प्लेसमेंट विभाग के समन्वयक के साथ हुए हिंदी प्रेस क्लब के साक्षात्कार में उन्होंने शीत अवकाश के दौरान हुए प्लेसमेंट ड्राइव के परिणामों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि नौकरी पाने वाले छात्रों की संख्या लगभग गत वर्ष जितनी ही थी परंतु इस वर्ष कंपनियों की प्रोफ़ाइल पिछले वर्ष से बेहतर थी। इसके परिणामस्वरूप इस वर्ष, औसत पैकेज 5.2 लाख से बढ़कर 6 लाख तक पहुँच गया।
पिछले वर्ष इस दौरान यांत्रिक (मैकेनिकल) अभियांत्रिकी के छात्र नौकरी पाने वालों में शीर्ष पर थे। परंतु इस वर्ष प्रथम छमाही के दौरान ही यांत्रिक अभियांत्रिकी के अधिकतर छात्रों ने नौकरी प्राप्त कर ली थी, जिसके चलते यह वर्ष सभी शाखाओं के लिए समान रहा। जनपद (सिविल) अभियांत्रिकी से संबंधी कम कंपनियाँ आईं परंतु इन कंपनियों ने अधिक छात्रों को नौकरी का प्रस्ताव दिया। इस बार एम.ई. के छात्रों को भी नौकरी के प्रस्ताव दिए गए। इस वर्ष कुल 14 कंपनियों ने विंटर ड्राइव में भाग लिया।
इस वर्ष ग्रीष्म अवकाश के दौरान होने वाली इंटर्नशिप के लिए प्लेसमेंट विभाग फरवरी एवं मार्च के माह में कार्यरत होगा। उनके अनुसार इस समय प्लेसमेंट एवं इंटर्नशिप को एक साथ संभालना मुश्किल होगा, इसलिए उनका ध्यान इस समय केवल प्लेसमेंट्स की दिशा में केन्द्रित है। परंतु अभी एजवर्ब, ओपेरा, ओरेकल और माइक्रोसॉफ़्ट ने इंटर्नशिप के लिए छात्रों का चुनाव करना प्रारम्भ कर दिया है।
दूसरी छमाही में प्रारम्भ हुए प्लेसमेंट प्रक्रिया के दूसरे सत्र में अभी तक के आंकड़े बेहद प्रभावशाली हैं। इस वर्ष केवल 8 दिनों के भीतर 54 प्रतिशत छात्रों को नौकरी के प्रस्ताव दिए जा चुके है। इस सत्र में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है। भारत में बिट्स के तीनों कैंपस में से पिलानी कैंपस के आंकड़े सबसे अधिक प्रभावशाली है। जहां हैदराबाद में 2 जनवरी से एवं गोवा में 6 जनवरी से प्लेसमेंट प्रक्रिया प्रारम्भ हो गयी थी वहीं पिलानी में 14 जनवरी से इस प्रक्रिया का आगाज हुआ। इसके उपरांत भी पिलानी कैम्पस से अधिकतम प्रतिशत छात्रों को नौकरियाँ प्राप्त हुई है। कुल 212 छात्रों को इन 8 दिनों के भीतर नौकरियाँ प्रस्तावित की गई।
गत वर्षों के तुलना में इस वर्ष की प्लेसमेंट प्रक्रिया बेहतर आंकड़े प्रस्तुत कर रही है। इस सत्र के शानदार शुरुआत के बावजूद भी प्लेसमेंट विभाग ने इस बार के लिए कुछ खास उम्मीदें नहीं बांधी है। उनके समन्वयक का मानना है कि उनका एवं उनके दल का कार्य सिर्फ छात्रों को अवसर प्रदान करना है। अब आगे बढ़कर उस अवसर को नौकरी में तब्दील करना छात्रों के ही हाथ में है।
प्रथम छमाही एवं दूसरी छमाही में प्लेसमेंट सत्र के भेद को स्पष्ट करते हुए उनहोंने कहा कि किसी भी सत्र में प्लेसमेंट प्रक्रिया में भाग लेने में कोई अंतर नहीं होता है। किसी भी सत्र के अपने कोई नफा या नुकसान नहीं हैं। कंपनियाँ केवल एक वर्ष के आधार पर नहीं अपितु गत 2-3 वर्षों के आंकड़ों का अध्ययन कर ही निश्चय करती है कि वे कब आना चाहती हैं। यहाँ ऐसा चलन रहा है कि जो छात्र अधिक अंक प्राप्त करते हैं, वे प्रथम छमाही में कैम्पस पर रहना पसंद करते हैं और फलस्वरूप अधिकतम कंपनियाँ भी प्रथम छमाही में ही आ जाती है। यदि छात्र ऐसा निर्णय लेते हैं कि वे दूसरे छमाही में प्लेसमेंट प्रक्रिया में भाग लेंगे तो कंपिनियां भी उनके लिए अवश्य ही आएंगी।
इस वर्ष प्लेसमेंट विभाग को छात्रों से सम्बंधित जो प्रक्रिया मिली, वो बहुत निराशाजनक थी। अधिकतम कंपनियों की यह शिकायत रही कि छात्रों की तकनीकी योग्यता बेहद कम थी। बिट्स पिलानी के छात्रों का व्यक्तित्व हमेशा से ही प्रभावशाली रहा है जिसके कारण ही कंपनियाँ हमेशा से ही अच्छी संख्या में छात्रों को नौकरियाँ प्रदान करती रहीं हैं। परंतु हर वर्ष आने वाली कंपनियों ने ये भी यह मुद्दा उठाया कि छात्र तकनीकी योग्यता में पिछड़ रहे हैं। वे मानते है कि छात्र नौकरी के दौरान सब सीख सकते है पर उनका कहना है कि यदि छात्र पहले से ही ज्ञानवान हो तो बेहतर रहता है।
इस सत्र के दौरान प्लेसमेंट प्रक्रिया में भाग लेने वाले छात्रों को उन्होंने यह ही सलाह दी कि वे साक्षात्कार हेतु अच्छे से तैयारी करें। उनका कहना है कि छात्रों को व्यर्थ चिंता नहीं करनी चाहिए एवं धैर्य से काम लेना चाहिए। उन्होंने अनुरोध किया कि छात्र किसी भी कंपनी को हल्के मे न लें, क्या पता वही कंपनी उन्हें उनकी मनचाही नौकरी प्रदान कर दे।
पिछले वर्ष इस दौरान यांत्रिक (मैकेनिकल) अभियांत्रिकी के छात्र नौकरी पाने वालों में शीर्ष पर थे। परंतु इस वर्ष प्रथम छमाही के दौरान ही यांत्रिक अभियांत्रिकी के अधिकतर छात्रों ने नौकरी प्राप्त कर ली थी, जिसके चलते यह वर्ष सभी शाखाओं के लिए समान रहा। जनपद (सिविल) अभियांत्रिकी से संबंधी कम कंपनियाँ आईं परंतु इन कंपनियों ने अधिक छात्रों को नौकरी का प्रस्ताव दिया। इस बार एम.ई. के छात्रों को भी नौकरी के प्रस्ताव दिए गए। इस वर्ष कुल 14 कंपनियों ने विंटर ड्राइव में भाग लिया।
इस वर्ष ग्रीष्म अवकाश के दौरान होने वाली इंटर्नशिप के लिए प्लेसमेंट विभाग फरवरी एवं मार्च के माह में कार्यरत होगा। उनके अनुसार इस समय प्लेसमेंट एवं इंटर्नशिप को एक साथ संभालना मुश्किल होगा, इसलिए उनका ध्यान इस समय केवल प्लेसमेंट्स की दिशा में केन्द्रित है। परंतु अभी एजवर्ब, ओपेरा, ओरेकल और माइक्रोसॉफ़्ट ने इंटर्नशिप के लिए छात्रों का चुनाव करना प्रारम्भ कर दिया है।
दूसरी छमाही में प्रारम्भ हुए प्लेसमेंट प्रक्रिया के दूसरे सत्र में अभी तक के आंकड़े बेहद प्रभावशाली हैं। इस वर्ष केवल 8 दिनों के भीतर 54 प्रतिशत छात्रों को नौकरी के प्रस्ताव दिए जा चुके है। इस सत्र में ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है। भारत में बिट्स के तीनों कैंपस में से पिलानी कैंपस के आंकड़े सबसे अधिक प्रभावशाली है। जहां हैदराबाद में 2 जनवरी से एवं गोवा में 6 जनवरी से प्लेसमेंट प्रक्रिया प्रारम्भ हो गयी थी वहीं पिलानी में 14 जनवरी से इस प्रक्रिया का आगाज हुआ। इसके उपरांत भी पिलानी कैम्पस से अधिकतम प्रतिशत छात्रों को नौकरियाँ प्राप्त हुई है। कुल 212 छात्रों को इन 8 दिनों के भीतर नौकरियाँ प्रस्तावित की गई।
गत वर्षों के तुलना में इस वर्ष की प्लेसमेंट प्रक्रिया बेहतर आंकड़े प्रस्तुत कर रही है। इस सत्र के शानदार शुरुआत के बावजूद भी प्लेसमेंट विभाग ने इस बार के लिए कुछ खास उम्मीदें नहीं बांधी है। उनके समन्वयक का मानना है कि उनका एवं उनके दल का कार्य सिर्फ छात्रों को अवसर प्रदान करना है। अब आगे बढ़कर उस अवसर को नौकरी में तब्दील करना छात्रों के ही हाथ में है।
प्रथम छमाही एवं दूसरी छमाही में प्लेसमेंट सत्र के भेद को स्पष्ट करते हुए उनहोंने कहा कि किसी भी सत्र में प्लेसमेंट प्रक्रिया में भाग लेने में कोई अंतर नहीं होता है। किसी भी सत्र के अपने कोई नफा या नुकसान नहीं हैं। कंपनियाँ केवल एक वर्ष के आधार पर नहीं अपितु गत 2-3 वर्षों के आंकड़ों का अध्ययन कर ही निश्चय करती है कि वे कब आना चाहती हैं। यहाँ ऐसा चलन रहा है कि जो छात्र अधिक अंक प्राप्त करते हैं, वे प्रथम छमाही में कैम्पस पर रहना पसंद करते हैं और फलस्वरूप अधिकतम कंपनियाँ भी प्रथम छमाही में ही आ जाती है। यदि छात्र ऐसा निर्णय लेते हैं कि वे दूसरे छमाही में प्लेसमेंट प्रक्रिया में भाग लेंगे तो कंपिनियां भी उनके लिए अवश्य ही आएंगी।
इस वर्ष प्लेसमेंट विभाग को छात्रों से सम्बंधित जो प्रक्रिया मिली, वो बहुत निराशाजनक थी। अधिकतम कंपनियों की यह शिकायत रही कि छात्रों की तकनीकी योग्यता बेहद कम थी। बिट्स पिलानी के छात्रों का व्यक्तित्व हमेशा से ही प्रभावशाली रहा है जिसके कारण ही कंपनियाँ हमेशा से ही अच्छी संख्या में छात्रों को नौकरियाँ प्रदान करती रहीं हैं। परंतु हर वर्ष आने वाली कंपनियों ने ये भी यह मुद्दा उठाया कि छात्र तकनीकी योग्यता में पिछड़ रहे हैं। वे मानते है कि छात्र नौकरी के दौरान सब सीख सकते है पर उनका कहना है कि यदि छात्र पहले से ही ज्ञानवान हो तो बेहतर रहता है।
इस सत्र के दौरान प्लेसमेंट प्रक्रिया में भाग लेने वाले छात्रों को उन्होंने यह ही सलाह दी कि वे साक्षात्कार हेतु अच्छे से तैयारी करें। उनका कहना है कि छात्रों को व्यर्थ चिंता नहीं करनी चाहिए एवं धैर्य से काम लेना चाहिए। उन्होंने अनुरोध किया कि छात्र किसी भी कंपनी को हल्के मे न लें, क्या पता वही कंपनी उन्हें उनकी मनचाही नौकरी प्रदान कर दे।