बिट्स पिलानी, पिलानी कैम्पस को उसका नया निदेशक प्रोफ़ेसर अशोक कुमार सरकार के रूप में प्राप्त हुआ है| आई.आई.टी. खड़गपुर से अपनी पी.एचडी. पूर्ण करने वाले प्रोफ़ेसर कुमार इस जिम्मेदारी के निर्वाहन के लिए उत्तम प्रत्याशी हैं| प्रोफ़ेसर रघुरामा पिछले 5 वर्षों से बिट्स के पिलानी परिसर के निदेशक के रूप में अपना अहम योगदान दे रहे हैं और अब अपनी इच्छानुसार वे शिक्षण को प्राथमिकता देते हुए गोवा परिसर में शिक्षक के रूप में काम करना चाहते हैं| प्रोफ़ेसर कुमार लंबे समय से बिट्स पिलानी परिसर में जानपद अभियांत्रिकी के वरिष्ठ शिक्षक रहे हैं| उन्हें परिवहन आयोजन एवं 'पे़वमेंट मेंटेनेंस’ जैसे विषयों पर काम व खोज करना पसंद है| उन्होंने शिक्षण के साथ-साथ खोज का दामन कभी नहीं छोड़ा और वे समय-समय पर कई राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय पत्रिकाओं में अपने कार्य को प्रकाशित करते रहे हैं| केवल इतना ही नहीं, उन्होंने कई पुस्तकों में भी अपना योगदान दिया, कुछ पुस्तकों में संपादक की भूमिका निभाई और कुछ में स्वयं लेखक की| बिट्स पिलानी परिवार उन्हें इस कैम्पस के नए निदेशक के रूप में चुने जाने पर शुभकामनाएँ देता है, और आशा करता है कि आने वाले समय में हमारा संस्थान नई बुलंदियों को छुएगा|
16 मार्च 2015 को 'अपोलो हॉस्पिटल'- चेन्नई से डॉक्टर पी. गणपति एवं उनके कुछ साथी डॉक्टरों ने बिट्स पिलानी कैम्पस का दौरा किया| इस दौरे का मुख्य कारण था बिट्स के कैम्पस पर उपलब्ध चिकित्सा की सुविधाओं का जायजा लेना एवं इसमें ज़रूरी बदलावों का सुझाव देना| डॉक्टर गणपति ने ने अपने इस दौरे का पूरा श्रेय बिट्स पिलानी छात्र संघ के महा सचिव आशुतोष मुन्धरा तथा गरिमा गुप्ता, एस. मैक हेड एवं पूरी एस.मैक टीम को दिया| उन्होंने हमें बताया कि उनके इस दौरे से वे भावनात्मक रूप से भी जुड़े हैं, क्योंकि जब उनका बेटा आई.आई.टी में पढ़ रहा था तब उसे सेलेब्रल मलेरिया हो गया था जिसका पता चलने में भी काफी देरी हो गयी थी, लेकिन ईश्वर की कृपा से वह वापस स्वस्थ हो गया| उनका मानना है कि चिकित्सा में तकनीकी कमी के कारण ही बीमारी का देर से पता चल पाया| उन्होंने बताया कि देश के सभी बड़े कॉलेजों में ऐसी इक्का-दुक्का कहानियाँ ज़रूर होती हैं जहाँ कभी बीमारी का पता चलने में बहुत देर हो गयी हो या बीमारी समय रहते पकड़ में आ भी गयी तो अभिवावकों ने सोचा हो कि किसी विशेषज्ञ से एक बार फिर रिपोर्ट आदि जंचवा लें| ऐसे सभी दुविधाओं का अब निवारण कर पाना आसान है| उनकी नज़रों में बिट्स पिलानी के पास वे सभी संसाधन उपलब्ध हैं जिनकी मदद से यहाँ टैली सर्विस मेडिकल सुविधाएं शुरू की जा सकती हैं| पिलानी में इसकी आवश्यकता इसलिए भी बढ़ जाती है क्योंकि यहाँ हर समय विशेषज्ञों का उपलब्ध रहना लगभग नामुमकिन है| माना कि सभी विद्यार्थी 17 से 25 वर्ष की आयु के बीच हैं एवं उन्हें स्वास्थ्य सेवाओं कि विशेष आवश्यकता नहीं है परन्तु कब किसे किस रूप में इन सेवाओं की ज़रूरत पड़ जाए यह बता पाना मुमकिन नहीं है| निदेशक जी. रघुरामा से हुई बातचीत में उन्होंने अपने सभी सुझावों को उनके समक्ष पेश किया| इसके बाद उन्होंने बिट्स के मेडिकल सुप्रिटेंडेंट से भी मुलाक़ात की जिनके साथ बिरला सार्वजनिक चिकित्सालय के अन्य डॉक्टर भी मौजूद थे| उनसे हुई बातचीत भी सफल रही एवं कुछ मामूली शर्तों के साथ इस नयी सुविधा का उन्होंने स्वागत किया| इसके बाद अगला कदम यह होगा कि आगे इस राह पर क्या-क्या काम करना है? इसका एक प्लान ऑफ एक्शन तैयार करना एवं इसको अमल में लाना होगा| डॉक्टर गणपति अपने बिट्स के दौरे से काफी संतुष्ट दिखाई पड़े और उन्होंने बिट्स दुबारा आने की इच्छा जताई, उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि बिट्स के छात्रों को भी चिकित्सा क्षेत्र से जोड़ें एवं छात्रों के ज्ञान, कल्पना शक्ति एवं सुझावों का प्रयोग करके चिकित्सा को देश के कोने-कोने तक पहुंचायें| उन्होंने सभी को धन्यवाद देते हुए कहा कि 25 घंटे से भी कम समय तक बिट्स कैम्पस में रहने के बावजूद वे यहाँ से बहुत संतुष्ट होकर जा रहे हैं| वे चाहते हैं कि यह सुविधा जल्दी से जल्दी शुरू की जाए इसलिए वे अपनी ओर से किसी भी प्रकार की कोई कमी नहीं होने देंगे|
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August 2015
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