसा होता है तो हर क्लब/डिपार्टमेंट/असौक आदि को लॉगिन जानकारी दी जाएगी जिससे वह अपना पोस्टर प्रकाशित कर सकते हैं| इसके अतिरिक्त इंस्टीट्यूट नोटिस भी इन पर दिखाए जाएंगे| यदि इसका पूरा भार छात्र संघ पर आता हैं तो हर छात्र को प्रति वर्ष रु.21/- अदा करने होंगे| छात्र संघ कार्यों के लिखित प्रमाण पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले वर्षों में किये गए विभिन्न कार्यों के लिखित प्रमाणों में कमी थी, इसलिए वह इस वर्ष इसमें सुधार लाना चाहते हैं| इसकी आवश्यकता इसलिए भी हैं क्योकि काफी छात्रों को छात्र संघ कार्यों के बारे में पता नहीं रहता| इसके अंतर्गत वह यूनियन काउंसिल तथा कॉस्टा/स्टूका की मुख्य मीट्स का प्रेस क्लब्स की सहायता से लिखित प्रमाण तैयार करेंगे तथा उसे संकलित करके छात्र संघ पोर्टल पर डालेंगे|
तदान्तर श्री कृष्णा ने इंटर्नशिप सेल के बारे में बताया| बिट्स द्वारा दी गई आठ महीनों की इंटर्न के बावजूद क्या इसकी आवश्यकता हैं? इस पर उनका विचार था कि प्रथम एवं तृतीय वर्ष के छात्र भी साल के अंत में इंटर्न पर जाना चाहते हैं| उनके किये गए सर्वे के अनुसार 400 ऑन कैम्पस चतुर्थ वर्ष छात्रों में करीब 180 तृतीय वर्ष के बाद इंटर्न पर गए थे| यह सेल मुख्यतः बचे हुए छात्रों को भी इंटर्न करने का अवसर प्रदान करेगा |
श्री कृष्णा ने बिट्स में विभिन्न तकनीकी संस्थाओं को मिलाकर बिट्स टेक्निकल विंग बनाने का प्रस्ताव रखा| इसका मुख्य उद्देश्य हैं कि सभी संस्थाओं के लिए एक साथ स्पॉन्सर्शिप लाई जाएगी| उनका कहना था कि यह तकनीकी संस्थाए अपनी ओर से भी स्पॉन्सर्शिप लाना जारी रखेंगी| यह स्पॉन्सर्शिप उन छात्रों के लिए भी लाभदायक साबित होगी जो तकनीकी क्षेत्र में आगे बढ़ने के इच्छुक है पर आर्थिक कारणों से नहीं बढ़ पाते|
महिला जागरुकता केंद्र के बारे में उनका कहना था कि यह केंद्र दो भाग में काम करेगा| इसका एक भाग ग्रामीण महिलाओं (मुख्यतः पिलानी के आस पास) के उत्थान के लिए काम करेगा| यह भाग एन.एस.एस तथा निर्माण के सहयोग से आगे बढ़ेगा| इसके अंतर्गत महिलाओं को स्वाधीनता प्रदान करने के लिए विभिन्न हुनर सिखाए जाएंगे| दूसरा भाग केम्पस की छात्राओं की ओर केंद्रित रहेगा| इसके अंन्तर्गत छात्राओं को कॉरपरेट जगत में होने वाला उत्पीड़नों के विषय पर जागरुकता प्रदान की जाएगी|
महासचिव पद के दावेदार
आकाश चंद्रा
महासचिव पद के दावेदार आकाश चंद्रा से हिंदी प्रेस क्लब ने छात्र-संघ चुनाव से सम्बंधित मुद्दों पर बातचीत की| आकाश गत वर्ष भागीरथ भवन के प्रतिनिधि रह चुके हैं| “महासचिव ही क्यों, अध्यक्ष क्यों नहीं?” ये प्रश्न पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि महासचिव का काम इन्वेंटरी से जुड़ा होता है जबकि अध्यक्ष का काम वित्तीय विभाग संभालना होता है और वे इन्वेंटरी के काम करना चाहते हैं|
Fly-Trap की जरूरत और कीमत के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि कैंपस में कीड़ों की समस्या बहुत ज़्यादा है| लागत के बारे में उन्होंने बताया कि इसका खर्च लगभग 24प. प्रति दिन प्रति छात्र चार सेमेस्टर तक आएगा|
पेप्सी.को. वेंडिंग मशीन पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया की पेप्सि.को. हमें निःशुल्क वेंडिंग मशीन दे रही है और ये मशीन 24 घंटे काम करेगी| आकाश की मानें तो वर्तमान मेस साइनिंग प्रक्रिया में अवैध साइनिंग की समस्या से छुटकारा पाने के लिए एक नया सॉफ्टवेर लेने की तैयारी हो चुकी है और अगर मौका मिला तो पद संभालेने के एक या दो दिन के भीतर ही यह प्रक्रिया लागू कर दी जाएगी| एसयू पोर्टल के बारे में उनसे पूछने पर उन्होंने बताया कि ये सुविधा पहले से ही कार्यरत है लेकिन अभी तक इसे चतुर्थ वर्षीय छात्र चलाते थे जो प्रायः कम रूचि लेते थे| परिणाम स्वरूप वेबसाइट बहुत कम अपडेट होती थी| उन्होंने कहा कि वे इसे सुधारने के लिए 6 लोगों की एक टीम बनायेंगे जिसमें सभी वर्ष के प्रतिनिधि होंगे| पोर्टल पर विद्यार्थी अपनी समस्याओं का समाधान 2-3 दिनों के भीतर प्राप्त कर सकेंगे|
मेंटरशिप के बारे में उन्होंने बताया कि हम एक 40-50 पूर्व छात्रों की टीम से शुरूआत कर रहे हैं और आगे इससे अन्य पुरातन छात्रों से भी जोड़ेंगे| लाइब्रेरी और एस-9 पर ज़ेरॉक्स वाले स्थान पर ही स्टेशनरी शॉप भी होगी जिसमें सामान्य जरुरत के सामान जैसे कि पेन, पेंसिल आदि उपलब्ध कराए जायेंगे|
साइकिल शेड्स के बारे में उन्होंने कहा कि LTC के बाहर लेक्चर के समय पूरी सड़क साइकिल से घिर जाती है और तेज़ धूप में साइकिल की सीट्स भी ख़राब हो जाती हैं| साइकिल शेड्स के आने से इस समस्या का समाधान तो होगा ही साथ ही FD-1के पीछे जो रिक्त स्थान है वह भी इस्तेमाल हो जाएगा| ध्यान देने की बात यह है कि इनकी ज्यादा आवश्यकता तो छात्रावासों में है लेकिन उसके लिए अभी कोई उपाय नहीं हैं| जब हमने उनसे उनके घोषणापत्र के सबसे महत्वपूर्ण और सबसे कठिन बिंदु के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बिंदु मेस साइनिंग और R.O वॉटर प्यूरीफायर है है, साइकिल शेड्स के सफल होने की संभावना पर संशय ज़रुर है फिर भी वे अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेंगे|
उन्होंने यह स्पष्ट किया कि उनके जीतने के पश्चात यदि किसी और प्रतिनिधि के घोषणा पत्र का कोई बिंदु उन्हें महत्वपूर्ण लगेगा तो वे उसपर अवश्य विचार करेंगे|
Fly-Trap की जरूरत और कीमत के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि कैंपस में कीड़ों की समस्या बहुत ज़्यादा है| लागत के बारे में उन्होंने बताया कि इसका खर्च लगभग 24प. प्रति दिन प्रति छात्र चार सेमेस्टर तक आएगा|
पेप्सी.को. वेंडिंग मशीन पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया की पेप्सि.को. हमें निःशुल्क वेंडिंग मशीन दे रही है और ये मशीन 24 घंटे काम करेगी| आकाश की मानें तो वर्तमान मेस साइनिंग प्रक्रिया में अवैध साइनिंग की समस्या से छुटकारा पाने के लिए एक नया सॉफ्टवेर लेने की तैयारी हो चुकी है और अगर मौका मिला तो पद संभालेने के एक या दो दिन के भीतर ही यह प्रक्रिया लागू कर दी जाएगी| एसयू पोर्टल के बारे में उनसे पूछने पर उन्होंने बताया कि ये सुविधा पहले से ही कार्यरत है लेकिन अभी तक इसे चतुर्थ वर्षीय छात्र चलाते थे जो प्रायः कम रूचि लेते थे| परिणाम स्वरूप वेबसाइट बहुत कम अपडेट होती थी| उन्होंने कहा कि वे इसे सुधारने के लिए 6 लोगों की एक टीम बनायेंगे जिसमें सभी वर्ष के प्रतिनिधि होंगे| पोर्टल पर विद्यार्थी अपनी समस्याओं का समाधान 2-3 दिनों के भीतर प्राप्त कर सकेंगे|
मेंटरशिप के बारे में उन्होंने बताया कि हम एक 40-50 पूर्व छात्रों की टीम से शुरूआत कर रहे हैं और आगे इससे अन्य पुरातन छात्रों से भी जोड़ेंगे| लाइब्रेरी और एस-9 पर ज़ेरॉक्स वाले स्थान पर ही स्टेशनरी शॉप भी होगी जिसमें सामान्य जरुरत के सामान जैसे कि पेन, पेंसिल आदि उपलब्ध कराए जायेंगे|
साइकिल शेड्स के बारे में उन्होंने कहा कि LTC के बाहर लेक्चर के समय पूरी सड़क साइकिल से घिर जाती है और तेज़ धूप में साइकिल की सीट्स भी ख़राब हो जाती हैं| साइकिल शेड्स के आने से इस समस्या का समाधान तो होगा ही साथ ही FD-1के पीछे जो रिक्त स्थान है वह भी इस्तेमाल हो जाएगा| ध्यान देने की बात यह है कि इनकी ज्यादा आवश्यकता तो छात्रावासों में है लेकिन उसके लिए अभी कोई उपाय नहीं हैं| जब हमने उनसे उनके घोषणापत्र के सबसे महत्वपूर्ण और सबसे कठिन बिंदु के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बिंदु मेस साइनिंग और R.O वॉटर प्यूरीफायर है है, साइकिल शेड्स के सफल होने की संभावना पर संशय ज़रुर है फिर भी वे अपनी तरफ से पूरी कोशिश करेंगे|
उन्होंने यह स्पष्ट किया कि उनके जीतने के पश्चात यदि किसी और प्रतिनिधि के घोषणा पत्र का कोई बिंदु उन्हें महत्वपूर्ण लगेगा तो वे उसपर अवश्य विचार करेंगे|
निखिल कुमार झा
छात्र-संघ के चुनावों में महासचिव के पद के प्रत्याशी निखिल कुमार झा ने हिंदी प्रेस क्लब से हुई विशेष वार्तालाप में अपने चुनाव घोषणा पत्र के बिंदुओं व अपने बारे में विस्तृत जानकारी दी । जेन-सेक पद के प्रत्याशी के रूप में खड़े होने के पीछे की प्रेरणा उन्होंने अपने प्रथम वर्ष के व्यास-भवन प्रतिनिधि के प्रभावशाली काम को बताया| बतौर निखिल ने SU वालंटियर के रूप में उनके साथ काम भी किया| इसी के फलस्वरूप वे द्वितीय वर्ष में मैस-रेप प्रत्याशी के रूप में खड़े हुए। उन्होनें यह भी कहा कि उन्हें शिकायत करने कि बजाय काम करना ज़्यादा पसंद है| इसके अलावा उन्होनें N.S.S. सदस्य व BITSAA साइकल क्लब के सन्योजक के रूप में भी कई जिम्मेदारियां संभाली हैं|
साइकल के किराये में प्रस्तावित 150 रु. की भारी कमी के बारे में पूछा गया तो उन्होनें बताया कि वे टायर्स व ट्यूब की मरम्मत नहीं कर के देंगे जिसकी वजह से रख-रखाव के खर्च में काफी कमी आयेगी। कारण पूछे जाने पर उन्होनें बताया कि केवल 10-15% साइकलों के ट्यूब-टायर खराब होते हैं इसलिये सब साइकलों में नये टायर लगाने का कोई औचित्य नहीं है। डेक्सटेरिटी ग्लोबल के बारे में उन्होनें बताया कि यह उनका सर्वाधिक प्रिय मुद्दा है । यह एक बॉस्टन आधारित संस्था है जिसका बिट्स पिलानी चैप्टर बिट्सियंस को इंटर्न्शिप्स, सेमिनार व कई तरह की प्रतियोगिताओं में भाग लेने के अवसर प्रदान करेगा। इसके लिये अलग से इन्फॉर्मेशन पोर्टल बनाया जायेगा। निखिल के अनुसार कम्पनी के CEO शरद विवेक सागर बिट्स पिलानी चैप्टर को लेकर काफी उत्साहित हैं।
रेस इंस्टिट्यूट में बिट्सियंस को पढ़ाने के लिये बुलाने की व्यवस्था तो पहले भी थी। जब पूछा गया कि इसमें नई बात क्या है तो उन्होनें बताया कि इस बार SU की सीधी भागीदारी होगी। साथ ही, इस वर्ष ‘each one, teach one’ के साथ कई ज़्यादा बिट्सियंस योगदान दे सकते हैं। इसमें एक बिट्सियन एक विद्यार्थी को सुविधानुसार अपने कमरे पर बुलाकर पढ़ा सकता है। । ऑनलाइन पोर्टल व पारदर्शिता के मुद्दे पर उनका कहना था कि ऐसे कई बिंदु हैं जिनपर बिट्सियंस स्वयम् को अंधेरे में महसूस करते हैं। अतः इसके लिये भी एक पोर्टल होगा जहाँ प्रॉजेक्ट परिवर्तन की जानकारी दी जायेगी और बताया जायेगा कि बिट्सियंस की फीस कहाँ खर्च हो रही है। साथ ही में एक जेन-सेक ब्लॉग भी बनाया जायेगा जिसमें आप अपने सुझाव, शिकायतें, आदि दर्ज करा सकेंगे।
निखिल ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि वे जीतते हैं तो सबसे पहले लगभग 15 दिनों में FK की नई व्यवस्था चालू की जाएगी। फाइनैनशियल लिटरेसी प्रोग्राम में भी ज़्यादा समय नहीं लगेगा। हाँ, डेक्सटेरिटी ग्लोबल के मुद्दे को लागू करने में देर लग सकती है। उन्होनें GBM को यह संदेश दिया कि यदि उन्हें मुश्किल समय में उचित मार्गदर्शन करने वाला नेता चाहिए तो वो इसके लिये एक योग्य उम्मीदवार हैं और वे SU को प्रगति के पथ पर अग्रसर करेंगे।
साइकल के किराये में प्रस्तावित 150 रु. की भारी कमी के बारे में पूछा गया तो उन्होनें बताया कि वे टायर्स व ट्यूब की मरम्मत नहीं कर के देंगे जिसकी वजह से रख-रखाव के खर्च में काफी कमी आयेगी। कारण पूछे जाने पर उन्होनें बताया कि केवल 10-15% साइकलों के ट्यूब-टायर खराब होते हैं इसलिये सब साइकलों में नये टायर लगाने का कोई औचित्य नहीं है। डेक्सटेरिटी ग्लोबल के बारे में उन्होनें बताया कि यह उनका सर्वाधिक प्रिय मुद्दा है । यह एक बॉस्टन आधारित संस्था है जिसका बिट्स पिलानी चैप्टर बिट्सियंस को इंटर्न्शिप्स, सेमिनार व कई तरह की प्रतियोगिताओं में भाग लेने के अवसर प्रदान करेगा। इसके लिये अलग से इन्फॉर्मेशन पोर्टल बनाया जायेगा। निखिल के अनुसार कम्पनी के CEO शरद विवेक सागर बिट्स पिलानी चैप्टर को लेकर काफी उत्साहित हैं।
रेस इंस्टिट्यूट में बिट्सियंस को पढ़ाने के लिये बुलाने की व्यवस्था तो पहले भी थी। जब पूछा गया कि इसमें नई बात क्या है तो उन्होनें बताया कि इस बार SU की सीधी भागीदारी होगी। साथ ही, इस वर्ष ‘each one, teach one’ के साथ कई ज़्यादा बिट्सियंस योगदान दे सकते हैं। इसमें एक बिट्सियन एक विद्यार्थी को सुविधानुसार अपने कमरे पर बुलाकर पढ़ा सकता है। । ऑनलाइन पोर्टल व पारदर्शिता के मुद्दे पर उनका कहना था कि ऐसे कई बिंदु हैं जिनपर बिट्सियंस स्वयम् को अंधेरे में महसूस करते हैं। अतः इसके लिये भी एक पोर्टल होगा जहाँ प्रॉजेक्ट परिवर्तन की जानकारी दी जायेगी और बताया जायेगा कि बिट्सियंस की फीस कहाँ खर्च हो रही है। साथ ही में एक जेन-सेक ब्लॉग भी बनाया जायेगा जिसमें आप अपने सुझाव, शिकायतें, आदि दर्ज करा सकेंगे।
निखिल ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि वे जीतते हैं तो सबसे पहले लगभग 15 दिनों में FK की नई व्यवस्था चालू की जाएगी। फाइनैनशियल लिटरेसी प्रोग्राम में भी ज़्यादा समय नहीं लगेगा। हाँ, डेक्सटेरिटी ग्लोबल के मुद्दे को लागू करने में देर लग सकती है। उन्होनें GBM को यह संदेश दिया कि यदि उन्हें मुश्किल समय में उचित मार्गदर्शन करने वाला नेता चाहिए तो वो इसके लिये एक योग्य उम्मीदवार हैं और वे SU को प्रगति के पथ पर अग्रसर करेंगे।
शशांक भदोरा
शशांक भदोरा इस वर्ष छात्र संघ के सचिव पद के चार उम्मीदवारों में से एक हैं। शशांक पहले वर्ष से ही छात्र संघ के लिये स्वयंसेवक की तरह कार्य कर रहे हैं और यही उनकी छात्र संघ का सचिव बनने में रुचि का कारण है। अपने द्वितीय वर्ष में उन्होंने ग्रीष्मकालीन कार्यशाला के आयोजन में अपना सहयोग दिया जिसमें गिटार, फोटोग्राफी एवं कोडिंग के बारे मे जानकारी उपलब्ध कराई गई। इसके साथ ही उन्होंने सत्र की समाप्ति पर सीनियर्स से पुराने ट्रंक लेकर उनकी मरम्मत करवाई एवं उन्हें प्रथम वर्ष के छात्रों को कम दामों में उपलब्ध कराया।
शशांक मेस में ब्लूटूथ मॉडेम द्वारा छात्रों को उनके मोबाइल फोन में सारे सूचना पत्र उपलब्ध कराना चाहते हैं। यह यंत्र 100 मीटर के दायरे में एक बार में 42 छात्रों के मोबाइल पर अधिकतम साइज़ 100 किलोबाइट के सूचना पत्र भेज सकता है। शशांक ने प्रत्येक यंत्र का मूल्य 14400 रु. बताया है| बिट्सा साइकिल क्लब की साइकल्स को सार्वजनिक रूप से छात्रों को उपलब्ध कराने के लिए भवन में लगभग 11 साइकिल्स उपलब्ध रहेंगी| छात्र भवन में उपलब्ध लॉग बुक में प्रविष्टि करके साइकिल को एक दिन के लिये ले जा सकते हैं। साइकिलों के सुधार का खर्च साइकल का उपयोग करने वाले सभी छात्रों को मिलकर उठाना होगा, इसके अतिरिक्त और कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।
शशांक ने सीधे इंटरनेट द्वारा प्रिंटिंग की सुविधा उपलब्ध कराने की योजना अंकित किया है। इसके अनुसार सभी विद्यार्थी छात्र संघ की वेब साइट पर अपनी फाइल्स अपलोड कर उनका प्रिंट निकलवा सकते हैं। इस कार्य के लिये उन्हें एस-9 के सन्योजक की सहमति प्राप्त हो गई है। इस सुविधा में भुगतान मेस बिल के द्वारा किया जा सकेगा। शशांक की अगली योजना के अनुसार वह छात्रों को लैपटॉप खरीदी पर छूट उपलब्ध कराएंगे। इस कार्य के लिये उन्होंने जयपुर के एक विक्रेता डॉ. कम्प्यूटर्स से बात की है, जो कि उन्हें डेल, एच.पी. तथा लेनोवो के लैपटॉप पर 8%-10% तक की छूट उपलब्ध करा सकते हैं। परंतु अभी यह सुविधा सेमेस्टर के शुरुआत में ही उपलब्ध हो सकेगी।
शशांक के घोषणा पत्र में आगे छात्र संघ पोर्टल के द्वारा साइनिंग की योजना का उल्लेख है। इस योजना के अनुसार छात्र टी-शर्ट, वर्कशॉप आदि का भुगतान अपने मेस बिल द्वारा ऑनलाइन कर पाएंगे, तथा सीमित अवधी के भीतर अपनी पिछ्ली साइनिंग रद्द भी कर सकेंगे| छात्र संघ के पोर्टल में प्रस्तावित बदलावों को क्रियान्वित करने के लिये शशांक ने छात्र संघ की तकनीकी समिति के अध्यक्ष आशुतोष से भी बात की है। एक अन्य योजना के अनुसार सेमेस्टर के अंत मे छात्रों के लिये ऑनलाइन कैब बुकिंग की सुविधा “cab-adda.com” पर उपलब्ध कराई जाएगी|
महासचिव चुने जाने पर शशांक साइकिल तथा ब्लूटूथ द्वारा सूचनाएँ उपलब्ध कराने की योजना को प्राथमिकता देंगे। शशांक ने कहा कि सचिव के पद पर उनका चुनाव ना होने पर वह नियुक्त किये गए सचिव के समक्ष अपनी योजनाओं को लागू करने का प्रस्ताव रखेंगे, और बिट्सियन जनता के लिये कार्य करते रहेंगे।
शशांक मेस में ब्लूटूथ मॉडेम द्वारा छात्रों को उनके मोबाइल फोन में सारे सूचना पत्र उपलब्ध कराना चाहते हैं। यह यंत्र 100 मीटर के दायरे में एक बार में 42 छात्रों के मोबाइल पर अधिकतम साइज़ 100 किलोबाइट के सूचना पत्र भेज सकता है। शशांक ने प्रत्येक यंत्र का मूल्य 14400 रु. बताया है| बिट्सा साइकिल क्लब की साइकल्स को सार्वजनिक रूप से छात्रों को उपलब्ध कराने के लिए भवन में लगभग 11 साइकिल्स उपलब्ध रहेंगी| छात्र भवन में उपलब्ध लॉग बुक में प्रविष्टि करके साइकिल को एक दिन के लिये ले जा सकते हैं। साइकिलों के सुधार का खर्च साइकल का उपयोग करने वाले सभी छात्रों को मिलकर उठाना होगा, इसके अतिरिक्त और कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।
शशांक ने सीधे इंटरनेट द्वारा प्रिंटिंग की सुविधा उपलब्ध कराने की योजना अंकित किया है। इसके अनुसार सभी विद्यार्थी छात्र संघ की वेब साइट पर अपनी फाइल्स अपलोड कर उनका प्रिंट निकलवा सकते हैं। इस कार्य के लिये उन्हें एस-9 के सन्योजक की सहमति प्राप्त हो गई है। इस सुविधा में भुगतान मेस बिल के द्वारा किया जा सकेगा। शशांक की अगली योजना के अनुसार वह छात्रों को लैपटॉप खरीदी पर छूट उपलब्ध कराएंगे। इस कार्य के लिये उन्होंने जयपुर के एक विक्रेता डॉ. कम्प्यूटर्स से बात की है, जो कि उन्हें डेल, एच.पी. तथा लेनोवो के लैपटॉप पर 8%-10% तक की छूट उपलब्ध करा सकते हैं। परंतु अभी यह सुविधा सेमेस्टर के शुरुआत में ही उपलब्ध हो सकेगी।
शशांक के घोषणा पत्र में आगे छात्र संघ पोर्टल के द्वारा साइनिंग की योजना का उल्लेख है। इस योजना के अनुसार छात्र टी-शर्ट, वर्कशॉप आदि का भुगतान अपने मेस बिल द्वारा ऑनलाइन कर पाएंगे, तथा सीमित अवधी के भीतर अपनी पिछ्ली साइनिंग रद्द भी कर सकेंगे| छात्र संघ के पोर्टल में प्रस्तावित बदलावों को क्रियान्वित करने के लिये शशांक ने छात्र संघ की तकनीकी समिति के अध्यक्ष आशुतोष से भी बात की है। एक अन्य योजना के अनुसार सेमेस्टर के अंत मे छात्रों के लिये ऑनलाइन कैब बुकिंग की सुविधा “cab-adda.com” पर उपलब्ध कराई जाएगी|
महासचिव चुने जाने पर शशांक साइकिल तथा ब्लूटूथ द्वारा सूचनाएँ उपलब्ध कराने की योजना को प्राथमिकता देंगे। शशांक ने कहा कि सचिव के पद पर उनका चुनाव ना होने पर वह नियुक्त किये गए सचिव के समक्ष अपनी योजनाओं को लागू करने का प्रस्ताव रखेंगे, और बिट्सियन जनता के लिये कार्य करते रहेंगे।
वैभव सिंह
महासचिव के पद के लिये अगले उम्मीदवार हैं वैभव सिंह। वैभव प्रथम वर्ष में SU volunteer रह चुके हैं। पिछले सेमेस्टर इन्होंने “बिट्स काम्प्री” जैसी उपयोगी वेबसाइट के अलावा कम कीमत पर भवनों में ट्रंक शिफ्टिंग का जिम्मा भी संभाला था। वैभव ने Decoding 333031 नाम की विवरण-पुस्तिका भी फ्रेशेर्स के लिए उपलब्ध करायी थी।
मैनिफेस्टो पॉइंट्स की शुरुआत करते हुए वैभव ने कहा कि मीरा भवन में इनके द्वारा किये गए एक सर्वे के अनुसार 96 प्रतिशत मीरा भवनवासी उस परिसर में रेड़ी चाहते हैं| इसमें सबसे बड़ी दिक्कत मेल स्टाफ होने की है। इस मुद्दे पर इन्होंने प्रो. सुरेखा भनोत से बात कर ली है और उन्होंने इस प्रस्ताव के लिए सहमति भी दे दी है। रेड़ी के लिए स्थान भी सुनिश्चित हो गया है और स्टाफ से एक सख्त अंडरटेकिंग भरवाने की भी योजना है। वैभव कहते हैं कि विदेशी विश्वविद्यालाओं के साथ BITS के करार तो बहुत पहले से हैं, किन्तु इस पर विशेष कार्य नहीं हुआ है।
‘Student Exchange Programme’ के द्वारा वैभव इस क्षेत्र में छात्रों में जागरूकता फैलाने के साथ-साथ एक प्लेटफ़ॉर्म मुहैय्या कराना चाहते हैं जिससे कि आसानी से बाहर की यूनिवर्सिटीज के छात्र यहाँ आ सकें और बिट्सियंस वहां के कॉलेजों में पढ़ सकें। इनका अगला मैनिफेस्टो पॉइंट था अक्षय और लाइब्रेरी में फोटोकॉपी के लिए ID कार्ड का प्रयोग। इस सन्दर्भ में वैभव ने कहा कि ये कदम पूर्णतः लाभकारी ही होगा और छात्र चेंज में मिलने वाली टॉफ़ी से निजाद पा सकेंगे। वैभव ने पिलानी से लोहारू बस चलवाने की बात भी कही जो प्रति व्यक्ति कैब के मुकाबले 80 से 100 रु. सस्ती पड़ेगी| इसके अतिरिक्त B.E और M.E डिग्री के छात्रों के बीच ज्ञान के आदान प्रदान को बढ़ाने के लिए ये एक ऑनलाइन रिपोजिट्री खोलना चाहते हैं जो कि M.E छात्रों के लिए ऑनलाइन C.V की तरह भी काम करेगा। यह पोर्टल बिट्स लाइब्रेरी पर होस्ट किया जायेगा।
Your BITS, Your voice और RTI के द्वारा ये S.U. वेबसाइट के काम को और पारदर्शी बनाना चाहते हैं। उस पर इनका एक शिकायत सम्बन्धी पोर्टल खोलने का भी प्रस्ताव है। गलत मेस साइनिंग्स से बचने सम्बंधित बिंदु पर उन्होंने कहा कि सभी साइनिंग्स बिलिंग से पहले SWD पर दिखा दी जाएंगी| इनका एक Student Led Technical Mentorship Programme भी शुरू करने का विचार है, जिसमें सम्बंधित प्राध्यापकों की आज्ञा मिलने के बाद प्रतिभाशाली छात्र अपने जूनियर्स सहित सम्बंधित क्षेत्र में रूचि रखने वाले अन्य विद्यार्थियों को स्किल्स सिखा पाएंगे| कोर्स के अंत में सीखने और सिखाने वाले सभी विद्यार्थियों को SU द्वारा प्रोफ़. पैनल से हस्ताक्षरित प्रमाण पत्र भी प्रदान किए जायेंगे।
अगर ये चुनाव जीतते हैं तो अपने मैनिफेस्टो के सभी बिन्दुओं में से प्राथमिकता स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम, MB रेड़ी और ID क्रेडिट स्कीम को देंगे।
मैनिफेस्टो पॉइंट्स की शुरुआत करते हुए वैभव ने कहा कि मीरा भवन में इनके द्वारा किये गए एक सर्वे के अनुसार 96 प्रतिशत मीरा भवनवासी उस परिसर में रेड़ी चाहते हैं| इसमें सबसे बड़ी दिक्कत मेल स्टाफ होने की है। इस मुद्दे पर इन्होंने प्रो. सुरेखा भनोत से बात कर ली है और उन्होंने इस प्रस्ताव के लिए सहमति भी दे दी है। रेड़ी के लिए स्थान भी सुनिश्चित हो गया है और स्टाफ से एक सख्त अंडरटेकिंग भरवाने की भी योजना है। वैभव कहते हैं कि विदेशी विश्वविद्यालाओं के साथ BITS के करार तो बहुत पहले से हैं, किन्तु इस पर विशेष कार्य नहीं हुआ है।
‘Student Exchange Programme’ के द्वारा वैभव इस क्षेत्र में छात्रों में जागरूकता फैलाने के साथ-साथ एक प्लेटफ़ॉर्म मुहैय्या कराना चाहते हैं जिससे कि आसानी से बाहर की यूनिवर्सिटीज के छात्र यहाँ आ सकें और बिट्सियंस वहां के कॉलेजों में पढ़ सकें। इनका अगला मैनिफेस्टो पॉइंट था अक्षय और लाइब्रेरी में फोटोकॉपी के लिए ID कार्ड का प्रयोग। इस सन्दर्भ में वैभव ने कहा कि ये कदम पूर्णतः लाभकारी ही होगा और छात्र चेंज में मिलने वाली टॉफ़ी से निजाद पा सकेंगे। वैभव ने पिलानी से लोहारू बस चलवाने की बात भी कही जो प्रति व्यक्ति कैब के मुकाबले 80 से 100 रु. सस्ती पड़ेगी| इसके अतिरिक्त B.E और M.E डिग्री के छात्रों के बीच ज्ञान के आदान प्रदान को बढ़ाने के लिए ये एक ऑनलाइन रिपोजिट्री खोलना चाहते हैं जो कि M.E छात्रों के लिए ऑनलाइन C.V की तरह भी काम करेगा। यह पोर्टल बिट्स लाइब्रेरी पर होस्ट किया जायेगा।
Your BITS, Your voice और RTI के द्वारा ये S.U. वेबसाइट के काम को और पारदर्शी बनाना चाहते हैं। उस पर इनका एक शिकायत सम्बन्धी पोर्टल खोलने का भी प्रस्ताव है। गलत मेस साइनिंग्स से बचने सम्बंधित बिंदु पर उन्होंने कहा कि सभी साइनिंग्स बिलिंग से पहले SWD पर दिखा दी जाएंगी| इनका एक Student Led Technical Mentorship Programme भी शुरू करने का विचार है, जिसमें सम्बंधित प्राध्यापकों की आज्ञा मिलने के बाद प्रतिभाशाली छात्र अपने जूनियर्स सहित सम्बंधित क्षेत्र में रूचि रखने वाले अन्य विद्यार्थियों को स्किल्स सिखा पाएंगे| कोर्स के अंत में सीखने और सिखाने वाले सभी विद्यार्थियों को SU द्वारा प्रोफ़. पैनल से हस्ताक्षरित प्रमाण पत्र भी प्रदान किए जायेंगे।
अगर ये चुनाव जीतते हैं तो अपने मैनिफेस्टो के सभी बिन्दुओं में से प्राथमिकता स्टूडेंट एक्सचेंज प्रोग्राम, MB रेड़ी और ID क्रेडिट स्कीम को देंगे।
सत्यमेव जयते : कैम्पस में सिगरेट, एल्कॉहल का सेवन
कोई भी साफ दिखने वाली जगह के पास जाइए, सच्चाई सामने आ जाएगी कि बारीक धूल तो वहाँ भी डेरा जमाए बैठी है | बात किसी जगह की हो या किसी राष्ट्र या किसी संस्था की, पर्दे के पीछे की बातें न तो कभी अल्फाज़ का रूप लेती है न ही अपना नागपाश छोड़ती हैं, वे तो बस नासूर बनकर हवा में घुल जाती हैं जिसके ज़हर के साथ न चाहने पर भी जीना पड़ता है |
साधारण पार्टी, बर्थडे पार्टी या अन्य उत्सव, सभी मौकों पर बिट्स परिसर में स्थित कनॉट को देख लीजिए, सारी मासूमियत को लेकर उड़ता धुएँ का एक छल्ला तो मिल ही जायेगा | इसी तरह कैम्पस में एल्कॉहल का सेवन एल्कॉहल की आपूर्ति स्वीकृत न होने के बावजूद छात्र या छात्र-समूह इसका सेवन करते मिल जाते हैं | चिंताजनक बात ये नहीं है कि सेवन करने वालों की संख्या काफी ज्यादा है बल्कि यह है कि यह संस्कृति दिन ब दिन सामान्य होती जा रही है |
प्रश्न उठता है कि :
क्या ये मादक पदार्थ कैम्पस में उपलब्ध है?
यदि कैम्पस के बाहर से आयात होते है तो –
क्या छात्र स्वयं यह कार्य करते हैं?
कोई एजेंट है जो यह कार्य करता है?
कैम्पस में इन साधनों का परिवहन कैसे होता है?
इन सामान्य प्रश्नों का उत्तर आसपास से सहज ही जानने को मिलता है | पहली बात तो यह कि कैम्पस में हॉस्टल्स के पास के बाजारों में कोई विनिमय नहीं होता| कनॉट में कुछ दुकानों पर सिगरेट मिलती है लेकिन एल्कॉहल सामन्यतया नहीं उपलब्ध होता| कैम्पस के आसपास कुछ दुकानें तथा बार हैं जहाँ सारे साधन छात्रों को मिल सकते हैं | लेकिन यह बात हैरतअंगेज करने वाली है कि कैम्पस में इन साधनों का परिवहन आदी छात्रों द्वारा आपसी विनिमय द्वारा होता है जो सामन्यतया सभी जगह का सर्वश्रेष्ठ साधन है |
यह सब बिट्स में कोई नयी चीज नहीं है, यह संस्कृति तो पहले से ही चलती आ रही है | परन्तु ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि पहले यह संस्कृति तृतीय और चतुर्थ वर्षीय छात्रों में देखने को मिलती थी परन्तु अब प्रथम और द्वितीय वर्षीया छात्रों में इसका विस्तार देखने को मिल रहा है |
और हम दुनिया से ऊपर हैं-
कहने को बिट्सियन्स कहकर हम स्वयं को दुनिया से ऊपर समझते हैं परन्तु अपने स्वास्थ्य और देश के भविष्य को दांव पर लगाने का खोखला साहस कर रहें हैं, वह भी तब जब हमें विद्यार्जन के साथ-साथ अपनी ऊर्जा के निवेश की जरुरत है, हम इसे मादक पदार्थों के हवाले बेच रहे हैं | हमारी चेतना को हमारे अहंकार ने जैसे दबा ही दिया है | जरा सोचिये नशे में मदहोश रहते समय कितना समय आप बिट्स से दूर रहे? इस संस्कृति में ढलकर क्या चीज़ आप खो रहें हैं? अपनी बिट्सियन जिंदगी के बाद का समाज और परिवार देखिये, जहाँ मादक पदार्थों को किन नजरों से देखा जाता है ! इन सबसे ऊपर अपने स्वास्थ्य और नशे के क्षणिक आनंद को परस्पर तोलिये, जवाब अपने आप मिल जायेगा |
साधारण पार्टी, बर्थडे पार्टी या अन्य उत्सव, सभी मौकों पर बिट्स परिसर में स्थित कनॉट को देख लीजिए, सारी मासूमियत को लेकर उड़ता धुएँ का एक छल्ला तो मिल ही जायेगा | इसी तरह कैम्पस में एल्कॉहल का सेवन एल्कॉहल की आपूर्ति स्वीकृत न होने के बावजूद छात्र या छात्र-समूह इसका सेवन करते मिल जाते हैं | चिंताजनक बात ये नहीं है कि सेवन करने वालों की संख्या काफी ज्यादा है बल्कि यह है कि यह संस्कृति दिन ब दिन सामान्य होती जा रही है |
प्रश्न उठता है कि :
क्या ये मादक पदार्थ कैम्पस में उपलब्ध है?
यदि कैम्पस के बाहर से आयात होते है तो –
क्या छात्र स्वयं यह कार्य करते हैं?
कोई एजेंट है जो यह कार्य करता है?
कैम्पस में इन साधनों का परिवहन कैसे होता है?
इन सामान्य प्रश्नों का उत्तर आसपास से सहज ही जानने को मिलता है | पहली बात तो यह कि कैम्पस में हॉस्टल्स के पास के बाजारों में कोई विनिमय नहीं होता| कनॉट में कुछ दुकानों पर सिगरेट मिलती है लेकिन एल्कॉहल सामन्यतया नहीं उपलब्ध होता| कैम्पस के आसपास कुछ दुकानें तथा बार हैं जहाँ सारे साधन छात्रों को मिल सकते हैं | लेकिन यह बात हैरतअंगेज करने वाली है कि कैम्पस में इन साधनों का परिवहन आदी छात्रों द्वारा आपसी विनिमय द्वारा होता है जो सामन्यतया सभी जगह का सर्वश्रेष्ठ साधन है |
यह सब बिट्स में कोई नयी चीज नहीं है, यह संस्कृति तो पहले से ही चलती आ रही है | परन्तु ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि पहले यह संस्कृति तृतीय और चतुर्थ वर्षीय छात्रों में देखने को मिलती थी परन्तु अब प्रथम और द्वितीय वर्षीया छात्रों में इसका विस्तार देखने को मिल रहा है |
और हम दुनिया से ऊपर हैं-
कहने को बिट्सियन्स कहकर हम स्वयं को दुनिया से ऊपर समझते हैं परन्तु अपने स्वास्थ्य और देश के भविष्य को दांव पर लगाने का खोखला साहस कर रहें हैं, वह भी तब जब हमें विद्यार्जन के साथ-साथ अपनी ऊर्जा के निवेश की जरुरत है, हम इसे मादक पदार्थों के हवाले बेच रहे हैं | हमारी चेतना को हमारे अहंकार ने जैसे दबा ही दिया है | जरा सोचिये नशे में मदहोश रहते समय कितना समय आप बिट्स से दूर रहे? इस संस्कृति में ढलकर क्या चीज़ आप खो रहें हैं? अपनी बिट्सियन जिंदगी के बाद का समाज और परिवार देखिये, जहाँ मादक पदार्थों को किन नजरों से देखा जाता है ! इन सबसे ऊपर अपने स्वास्थ्य और नशे के क्षणिक आनंद को परस्पर तोलिये, जवाब अपने आप मिल जायेगा |
प्रोफेसर एरॉन सिशानोवर का बिट्स आगमन ||
दिन 29 नवम्बर, बिट्स के छात्रों में चर्चा का विषय कॉम्प्री की तैयारी न हो कर प्रो. एरॉन सिशानोवर का होने वाला लेक्चर था| हनीवैल इनिशिएटिव फॉर साइंस एंड इंजीनियरिंग (HISE) कार्यक्रम के अंतर्गत यह लेक्चर बिट्स पिलानी में आयोजित किया गया था| प्रोफेसर सिशानोवर उन 22 नोबल पुरस्कार विजेताओं में से है जिनके साथ हनीवैल 2006 से, विश्वभर के विश्वविद्यालयों में संवाद करने का कार्य कर रहा है और यह भारत में ऐसा नौवाँ आयोजन है|
पढाई के दबाव के बावजूद प्रेक्षाग्रह में छात्र काफी संख्या में आये थे| छात्रों के साथ वहाँ सभी शिक्षक भी मौजद थे, मौका था ही कुछ ऐसा - 2006 रसायन शास्त्र नोबल पुरस्कार के विजेता, प्रोफेसर एरॉन सिशानोवर, का हमारे बिट्स के प्रेक्षाग्रह में मौजूदगी| कार्यक्रम का शुभारंभ बिट्स के छात्रों द्वारा पेश किये गए एक परंपरागत गीत से हुई| इसके बाद प्रो. बी.एन जैन ने हनीवैल के परफॉरमेंस मैटीरियल एवं तकनीक वाईस प्रेसिडेंट इयान शैंकलैंड को उपस्थित सभा को संबोधित करने के लिए आमन्त्रित किया| उन्होने अपनी कंपनी की उपलब्धियों के बारे में बताया और प्रो. सिशानोवर की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए उन्हें मंच पर आमंत्रित किया|
प्रो. सिशानोवर ने विज्ञान के क्षेत्र में अपार संभावनाओं के बारे में विस्तार से चर्चा की| उन्होंने औषधि विज्ञान में हो रही तरक्की और उसके कारण मानव सभ्यता में हो रहे बदलाव पर अपनी निजी राय भी बताई| उन्होने कहा “ हम ऐसे युग से बाहर निकल रहे हैं जहाँ रोगों के उपचार की हमारी सोच ‘ प्रत्येक के लिए समान है’ और अब हम ‘वैयक्तिक दवा’ के नए युग में प्रवेश कर रहे हैं जहाँ हम रोगी के विशिष्ट प्रोफाइल के अनुसार उपचार का निर्धारण करते हैं”|
लेक्चर के अंत में सवाल पूछने में छात्रों के साथ साथ शिक्षकों ने भी भाग लिया| एक दिलचस्प प्रश्न बिट्स के ही एक छात्र ने पूछा “फार्मेसी के अच्छे दिन क्या आगे वापस आयेंगे”| इस पर प्रोफेसर ने विश्व भर में फार्मेसी की वर्तमान स्थिति पर चिंतन व्यक्त किया परन्तु यह भी माना कि अगले कुछ वर्षों में इंडस्ट्रियल फार्मेसी अपना पुराना सिक्का कॉर्पोरेट और रिसर्च में फिर से जमा लेगी| दो घंटे चले इस कार्यक्रम ने बिट्स के छात्रों एवं शिक्षकों को चिकित्सा पद्धति को जानने की नई सोच प्रदान की| प्रो. एरॉन ने अपने सहज शील सवभाव से वहाँ प्रस्तुत हर एक सदस्य का मन जीत लिया|
लेक्चर के तुरन्त बाद एक प्रेस-कॉन्फ्रेंस का भी आयोजन किया गया जिसमें लगभग सभी मुख्य समाचार पत्रों के रिपोर्टर्स ने प्रोफेसर सिशानोवर, प्रो. बी.एन जैन और हनीवैल के इयान शैंकलैंड से सवाल पूछे| बिट्स पिलानी कॉलेज को HISE के आयोजन स्थल के चयन के मानदंडो के सवाल पर इयान शैंकलैंड ने जवाब दिया कि ऐसा कोई खास मानदंड नहीं है परन्तु हमारी कंपनी में मौजूद बिट्सियन एलुम्नाई के कार्य और मौजूदा बिट्स-विद्यार्थियों के स्किल्स हमें यहाँ खींच लाये| प्रो. इस बी.एन जैन ने भी इस आयोजन के लिए हनीवैल को धन्यवाद किया और मौजूदा ऐकडेमिक पाठ्यक्रम में बदलाव के लिए हनीवैल के साथ काम करने के की प्रतिबद्धता व्यक्त की| इस कॉन्फ्रेंस में मौजूद एच.पी.सी रिपोर्टर ने इसपर प्रो. बी.एन जैन से सवाल पुछा की हनीवैल के साथ पाठ्यक्रम के बदलाव की वार्ता का मुख्य मुद्दा क्या होगा- प्लेसमेंट्स के लिए दक्षता बढ़ाना, जिसके लिए अधिकाँश छात्र अपनी जी-जान लगा रहे हैं और बिट्स को जिस क्षेत्र में अभी सुधार करना है, या रिसर्च में छात्रों की रुचि बढ़ाना| प्रो. जैन ने कहा “बिज़नेस ही सिर्फ एक मतलब नहीं है- हम उन छात्रों को प्रेरित करना चाहते है जिनकी रूचि विज्ञान की गहराईयों में जाने में है| माना कि प्लेसमेंट्स कॉलेज की परफोर्मेंस में एक मुख्य प्रारूप निर्धारित करती है लेकिन इस बदलाव का केंद्र छात्रों को विषय विशेष का गहराई से ज्ञान देना है |
अंत में प्रोफेसर सिशानोवर से पूछा गया कि वे विश्वभर के कॉलेज के छात्रों से मिलते रहते हैं और अपने ज्ञान को बाँटते रहे हैं - आप ऐसा क्यों करते हैं| उन्होने मुस्कराते हुए जवाब दिया कि उन्हें अपने ज्ञान को दुनिया तक पहुँचाना और आज की पीढ़ी को रिसर्च के प्रति प्रेरित करना अच्छा लगता है और इसलिए वे ये सब करते हैं| छात्रों को दिए सन्देश में प्रोफेसर सिशानोवर ने कहा “आप जो भी काम करे, पूरे जोश से करे”|
पढाई के दबाव के बावजूद प्रेक्षाग्रह में छात्र काफी संख्या में आये थे| छात्रों के साथ वहाँ सभी शिक्षक भी मौजद थे, मौका था ही कुछ ऐसा - 2006 रसायन शास्त्र नोबल पुरस्कार के विजेता, प्रोफेसर एरॉन सिशानोवर, का हमारे बिट्स के प्रेक्षाग्रह में मौजूदगी| कार्यक्रम का शुभारंभ बिट्स के छात्रों द्वारा पेश किये गए एक परंपरागत गीत से हुई| इसके बाद प्रो. बी.एन जैन ने हनीवैल के परफॉरमेंस मैटीरियल एवं तकनीक वाईस प्रेसिडेंट इयान शैंकलैंड को उपस्थित सभा को संबोधित करने के लिए आमन्त्रित किया| उन्होने अपनी कंपनी की उपलब्धियों के बारे में बताया और प्रो. सिशानोवर की उपलब्धियों पर प्रकाश डालते हुए उन्हें मंच पर आमंत्रित किया|
प्रो. सिशानोवर ने विज्ञान के क्षेत्र में अपार संभावनाओं के बारे में विस्तार से चर्चा की| उन्होंने औषधि विज्ञान में हो रही तरक्की और उसके कारण मानव सभ्यता में हो रहे बदलाव पर अपनी निजी राय भी बताई| उन्होने कहा “ हम ऐसे युग से बाहर निकल रहे हैं जहाँ रोगों के उपचार की हमारी सोच ‘ प्रत्येक के लिए समान है’ और अब हम ‘वैयक्तिक दवा’ के नए युग में प्रवेश कर रहे हैं जहाँ हम रोगी के विशिष्ट प्रोफाइल के अनुसार उपचार का निर्धारण करते हैं”|
लेक्चर के अंत में सवाल पूछने में छात्रों के साथ साथ शिक्षकों ने भी भाग लिया| एक दिलचस्प प्रश्न बिट्स के ही एक छात्र ने पूछा “फार्मेसी के अच्छे दिन क्या आगे वापस आयेंगे”| इस पर प्रोफेसर ने विश्व भर में फार्मेसी की वर्तमान स्थिति पर चिंतन व्यक्त किया परन्तु यह भी माना कि अगले कुछ वर्षों में इंडस्ट्रियल फार्मेसी अपना पुराना सिक्का कॉर्पोरेट और रिसर्च में फिर से जमा लेगी| दो घंटे चले इस कार्यक्रम ने बिट्स के छात्रों एवं शिक्षकों को चिकित्सा पद्धति को जानने की नई सोच प्रदान की| प्रो. एरॉन ने अपने सहज शील सवभाव से वहाँ प्रस्तुत हर एक सदस्य का मन जीत लिया|
लेक्चर के तुरन्त बाद एक प्रेस-कॉन्फ्रेंस का भी आयोजन किया गया जिसमें लगभग सभी मुख्य समाचार पत्रों के रिपोर्टर्स ने प्रोफेसर सिशानोवर, प्रो. बी.एन जैन और हनीवैल के इयान शैंकलैंड से सवाल पूछे| बिट्स पिलानी कॉलेज को HISE के आयोजन स्थल के चयन के मानदंडो के सवाल पर इयान शैंकलैंड ने जवाब दिया कि ऐसा कोई खास मानदंड नहीं है परन्तु हमारी कंपनी में मौजूद बिट्सियन एलुम्नाई के कार्य और मौजूदा बिट्स-विद्यार्थियों के स्किल्स हमें यहाँ खींच लाये| प्रो. इस बी.एन जैन ने भी इस आयोजन के लिए हनीवैल को धन्यवाद किया और मौजूदा ऐकडेमिक पाठ्यक्रम में बदलाव के लिए हनीवैल के साथ काम करने के की प्रतिबद्धता व्यक्त की| इस कॉन्फ्रेंस में मौजूद एच.पी.सी रिपोर्टर ने इसपर प्रो. बी.एन जैन से सवाल पुछा की हनीवैल के साथ पाठ्यक्रम के बदलाव की वार्ता का मुख्य मुद्दा क्या होगा- प्लेसमेंट्स के लिए दक्षता बढ़ाना, जिसके लिए अधिकाँश छात्र अपनी जी-जान लगा रहे हैं और बिट्स को जिस क्षेत्र में अभी सुधार करना है, या रिसर्च में छात्रों की रुचि बढ़ाना| प्रो. जैन ने कहा “बिज़नेस ही सिर्फ एक मतलब नहीं है- हम उन छात्रों को प्रेरित करना चाहते है जिनकी रूचि विज्ञान की गहराईयों में जाने में है| माना कि प्लेसमेंट्स कॉलेज की परफोर्मेंस में एक मुख्य प्रारूप निर्धारित करती है लेकिन इस बदलाव का केंद्र छात्रों को विषय विशेष का गहराई से ज्ञान देना है |
अंत में प्रोफेसर सिशानोवर से पूछा गया कि वे विश्वभर के कॉलेज के छात्रों से मिलते रहते हैं और अपने ज्ञान को बाँटते रहे हैं - आप ऐसा क्यों करते हैं| उन्होने मुस्कराते हुए जवाब दिया कि उन्हें अपने ज्ञान को दुनिया तक पहुँचाना और आज की पीढ़ी को रिसर्च के प्रति प्रेरित करना अच्छा लगता है और इसलिए वे ये सब करते हैं| छात्रों को दिए सन्देश में प्रोफेसर सिशानोवर ने कहा “आप जो भी काम करे, पूरे जोश से करे”|
“नैवेद्य”
व्यंजनों के महक में रमा “नैवेद्य ”
एक झलक भी इस व्यस्त दुनिया में मेरे परिवेष की भर देती है संतोष
गर एक थाली भी मिल जाए साथ मेरी माटी की तो “तृप्ति” में क्या शेष रहे .......
बिट्स में ग्रब का आयोजन कुछ इन ही पंक्तियों से प्रेरित हुआ लगता है| शनिवार 29 सितम्बर को मध्यांश द्वारा आयोजित “नैवेद्य” में भी गृह-राज्य के परिधानों में सजे मध्यांश सदस्य आगंतुकों को मध्यांचलिक भोजन परोसते दिखे| रात 8:30 बजे शुरू हुए ग्रब में बिट्सियन जनता के अलावा फेकल्टी ने भी शिरकत की|
इन्दौरी पोहा, इन्दौरी पेटीज, साबूदाने की टिक्की जैसे बिट्स में ना मिलने वाले विशेष व्यंजनों से सजी थाली में बिट्स की जानी पहचानी सब्जी पनीर भी परोसी गयी| मालपुए की मिठास हलवे के सामने फीकी लगी| कैरी का पानी अपने में अलग ही पूर्ति का भाव दे रहा था|
ग्रब के बीच अपने चहेतों के लिए चियर करना, भीड में धक्का-मुक्की, महिला सदस्याओं का ब्यूटी-पार्लर से टेम्पो में तैयार होकर आना, बैच-सी को खाने के इंतज़ार करवाना, ग्रब देरी से शुरू करना तो हर ग्रब में होता ही है सो नेवैध्य में भी हुआ| ग्रब थोड़ी देर से शुरू हुआ लेकिन एंट्री से डेज़र्ट मिलने तक का लोगों का अनुभव अच्छा रहा|
एक झलक भी इस व्यस्त दुनिया में मेरे परिवेष की भर देती है संतोष
गर एक थाली भी मिल जाए साथ मेरी माटी की तो “तृप्ति” में क्या शेष रहे .......
बिट्स में ग्रब का आयोजन कुछ इन ही पंक्तियों से प्रेरित हुआ लगता है| शनिवार 29 सितम्बर को मध्यांश द्वारा आयोजित “नैवेद्य” में भी गृह-राज्य के परिधानों में सजे मध्यांश सदस्य आगंतुकों को मध्यांचलिक भोजन परोसते दिखे| रात 8:30 बजे शुरू हुए ग्रब में बिट्सियन जनता के अलावा फेकल्टी ने भी शिरकत की|
इन्दौरी पोहा, इन्दौरी पेटीज, साबूदाने की टिक्की जैसे बिट्स में ना मिलने वाले विशेष व्यंजनों से सजी थाली में बिट्स की जानी पहचानी सब्जी पनीर भी परोसी गयी| मालपुए की मिठास हलवे के सामने फीकी लगी| कैरी का पानी अपने में अलग ही पूर्ति का भाव दे रहा था|
ग्रब के बीच अपने चहेतों के लिए चियर करना, भीड में धक्का-मुक्की, महिला सदस्याओं का ब्यूटी-पार्लर से टेम्पो में तैयार होकर आना, बैच-सी को खाने के इंतज़ार करवाना, ग्रब देरी से शुरू करना तो हर ग्रब में होता ही है सो नेवैध्य में भी हुआ| ग्रब थोड़ी देर से शुरू हुआ लेकिन एंट्री से डेज़र्ट मिलने तक का लोगों का अनुभव अच्छा रहा|
“तृप्ति”
तृप्ति उर्फ ‘फर्स्ट ग्रब ऑफ द इयर’ मौर्य विहार द्वारा 26 सितम्बर को आयोजित किया गया| "कह के लेंगे" टैगलाइन के साथ साइनिंग कराने वाला यह ग्रब अपने नियमित समय से कुछ देरी से शुरू हुआ जिसके कारण वी.के.बी. मेस के बाहर छात्र-छात्राओं की भीड़ उमड़ पड़ी थी| आखिरकार जब “तृप्ति” के लिए दरवाजे खुले तब छात्रों को राहत मिली| दरवाजे खुलते ही सब एक साथ अंदर जाने की कोशिश करने लगे जिस वजह से वहाँ द्वार पर खड़े आयोजक समिति के लोगों को थोड़ी परेशानी हुई और हो भी क्यों ना आखिर उन्होंने बिट्स की जनता को इतनी देर इंतज़ार जो करवाया था| अंदर प्लेटों पर सारे व्यंजन, मिक्स्ड वेज, बैंगन का भरता, पनीर दो प्याजा और लिट्टी परोसे जा चुके थे| और जैसे ही बैठे वैसे ही गर्मा-गरम पूरियाँ आ गयीं, बस और क्या चाहिए हॉस्टल में रहने वालों को| मौर्य विहार के पुरुष-सदस्यों ने जहाँ कुरता पहना था वहीं महिला-सदस्यों ने साड़ी पहन कर इस भारतीय वेशभूषा के चित्र को पूरा किया| साल का पहला ग्रब होने के कारण काफी छात्र इसमें उपस्थित थे| ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ के गानों से हॉल गूंज रहा था| पर उन पर ध्यान देने के लिए किसी के पास वक्त ही कहाँ था| कोई अपने दोस्तों से बातचीत में व्यस्त था तो कोई खाना मँगवाने में| मौर्य विहार के सदस्य अच्छा मेज़बान बनने के पूरी कोशिश कर रहे थे और इसमें वे काफी हद तक सफल हुए भी मगर मालपुए के इंतज़ार ने काम खराब कर दिया| अंत में छात्रों को तोह हर बार की तरह "खाने की कमी" का शिकार होना पड़ा और उन्हें ना तो कुल्फी मिली और न ही मालपुआ | इसी प्रकार नॉनवेज भोजन ने भी लोगों को काफी इन्तजार करवाया| कुछ लोगों ने शिकायत की कि चिकन के नाम पर उन्हें सिर्फ हड्डी ही नसीब हुई| कई लोगो से सर्विस को थोडा ख़राब बताया और इस वर्ष के आयोजन को गत वर्ष के आयोजन से हल्का माना| इन कुछ खामियों दिल से निकाल दें तो ‘तृप्ति’ का आयोजन अच्छा रहा|
“अनुरागिता का भाया राग”
शोर भरी, पाश्चात्य संस्कृति और आधुनिकता पर आधारित बिट्स की अभी तक की सांस्कृतिक-संध्याओं के बीच बुधवार शाम रागमालिका की प्रस्तुति ‘अनुरागिता’ में भारतीय संस्कृति की झलक दिखी| शास्त्रीय संगीत से ओत-प्रोत इस शाम को सफल बनाने और इस मधुर आनंद को प्राप्त करने कुछ गिने चुने बिट्सियन ही पहुँचे|
शास्त्रीय संगीत के साथ मूक नाट्य की अद्भुत प्रस्तुतियां दी गई| इनमें ममता, सच्ची मित्रता, गुरु-शिष्य संबंध सहित वर्तमान युवा पीढ़ी के चरित्र-चित्रण पर आधारित कई ऐसी प्रस्तुतियाँ दी गई जो दर्शक के दिलो दिमाग पर छा गई|
रागमालिका की इस प्रस्तुति में उन्होंने शिष्य और गुरु के मधुर संबंधों को दर्शाया और गुरु की उदारता का परिचय उनके सरल सहज और अस्वार्थी स्वभाव से करवाया|
सच्चे मित्र का महत्व अगली मूक नाटिका में सहज ही देखने को मिला|
अन्य प्रस्तुतियां भी बहुत अच्छी रही| रागमालिका ने संध्या को पूर्णतः सफल बनाया परन्तु साथ ही बिट्सियंस का पाश्चात्य संस्कृति की ओर झुकाव और उनकी शास्त्रीय संगीत से दूरी ऑडी में बैठे नाम मात्र के बिट्सियन्स को देखकर साफ़ ही महसूस हो रही थी|
शास्त्रीय संगीत के साथ मूक नाट्य की अद्भुत प्रस्तुतियां दी गई| इनमें ममता, सच्ची मित्रता, गुरु-शिष्य संबंध सहित वर्तमान युवा पीढ़ी के चरित्र-चित्रण पर आधारित कई ऐसी प्रस्तुतियाँ दी गई जो दर्शक के दिलो दिमाग पर छा गई|
रागमालिका की इस प्रस्तुति में उन्होंने शिष्य और गुरु के मधुर संबंधों को दर्शाया और गुरु की उदारता का परिचय उनके सरल सहज और अस्वार्थी स्वभाव से करवाया|
सच्चे मित्र का महत्व अगली मूक नाटिका में सहज ही देखने को मिला|
अन्य प्रस्तुतियां भी बहुत अच्छी रही| रागमालिका ने संध्या को पूर्णतः सफल बनाया परन्तु साथ ही बिट्सियंस का पाश्चात्य संस्कृति की ओर झुकाव और उनकी शास्त्रीय संगीत से दूरी ऑडी में बैठे नाम मात्र के बिट्सियन्स को देखकर साफ़ ही महसूस हो रही थी|
आर.आई.पी : हिंदी ड्रामा क्लब प्रस्तुति
‘Repeat If Possible’, HDC के नाटक R.I.P. को देखकर जनता ने कुछ यह कहकर अपने विचार व्यक्त किए|
शनिवार शाम ऑडी में फिर रौनक महसूस की गई| रौनक होती भी क्यों न, यहाँ कौन सा देश की राजधानी के ‘चैम्प’ अत्याचार करने वाले थे (:D)|
प्रद्युम्न अचोलिया और दयेश जैसवाल द्वारा निर्देशित यह नाटक चाहे किसी अंग्रेजी नाटक से प्रेरित हो पर हर कथन में एक विचित्र सी यथार्थता दिखाई दी| देश की कानूनी व्यवस्था पर व्यंग्य कसने में तो सभी कलाकार सफल रहे ही और साथ ही साथ दर्शकों को भी पेट टटोलने पर मजबूर कर दिया जिसके फलस्वरूप नाटक के दौरान ऑडी में तालियों की गड़गड़ाहट कई बार सुनाई दी|
अपना उल्लू सीधा करने में लगे हुए हमारे पुलिसकर्मियों के किरदार के साथ इंस्पेक्टर तिवारी (कमल सजनानी) और DCP (सिमर प्रीत सिंह) ने पूर्ण रूप से न्याय किया| पूरे नाटक में जहाँ ये दोनों एक उग्रवादी (शार्दुल) को जिलाधीश समझकर उसकी बातों पर हामी भरते रहे वहीं एक नेक पुलिसकर्मी, पवन (आपका पूरा नाम क्या है?) को बात बात पर फटकारते रहे|
गुलाब सिंह (रजत) और दो हवलदारों (अभिनव और शुभम) ने भी अपने नाट्य हुनर से दर्शकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया|
पत्रकार रजनी (तनवी) ने DCP (सिमर) के साथ मिलकर नाटक को एक नया रूप देकर जनता को खूब हँसाया| डेढ़ घंटे के इस नाटक में इंस्पेक्टर तिवारी लोगों का दिल जीतने की दौड़ में प्रथम आए|
पत्रकार रजनी जी से बस अंत में एक ही सवाल पूछना चाहेंगे हम, “ऐसे सवाल पूछकर आप साबित क्या करना चाहती हैं” :D |
शनिवार शाम ऑडी में फिर रौनक महसूस की गई| रौनक होती भी क्यों न, यहाँ कौन सा देश की राजधानी के ‘चैम्प’ अत्याचार करने वाले थे (:D)|
प्रद्युम्न अचोलिया और दयेश जैसवाल द्वारा निर्देशित यह नाटक चाहे किसी अंग्रेजी नाटक से प्रेरित हो पर हर कथन में एक विचित्र सी यथार्थता दिखाई दी| देश की कानूनी व्यवस्था पर व्यंग्य कसने में तो सभी कलाकार सफल रहे ही और साथ ही साथ दर्शकों को भी पेट टटोलने पर मजबूर कर दिया जिसके फलस्वरूप नाटक के दौरान ऑडी में तालियों की गड़गड़ाहट कई बार सुनाई दी|
अपना उल्लू सीधा करने में लगे हुए हमारे पुलिसकर्मियों के किरदार के साथ इंस्पेक्टर तिवारी (कमल सजनानी) और DCP (सिमर प्रीत सिंह) ने पूर्ण रूप से न्याय किया| पूरे नाटक में जहाँ ये दोनों एक उग्रवादी (शार्दुल) को जिलाधीश समझकर उसकी बातों पर हामी भरते रहे वहीं एक नेक पुलिसकर्मी, पवन (आपका पूरा नाम क्या है?) को बात बात पर फटकारते रहे|
गुलाब सिंह (रजत) और दो हवलदारों (अभिनव और शुभम) ने भी अपने नाट्य हुनर से दर्शकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया|
पत्रकार रजनी (तनवी) ने DCP (सिमर) के साथ मिलकर नाटक को एक नया रूप देकर जनता को खूब हँसाया| डेढ़ घंटे के इस नाटक में इंस्पेक्टर तिवारी लोगों का दिल जीतने की दौड़ में प्रथम आए|
पत्रकार रजनी जी से बस अंत में एक ही सवाल पूछना चाहेंगे हम, “ऐसे सवाल पूछकर आप साबित क्या करना चाहती हैं” :D |
रसायन अभियांत्रिकी कांग्रेस (SCHEMCON)
बिट्स में आयोजित किये जा रहे छात्र रसायन अभियांत्रिकी कांग्रेस (SCHEMCON) के आठवें वार्षिक सत्र का आगाज़ 21 सितंबर को हुआ| LTC के कक्ष सं. 5102 में आयोजित हुए उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि श्री पी.विजयराघवन (अध्यक्ष,भारतीय रसायन अभियंता संस्था(IIChE)), श्री जी.रघुरामा (गेस्ट ऑफ़ ऑनर) और डॉ.सुरेश गुप्ता (HOD, रसायन अभियांत्रिकी विभाग) समेत अन्य विशिष्ट लोगों ने शिरकत की| माल्यार्पण के बाद गणेश स्तुति, सरस्वती वंदना और दीप-प्रज्ज्वलन के साथ सम्मलेन का शुभारम्भ हुआ| सबसे पहले डॉ. ऐ.के.शर्मा ने मनुष्य को प्रकृति का अभिन्न अंग बताते हुए हमारी प्रकृति पर निर्भरता पर प्रकाश डाला| डॉ.सुरेश गुप्ता ने बिट्स में रसायन अभियांत्रिकी के पाठ्यक्रमों और शोध-क्षेत्रों से प्रतिनिधियों को परिचित करवाया| मुख्य अतिथि श्री विजयराघवन ने हाल में बीते विश्वकर्मा जयंती, अभियंता दिवस और विवेकानंद जयंती का वर्णन करते हुए इस अवसर को शुभ और सर्वथा उपयुक्त बताया| उन्होंने प्रतिव्यक्ति ऊर्जा उपभोग को बढ़ने को देश की प्रगति का सूचक बताया, परन्तु संसाधनों के अंधाधुन्ध दोहन पर चिंता जताई| सम्मलेन के विषय ‘स्वच्छ पर्यावरण हेतु ऊर्जा कुशल प्रौद्योगिकी‘ का विवरण देते हुए उन्होंने दीर्घकालिक प्रौद्योगिकियों के प्रयोग के लिए प्रेरित किया| उन्होंने ऊर्जा-कुशल कंपनियों की अन्य कंपनियों पर श्रेष्ठता पर भी टिप्पणी की| अंत में उन्होंने बिट्स के छात्रों की इच्छानुसार कार्य करने की शैली की सराहना की|
प्रो.रघुरामा ने सम्मलेन की सफलता की कामना करते हुए स्वयं को IIChE की कार्यशैली से प्रभावित बताया| उन्होंने रास्ते जाम होने से प्रतिनिधियों को हुई असुविधा पर खेद व्यक्त किया|
डॉ.प्रतीक.एन.सेठ ने सम्मलेन के सफल आयोजन के लिए कार्यरत सभी लोगों के प्रति हार्दिक आभार जताया और इसी के साथ उद्घाटन समारोह का अंत हुआ|
इस सम्मलेन में भाग लेने आये लगभग 450 छात्रों में से IIChE के 122 सदस्य और परिषद् के 16 सदस्य शामिल थे| भाग लेने आये कुल 56 महाविद्यालयों में IIT , NIT सरीखे कोलेजों के लगभग 250 छात्र-छात्राएँ शामिल हुए| इसमें पेपर-प्रज़ेंटेशन, पोस्टर- प्रज़ेंटेशन, क्विज़ आदि तकनीकी कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा| इस सम्मलेन के प्लैटिनम आयोजक ‘वेदांता-हिंदुस्तान जिंक’ थे|
प्रो.रघुरामा ने सम्मलेन की सफलता की कामना करते हुए स्वयं को IIChE की कार्यशैली से प्रभावित बताया| उन्होंने रास्ते जाम होने से प्रतिनिधियों को हुई असुविधा पर खेद व्यक्त किया|
डॉ.प्रतीक.एन.सेठ ने सम्मलेन के सफल आयोजन के लिए कार्यरत सभी लोगों के प्रति हार्दिक आभार जताया और इसी के साथ उद्घाटन समारोह का अंत हुआ|
इस सम्मलेन में भाग लेने आये लगभग 450 छात्रों में से IIChE के 122 सदस्य और परिषद् के 16 सदस्य शामिल थे| भाग लेने आये कुल 56 महाविद्यालयों में IIT , NIT सरीखे कोलेजों के लगभग 250 छात्र-छात्राएँ शामिल हुए| इसमें पेपर-प्रज़ेंटेशन, पोस्टर- प्रज़ेंटेशन, क्विज़ आदि तकनीकी कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा| इस सम्मलेन के प्लैटिनम आयोजक ‘वेदांता-हिंदुस्तान जिंक’ थे|
प्रवाह-प्री-बॉसम विशेषांक
जुनून 2012
2 सितम्बर,रविवार || बिट्स पिलानी के प्रांगण में 2 सितम्बर का दिन अनेक मासूम चेहरों पर मुस्कुराहटें लेकर आया | मानसिक और शारीरिक रूप से अस्वस्थ बच्चों व बड़ों के लिए खेल-कूद, उमंग और रोमांच से भरपूर कुछ पल लेकर आया “जुनून 2012” | एन.एस.एस. बिटस् पिलानी और स्पोर्ट्स काउंसिल द्वारा आयोजित इस अनोखे खेलोत्सव का उद्घाटन बिट्स के मेड-सी ग्राउंड्स में प्रातः 9.30 पर हुआ | यह एकदिवसीय खेल प्रतियोगिता विकलांग बच्चों और जवानों के लिए आयोजित की गयी थी जिसमें 5 एन.जी.ओ. के 94 प्रतियोगी शामिल हुए | ये एन.जी.ओ. थे मुस्कान(दिल्ली), उमंग(जयपुर), अक्षय प्रतिष्ठान(चिड़ावा), आशा का झरना(झुंझुनू) एवं अमला बिरला(पिलानी) |
उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बिट्स पिलानी के उप निर्देशक, श्री आर.एन. साहा और गेस्ट ऑफ ऑनर श्रीमती मधु जैन को सम्मानित किया गया| श्रीमती मधु जैन, जो ‘मुस्कान’ नामक एन.जी.ओ. के साथ कई वर्षों से काम कर रही हैं, ने प्रतियोगियों की हौसलाफ़ज़ाई करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन आपस में भाईचारे की भावना बढ़ाने में सहायक होते हैं | आर.एन.साह ने प्रतियोगियों के जज़्बे को सलाम किया और आशा जताई कि जुनून हर वर्ष आयोजित किया जाएगा | तत्पश्चात खेल सचिव सईद अहमद के साथ प्रतियोगियों ने शपथ ली कि वो प्रतियोगिताओ में खेल भावना के साथ भाग लेंगे |
10.30 बजे से प्रारंभ हुए एथलेटिक्स, बैडमिंटन, कैरम, आदि खेलों में सभी प्रतिभागियों ने जमकर प्रदर्शन किया | अपनी शारीरिक और मानसिक कमियों को भुलाते हुए जिस जोश व उत्साह के साथ ये सभी प्रतिभागी खेल-कूद में हिस्सा ले रहे थे वह अत्यंत ही अलौकिक अनुभव था | मौसम की मेहरबानी के चलते जूनून का रोमांच और भी अधिक हो गया | खेलों के साथ-साथ एन.जी.ओ. के सदस्यों द्वारा बनायीं गयी छोटी बड़ी वस्तुएँ जैसे डायरी, मोमबत्तियाँ, पर्स, आदि के स्टॉल्स भी लगे हुए थे |
सायं काल जब सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रारंभ हुए तो मुख्य अतिथि आदरणीय कुलपति प्रो. बी.एन. जैन व उनकी धर्मपत्नी, निर्देशक प्रो. जी. रघुरामा और उप निर्देशक प्रो. आर.एन. साहा के संग अन्य शिक्षक गण उपस्थित थे | इनके समक्ष सभी एन.जी.ओ. के सदस्यों ने रंगारंग प्रस्तुतियाँ दीं और ढेर सारी वाहवाही लूटी | डांस क्लब की उम्दा पेशकश और छात्र प्रकाश सिंघ की प्रेरक कविता ने भी समां बाँध दिया | तत्पश्चात ‘मुस्कान’ के सदस्यों के संग बिट्स के छात्रों ने एक दोस्ताना बास्केटबाल मैच भी खेला जिसमें उपस्थित जनता ने खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन किया | अंत में सभी खेलों में अव्वल आए खिलाड़ियों को मैडल और प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया | जाते-जाते प्रो. बी.एन. जैन की गुज़ारिश पर सभी बिट्सियन्स ने खिलाड़ियों और उनके गुरुओं के संग डांस किया और इस दिन को और भी यादगार बना दिया |
बाहर से आए एन.जी.ओ. भी बिट्स के स्वागत सत्कार से अभिभूत दिखे और जाते जाते सभी बिट्सियन्स को अपने एन.जी.ओ. में आमंत्रित भी कर गए | कार्यक्रम के संयोजक श्री एच.डी. माथुर जी ने सभी अतिथियों, खिलाड़ियों और एन.एस.एस. व स्पोर्ट्स संघ को तहे दिल से शुक्रिया अदा किया | उन्होंने विश्वास दिलाया कि आने वाले वर्षों में इस प्रकार की बेहतरीन पहल को और बड़े स्तर पर जारी रखा जायेगा | बिट्स पिलानी में इस आयोजन ने देश के अन्य कॉलेजों के सामने एक उदहारण पेश किया है और आशा है कि इस प्रकार के अनोखे कार्यक्रम और अधिक मात्रा में होते रहेंगे |
उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बिट्स पिलानी के उप निर्देशक, श्री आर.एन. साहा और गेस्ट ऑफ ऑनर श्रीमती मधु जैन को सम्मानित किया गया| श्रीमती मधु जैन, जो ‘मुस्कान’ नामक एन.जी.ओ. के साथ कई वर्षों से काम कर रही हैं, ने प्रतियोगियों की हौसलाफ़ज़ाई करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन आपस में भाईचारे की भावना बढ़ाने में सहायक होते हैं | आर.एन.साह ने प्रतियोगियों के जज़्बे को सलाम किया और आशा जताई कि जुनून हर वर्ष आयोजित किया जाएगा | तत्पश्चात खेल सचिव सईद अहमद के साथ प्रतियोगियों ने शपथ ली कि वो प्रतियोगिताओ में खेल भावना के साथ भाग लेंगे |
10.30 बजे से प्रारंभ हुए एथलेटिक्स, बैडमिंटन, कैरम, आदि खेलों में सभी प्रतिभागियों ने जमकर प्रदर्शन किया | अपनी शारीरिक और मानसिक कमियों को भुलाते हुए जिस जोश व उत्साह के साथ ये सभी प्रतिभागी खेल-कूद में हिस्सा ले रहे थे वह अत्यंत ही अलौकिक अनुभव था | मौसम की मेहरबानी के चलते जूनून का रोमांच और भी अधिक हो गया | खेलों के साथ-साथ एन.जी.ओ. के सदस्यों द्वारा बनायीं गयी छोटी बड़ी वस्तुएँ जैसे डायरी, मोमबत्तियाँ, पर्स, आदि के स्टॉल्स भी लगे हुए थे |
सायं काल जब सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रारंभ हुए तो मुख्य अतिथि आदरणीय कुलपति प्रो. बी.एन. जैन व उनकी धर्मपत्नी, निर्देशक प्रो. जी. रघुरामा और उप निर्देशक प्रो. आर.एन. साहा के संग अन्य शिक्षक गण उपस्थित थे | इनके समक्ष सभी एन.जी.ओ. के सदस्यों ने रंगारंग प्रस्तुतियाँ दीं और ढेर सारी वाहवाही लूटी | डांस क्लब की उम्दा पेशकश और छात्र प्रकाश सिंघ की प्रेरक कविता ने भी समां बाँध दिया | तत्पश्चात ‘मुस्कान’ के सदस्यों के संग बिट्स के छात्रों ने एक दोस्ताना बास्केटबाल मैच भी खेला जिसमें उपस्थित जनता ने खिलाड़ियों का उत्साहवर्धन किया | अंत में सभी खेलों में अव्वल आए खिलाड़ियों को मैडल और प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया | जाते-जाते प्रो. बी.एन. जैन की गुज़ारिश पर सभी बिट्सियन्स ने खिलाड़ियों और उनके गुरुओं के संग डांस किया और इस दिन को और भी यादगार बना दिया |
बाहर से आए एन.जी.ओ. भी बिट्स के स्वागत सत्कार से अभिभूत दिखे और जाते जाते सभी बिट्सियन्स को अपने एन.जी.ओ. में आमंत्रित भी कर गए | कार्यक्रम के संयोजक श्री एच.डी. माथुर जी ने सभी अतिथियों, खिलाड़ियों और एन.एस.एस. व स्पोर्ट्स संघ को तहे दिल से शुक्रिया अदा किया | उन्होंने विश्वास दिलाया कि आने वाले वर्षों में इस प्रकार की बेहतरीन पहल को और बड़े स्तर पर जारी रखा जायेगा | बिट्स पिलानी में इस आयोजन ने देश के अन्य कॉलेजों के सामने एक उदहारण पेश किया है और आशा है कि इस प्रकार के अनोखे कार्यक्रम और अधिक मात्रा में होते रहेंगे |
साक्षात्कार - यू.आर.लोही ;अध्यक्ष स्टूडेंट यूनियन , बिट्स पिलानी
एच.पी.सी – अध्यक्ष पद का चुनाव जीतकर आप कैसा महसूस कर रहे हैं ?
लोही – बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूँ |मेरा सपना सच हुआ है | मैंनें बिट्स में अपने पहले वर्ष से यह सपना संजो रखा था ||
एच.पी.सी. – अपनी इस सफलता का श्रेय किसे देते हैं ?
लोही – मेरी टीम को और मेरे सीनियर्स को मेरी पूरी टीम मैंनें प्रथम वर्ष से बनायी थी और ये पूरी टीम का सपना था |केवल होस्टल प्रतिनिधि बनना मेरा लक्ष्य नहीं था |
एच.पी.सी. – आप बिट्सियन जनता का धन्यवाद कैसे करना चाहेंगें ?
लोही – बिट्सियन जनता को मैं उनके सही चुनाव के लिए धन्यवाद देना चाहूँगा |
एच.पी.सी. – क्या आपको लगता है कि अच्छा मेनिफेस्टो जीतने के लिए काफी है ?
लोही – नहीं |
एच.पी.सी. – तो आपके व्यक्तित्व के किस बिंदु को आप अपनी जीत का कारण मानते हैं ?
लोही – विनम्रता को |
एच.पी.सी. – क्या ऑडी-डिबेट के बाद आपको लग रहा था कि आप जीतेंगें ?
लोही – बिल्कुल | मैं निश्चित था |
एच.पी.सी. – आप अपने घोषणा-पत्र के किस बिंदु को सबसे पहले अमल में लाना चाहेंगें ?
लोही – मैंने काफी बिंदुओं पर काम शुरू कर दिया है | मैं सबसे पहले “ टेक्निकल रिपोजिटरी “ , “बिट्स टु कंसल्टेंसी” बिंदुओं पर काम करूँगा |
एच.पी.सी. – अपने विपक्षी के किसी बिंदु को शामिल करना चाहेंगें ?
लोही – नहीं | लेकिन यदि वे स्वयं किसी आइडिया के साथ आये तो कर सकता हूँ |
एच.पी.सी. – फेस्ट्स के घाटे को कम करने के लिए कोई योजना ?
लोही – COSTAA BODY इस पर काम कर रही है | इस बार इवेंट्स कम आयोजित की जायेगी |
एच.पी.सी. – बिट्सियनस् के लिए कोई सन्देश ?
लोही - फेस्ट्स बिट्स के कल्चर है , घर जाने की बजाय यहाँ रुके और फेस्ट्स को एन्जॉय करें |
महासचिव नयन गोयल
छात्र संघ के चुनावों की तो मानो धूम सी मची हुई थी चारों ओर | जहाँ देखो वहीँ कुछ लोगों का गुट हाथों में घोषणा-पत्र लिए अपने-अपने प्रत्याशी का प्रचार-प्रसार करने में व्यस्त थे | 4000 बिट्सियन भी अपने नए नेता को जाने के लिए उत्सुक थे | यह इंतज़ार आज, 21 अगस्त को खत्म हुआ और महासचिव की इस दौड़ में नयन गोयल तकरीबन 600 मतों से विजयी घोषित किये गए |
नयन गोयल ने हिन्दी प्रेस क्लब की बधाई स्वीकार करते हुए जी.बी.एम. के सभी सदस्यों को धन्यवाद करते हुए उन्हें विश्वास दिलाया कि वे अपनी इस ज़िम्मेदारी को पूर्ण रूप से निभाएंगे | अपने पद को ग्रहण करते ही नयन प्राधिकारियों को अपने प्रस्ताव देकर उन्हें जल्द से जल्द पूरा करने की कोशिश करेंगे |
नयन ने हमें बताया कि वे अपने प्रतिद्वंदियों के बिंदुओं पर भी विचार करेंगे | हालांकि बॉसम छात्र संघ के अंतर्गत नहीं आता है, फिर भी वे इसके आयोजकों की मदद करने को तैयार हैं | इस वर्ष के ओएसिस को सफल बनाने के लिए नयन वो हर कदम उठाएँगे जो उन्हें यह सम्मानजनक पद प्रदान करता है |
अंत में महासचिव ने एक भीनी सी मुस्कान और आवाज़ में तृप्ति के साथ प्रत्येक बिट्सियनस् को धन्यवाद किया और आशा जताई कि वे छात्र संघ के इस विशवास पर खरे उतरेंगे |
नयन गोयल ने हिन्दी प्रेस क्लब की बधाई स्वीकार करते हुए जी.बी.एम. के सभी सदस्यों को धन्यवाद करते हुए उन्हें विश्वास दिलाया कि वे अपनी इस ज़िम्मेदारी को पूर्ण रूप से निभाएंगे | अपने पद को ग्रहण करते ही नयन प्राधिकारियों को अपने प्रस्ताव देकर उन्हें जल्द से जल्द पूरा करने की कोशिश करेंगे |
नयन ने हमें बताया कि वे अपने प्रतिद्वंदियों के बिंदुओं पर भी विचार करेंगे | हालांकि बॉसम छात्र संघ के अंतर्गत नहीं आता है, फिर भी वे इसके आयोजकों की मदद करने को तैयार हैं | इस वर्ष के ओएसिस को सफल बनाने के लिए नयन वो हर कदम उठाएँगे जो उन्हें यह सम्मानजनक पद प्रदान करता है |
अंत में महासचिव ने एक भीनी सी मुस्कान और आवाज़ में तृप्ति के साथ प्रत्येक बिट्सियनस् को धन्यवाद किया और आशा जताई कि वे छात्र संघ के इस विशवास पर खरे उतरेंगे |
प्रवाह- छात्र संघ चुनाव संस्करण
प्रवाह अगस्त 2012-फ्रेशेर्स संस्करण
प्रवाह-अप्रैल 2012
हिंदी ड्रामा क्लब -मौन एक मासूम सा....
इस सेमेस्टर की 25 मार्च को हिंदी ड्रामा क्लब बिट्स की जनता के समक्ष रूमानी नाट्य प्रस्तुति ''मौन, एक मासूम सा...'' के साथ आया| एक दर्शक की नज़र से यह नाटक एक ''बॉलीवुड-ड्रामा'' जैसा प्रतीत हुआ| नाटक का नायक 'आकाश' भारतीय आर्मी का एक सैनिक है, जिसकी मुलाक़ात होती है नायिका 'श्रुति' से, उसके दोस्त ‘गुरतेज’ की एक शैतानी के ज़रिये| बाद में पता चलता है कि श्रुति नायक की बहन 'श्वेता' की सहेली है, जो कि कुछ दिन नायक के घर रहेगी| फिर दोनों को एक दूसरे से प्रेम होता है| नायक कार्य के अंतर्गत नागालैंड जाता है और इसी दौरान नायिका दोनों के अलग हो जाने की बात करती है| अंत में हमें यह पता चलता है कि नायिका कैंसर से ग्रस्त है| कहानी में नयेपन की कमी सी नज़र आई परन्तु इसमें किया गया अभिनय प्रसंशनीय रहा| खूबसूरत शायरी का प्रयोग नाटक को और प्रभावी रूप देने में मददगार साबित हुआ| गुरतेज के किरदार ने भी नाटक को रुचिकर बनाये रखा| पिछले नाटक से हाथ लगी निराशा को भुलाकर जनता ने इस बार काफ़ी उत्साह दिखाया और एच.डी.सी. की टीम भी सभी की उम्मीदों पर खरी उतरी| भविष्य में भी उनसे ऐसे ही उम्दा प्रदर्शन की कामना है|
बिट्स पिलानी का आई.आई.टी. दिल्ली में ज़ोरदार प्रदर्शन
कर्ट्सी : आई.आई.टी ,दिल्ली
बिट्स पिलानी को अपने छात्रों के शानदार प्रदर्शन से एक बार फिर गौरवान्वित महसूस करने का अवसर प्राप्त हुआ है| आई.आई.टी. दिल्ली में 2 से 5 मार्च तक आयोजित खेल प्रतियोगिता में बिट्स की टीमों ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है| इस प्रतियोगिता में देश भर से करीब 1000 से भी अधिक खिलाड़ियों ने भाग लिया था| इस मौके पर बिट्स के सभी खिलाड़ियों को पूरे कॉलेज की तरफ़ से ढेर सारी बधाइयाँ और शुभकामनाएं|
गौरतलब है कि पहले आई.टी. बी.एच.यू. न जाने पाने से हमारे खिलाड़ी काफ़ी निराश थे परन्तु फिर भी उन्होंने अपनी मेहनत और निरंतर अभ्यास जारी रखा और दिल्ली में जाकर बिट्स का नाम रोशन कर दिया| कॉलेज ने इस बार 118 छात्र भेजे थे जिसमें 31 छात्राएँ शामिल थीं| इन सभी के शानदार प्रदर्शन से बिट्स को 1 स्वर्ण, 3 रजत व 3 कांस्य पदक हासिल हुए| राहुल अजमेरा (2007B3A7484P) ने पुरुष डिस्कस थ्रो में स्वर्ण पदक तथा अनुभा जैन(2008A5PS443P) ने महिला डिस्कस थ्रो में कांस्य पदक हासिल किया| इसके अलावा हॉकी और क्रिकेट टीम ने भी रजत पदक जीते|
हॉकी टीम के उप-कप्तान अदनान हुसैन ने आई.आई.टी. दिल्ली में अपनी टीम के रजत पदक जीतने के सफ़र के बारे में हमें बताया | टूर्नामेंट को एक अच्छी शुरुआत देते हुए उनकी टीम ने पहला मैच वेंकी के खिलाफ 1-0 से जीता जिसमें विजयी गोल अदनान ने ही किया था | टीम के गोली नरेन्द्रन आर. ने भी अपने बेहतरीन हुनर के बल पर अनेक गोलों का बचाव किया और टीम को जीत की तरफ़ अग्रसर किया| हालांकि इसके बाद अगले मैच में आई.आई.टी. दिल्ली की टीम ने बिट्स को 4-1 से पराजित किया | तीसरे मैच में एस.आर.सी.सी. के विरुद्ध 2-2 से टाई हुआ था जिसमें दोनों गोल माधव वार्ष्णेय ने किये थे | लेकिन फ़ाइनल में हमारी टीम को आई.आई.टी. दिल्ली से 3-0 से हारकर रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा|
इस रोमांचक सफ़र पर हॉकी के सराहनीय प्रदर्शन के लिए टीम के कप्तान विशाल चुंडावत की इच्छा शक्ति,आत्मविश्वास और आशावादी दृष्टिकोण का बड़ा योगदान रहा| तैयारियों के बारे में पूछने पर अदनान ने हमें बताया कि हमारी टीम को टूर्नामेंट के अभ्यास के लिए जिम-जी में सिर्फ आधा ग्राउंड ही मिला था | इस विषय में टीम के कप्तान विशाल की तारीफ़ करते हुए उन्होंने कहा कि विशाल ने चीफ वार्डेन, डायरेक्टर और डिप्टी डायरेक्टर के पास कई बार अनुरोध किया कि उनको खेलने के लिए ग्राउंड दिया जाए जिस पर उन्हें शिशु विहार के ग्राउंड में खेलने की अनुमति दी गई लेकिन उस ग्राउंड के भी खेलने लायक स्थिति में न होने के कारण उन्हें आधे ग्राउंड में अभ्यास करना पड़ा | उन्होंने इस जीत का सारा श्रेय खिलाडियों की लगन, कड़ी मेहनत और जोश को दिया|
एथलेटिक्स की कप्तान मेहक बांगर ने बताया कि बिट्स की टीम 3 साल बाद आई.आई.टी. दिल्ली गयी थी| एम.एन.आई.टी. जयपुर, NIT कुरुक्षेत्र, NIT हमीरपुर, आई.आई.टी. रुड़की व दिल्ली के अन्य कॉलेजों से आई टीमों ने काफ़ी कड़ी टक्कर दी और ऐसे में जीत कर हमारी खुशी दुगनी हो गयी|
खिलाड़ियों के मुताबिक़ आई.आई.टी. दिल्ली के खेल के मैदान काफ़ी अच्छे थे | हॉकी और फ़ुटबॉल के मैदानों में फ़्लड-लाइट की भी सुविधा थी| हालाँकि आई.आई.टी. दिल्ली का फेस्ट सुविधाओं के नाम पर बॉसम से कहीं पीछे था| वहाँ 150 से 200 खिलाड़ियों को एक ही हॉल में शरणार्थियों की तरह ठहराया गया था| फेस्ट के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद कैफ को आमंत्रित किया गया था| लेकिन कॉलेज के छात्रों में फेस्ट को लेकर कोई ख़ास उत्साह नहीं था |
गौरतलब है कि पहले आई.टी. बी.एच.यू. न जाने पाने से हमारे खिलाड़ी काफ़ी निराश थे परन्तु फिर भी उन्होंने अपनी मेहनत और निरंतर अभ्यास जारी रखा और दिल्ली में जाकर बिट्स का नाम रोशन कर दिया| कॉलेज ने इस बार 118 छात्र भेजे थे जिसमें 31 छात्राएँ शामिल थीं| इन सभी के शानदार प्रदर्शन से बिट्स को 1 स्वर्ण, 3 रजत व 3 कांस्य पदक हासिल हुए| राहुल अजमेरा (2007B3A7484P) ने पुरुष डिस्कस थ्रो में स्वर्ण पदक तथा अनुभा जैन(2008A5PS443P) ने महिला डिस्कस थ्रो में कांस्य पदक हासिल किया| इसके अलावा हॉकी और क्रिकेट टीम ने भी रजत पदक जीते|
हॉकी टीम के उप-कप्तान अदनान हुसैन ने आई.आई.टी. दिल्ली में अपनी टीम के रजत पदक जीतने के सफ़र के बारे में हमें बताया | टूर्नामेंट को एक अच्छी शुरुआत देते हुए उनकी टीम ने पहला मैच वेंकी के खिलाफ 1-0 से जीता जिसमें विजयी गोल अदनान ने ही किया था | टीम के गोली नरेन्द्रन आर. ने भी अपने बेहतरीन हुनर के बल पर अनेक गोलों का बचाव किया और टीम को जीत की तरफ़ अग्रसर किया| हालांकि इसके बाद अगले मैच में आई.आई.टी. दिल्ली की टीम ने बिट्स को 4-1 से पराजित किया | तीसरे मैच में एस.आर.सी.सी. के विरुद्ध 2-2 से टाई हुआ था जिसमें दोनों गोल माधव वार्ष्णेय ने किये थे | लेकिन फ़ाइनल में हमारी टीम को आई.आई.टी. दिल्ली से 3-0 से हारकर रजत पदक से ही संतोष करना पड़ा|
इस रोमांचक सफ़र पर हॉकी के सराहनीय प्रदर्शन के लिए टीम के कप्तान विशाल चुंडावत की इच्छा शक्ति,आत्मविश्वास और आशावादी दृष्टिकोण का बड़ा योगदान रहा| तैयारियों के बारे में पूछने पर अदनान ने हमें बताया कि हमारी टीम को टूर्नामेंट के अभ्यास के लिए जिम-जी में सिर्फ आधा ग्राउंड ही मिला था | इस विषय में टीम के कप्तान विशाल की तारीफ़ करते हुए उन्होंने कहा कि विशाल ने चीफ वार्डेन, डायरेक्टर और डिप्टी डायरेक्टर के पास कई बार अनुरोध किया कि उनको खेलने के लिए ग्राउंड दिया जाए जिस पर उन्हें शिशु विहार के ग्राउंड में खेलने की अनुमति दी गई लेकिन उस ग्राउंड के भी खेलने लायक स्थिति में न होने के कारण उन्हें आधे ग्राउंड में अभ्यास करना पड़ा | उन्होंने इस जीत का सारा श्रेय खिलाडियों की लगन, कड़ी मेहनत और जोश को दिया|
एथलेटिक्स की कप्तान मेहक बांगर ने बताया कि बिट्स की टीम 3 साल बाद आई.आई.टी. दिल्ली गयी थी| एम.एन.आई.टी. जयपुर, NIT कुरुक्षेत्र, NIT हमीरपुर, आई.आई.टी. रुड़की व दिल्ली के अन्य कॉलेजों से आई टीमों ने काफ़ी कड़ी टक्कर दी और ऐसे में जीत कर हमारी खुशी दुगनी हो गयी|
खिलाड़ियों के मुताबिक़ आई.आई.टी. दिल्ली के खेल के मैदान काफ़ी अच्छे थे | हॉकी और फ़ुटबॉल के मैदानों में फ़्लड-लाइट की भी सुविधा थी| हालाँकि आई.आई.टी. दिल्ली का फेस्ट सुविधाओं के नाम पर बॉसम से कहीं पीछे था| वहाँ 150 से 200 खिलाड़ियों को एक ही हॉल में शरणार्थियों की तरह ठहराया गया था| फेस्ट के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पूर्व भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद कैफ को आमंत्रित किया गया था| लेकिन कॉलेज के छात्रों में फेस्ट को लेकर कोई ख़ास उत्साह नहीं था |