कार्टून्स- रचनात्मकता अपने चरम पर
हिन्दुस्तान संस्कृतियों का देश है| यहाँ 30 से भी अधिक धर्मों के लोगों का वास है तथा 100 से भी अधिक भाषाएँ बोली जाती हैं| हिन्दुस्तान की इसी सांस्कृतिक विविधता को मनाने के लिए बिट्स पिलानी के छात्र हर वर्ष “ओएसिस” नामक सांस्कृतिक उत्सव का आयोजन करते हैं| ओएसिस एक ऐसा सांस्कृतिक महोत्सव है जहाँ छात्र न केवल हिन्दुस्तानी संस्कृतियों का, अपितु पश्चिमी संस्कृतियों का भी आयोजन बड़े धूमधाम से करते हैं| ओएसिस का हिस्सा बनने के लिए देश भर के महाविद्यालयों से छात्र बिट्स पिलानी में दस्तक देते हैं|
परन्तु इस वर्ष ओएसिस को बहुत-सी कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है| इस समय देश के अन्य सुप्रसिद्ध महाविद्यालय भी अपने कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं| आईआईटी दिल्ली और आईआईटी कानपुर, जो कि देश के प्रमुख तकनीकी अनुष्ठानों में शुमार हैं, के भी उत्सवों का आयोजन ओएसिस से पूर्व है| इसके कारण छात्रों की ओएसिस के प्रति रूचि में कमी आ सकती है| दोनों ही महोत्सव उच्च स्तरीय होते हैं तथा महानगरों में स्थित होने के कारण छात्र वहाँ जाने को प्राथमिकता भी देते हैं| परन्तु इससे भी बड़ी चुनौती यह है कि आईआईटी रूरकी का महोत्सव “थोम्सो” तथा बिट्स गोवा का उत्सव “वेव्स” ओएसिस के समय पर ही आयोजित होंगे| इससे ओएसिस में दूसरे महाविद्यालयों के छात्रों की भागीदारी तो कम होगी ही अपितु बिट्स के छात्र भी इन आयोजनों का हिस्सा नहीं बन पाएँगे| सभी महाविद्यालयों के लिए यह एक असमंजक स्थिति है क्योंकि उन्हें अब इन तीन उत्सवों में से किसी एक का ही चयन करना पड़ेगा| जहाँ एक ओर बिट्स गोवा के पास प्रतिभागियों को लुभाने के लिए गोवा के प्राकृतिक सौंदर्य की सहायता है और आईआईटी रूरकी को आईआईटी ब्रांड का सहारा है, वहीँ ओएसिस केवल अपने कार्यक्रमों की विवधता के बल पर ही प्रतिभागियों को आकर्षित करता है| इसके अतिरिक्त साल के इस समय बहुत से महाविद्यालयों में परीक्षाएँ भी होती हैं| उस कारण भी छात्र ओएसिस में भाग नहीं ले पाएँगे|
ओएसिस के प्रचार विभाग ने इन चुनौतियों का सामना करने के लिए अपने प्रयासों में कोई कमी नहीं रखी| उन्होंने इस वर्ष सभी कॉलेजों से बहुत पहले से ही संपर्क कर लिया था| उन्होंने अपने कार्यक्रमों के प्रचार का भी पूरा ध्यान रखा| उन्होंने सभी कॉलेजों से निरंतर अपना संपर्क बनाए रखा और उन्हें ओएसिस में आने के लिए मनाने की पूरी कोशिश की है| इस बार ओएसिस की थीम भी बहुत रोमांचक है तथा प्रतिभागियों को लुभाने के लिए प्रचार विभाग एवं तकनीकी विभागों ने इसे बहुत ही बेहतरीन तरीके से प्रदर्शित भी किया है|
परन्तु इस वर्ष ओएसिस को बहुत-सी कड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है| इस समय देश के अन्य सुप्रसिद्ध महाविद्यालय भी अपने कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं| आईआईटी दिल्ली और आईआईटी कानपुर, जो कि देश के प्रमुख तकनीकी अनुष्ठानों में शुमार हैं, के भी उत्सवों का आयोजन ओएसिस से पूर्व है| इसके कारण छात्रों की ओएसिस के प्रति रूचि में कमी आ सकती है| दोनों ही महोत्सव उच्च स्तरीय होते हैं तथा महानगरों में स्थित होने के कारण छात्र वहाँ जाने को प्राथमिकता भी देते हैं| परन्तु इससे भी बड़ी चुनौती यह है कि आईआईटी रूरकी का महोत्सव “थोम्सो” तथा बिट्स गोवा का उत्सव “वेव्स” ओएसिस के समय पर ही आयोजित होंगे| इससे ओएसिस में दूसरे महाविद्यालयों के छात्रों की भागीदारी तो कम होगी ही अपितु बिट्स के छात्र भी इन आयोजनों का हिस्सा नहीं बन पाएँगे| सभी महाविद्यालयों के लिए यह एक असमंजक स्थिति है क्योंकि उन्हें अब इन तीन उत्सवों में से किसी एक का ही चयन करना पड़ेगा| जहाँ एक ओर बिट्स गोवा के पास प्रतिभागियों को लुभाने के लिए गोवा के प्राकृतिक सौंदर्य की सहायता है और आईआईटी रूरकी को आईआईटी ब्रांड का सहारा है, वहीँ ओएसिस केवल अपने कार्यक्रमों की विवधता के बल पर ही प्रतिभागियों को आकर्षित करता है| इसके अतिरिक्त साल के इस समय बहुत से महाविद्यालयों में परीक्षाएँ भी होती हैं| उस कारण भी छात्र ओएसिस में भाग नहीं ले पाएँगे|
ओएसिस के प्रचार विभाग ने इन चुनौतियों का सामना करने के लिए अपने प्रयासों में कोई कमी नहीं रखी| उन्होंने इस वर्ष सभी कॉलेजों से बहुत पहले से ही संपर्क कर लिया था| उन्होंने अपने कार्यक्रमों के प्रचार का भी पूरा ध्यान रखा| उन्होंने सभी कॉलेजों से निरंतर अपना संपर्क बनाए रखा और उन्हें ओएसिस में आने के लिए मनाने की पूरी कोशिश की है| इस बार ओएसिस की थीम भी बहुत रोमांचक है तथा प्रतिभागियों को लुभाने के लिए प्रचार विभाग एवं तकनीकी विभागों ने इसे बहुत ही बेहतरीन तरीके से प्रदर्शित भी किया है|