SU चुनाव में विजयी होने पर अखिल रेड्डी और रिजुल दत्ता को हिन्दी प्रेस क्लब की ओर से बधाइयाँ और उनके कार्यकाल के लिए शुभकामनाएँ। हालांकि चुनावी दौर खत्म हो चुका है परन्तु यह चुनाव बिट्स इतिहास में एक अजीब ही प्रश्न चिह्न छोड़ गया है। आखिरी समय पर चुनाव एक अलग ही मोड़ ले गया। जहाँ बैलट पर्ची पर उम्मीद से कम नाम दिखाई दिए वहीं चुनाव के कुछ घंटों पहले ही अपना प्रचार करने वाले ‘श्रीमान NOTA’ आश्चर्यचकित संख्या में वोट प्राप्त कर दूसरे स्थान पर रहे। यह चुनाव शुरूआत से ही एक रोमांचक पथ पर था परन्तु आख़िरी समय पर तो अनपेक्षित रफ़्तार पकड़ गया।दबी हुई आवाज़ो में उठ रहे प्रश्न चिह्न को पूर्ण विराम लगाने के प्रयास में हिन्दी प्रेस क्लब ने EC से खास मुलाक़ात की। चुनाव प्रक्रिया के दौरान किए गए गलत आचरण की सज़ा संविधान में विस्तार से परिभाषित नहीं की गई है परन्तु ऐसा कुछ होने पर दुराचरण की सीमा माप कर सज़ा EC द्वारा तय की जाती है। यह तो ज़ाहिर सी बात है कि ‘श्रीमान NOTA’ के विजयी होने पर उन्हें पदाभार नहीं दिया जाता। इस पर EC के मधुसूदन ने बताया कि ऐसा कुछ हो जाने पर पुनः चुनाव आयोजित किए जाते हैं। और चुनाव के साथ-साथ पुनः चुनाव की प्रक्रिया भी संविधान में परिभाषित नहीं है। जब उनसे सिम्हा एवं ऋषभ जैन के उम्मीदवारी वापस लेने का कारण पूछा गया तो इस पर EC ने अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा कि यह उम्मीदवारों का निर्णय था और इसपर वे उम्मीदवारों का पक्ष आने तक कोई बयान नहीं देंगे। जब दूसरी ओर दोनों प्रत्याशियों से पूछा गया तो उनका कहना है कि उनपर EC द्वारा गठबंधन का आरोप लगाया गया और उन्हें EC द्वारा उमीदवारी रद्द करवाने अथवा स्वयं उमीदवारी वापस लेने का विकल्प दिया गया। इस पर सिम्हा और ऋषभ ने स्वयं ही अपनी उम्मीदवारी वापस लेने का फैसला किया और जीत की आख़िरी आस को जिंदा रखने के लिए ‘श्रीमान NOTA’ का सहारा लिया। चुनाव परिणाम आने के पश्चात उनका ये निर्णय कुछ हद तक कारगर दिखा परन्तु सफलता नहीं दिला पाया। साथ ही प्रत्याशियों का कहना है कि उन्हें इस आरोप से सम्बंधित कोई सबूत नहीं दिखाए गए परन्तु EC ने दावा किया कि उनके पास इस आरोप के पर्याप्त सबूत हैं। और EC ने सबूत सम्बंधित अधिकारियों के समक्ष पेश कर दिए हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि यह चुनाव EC ने बहुत ही नैतिकतापूर्ण आयोजित करवाए हैं और इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि कहीं भी किसी प्रकार का पक्षपात न हो। इस बात को लेकर प्रत्याशी असंतुष्ट थे। चीफ़ वार्डन की हिन्दी प्रेस क्लब से हुई बात में उन्होंने कहा कि उनके समक्ष सबूत पेश किए गए थे और वे EC के स्वतन्त्र समिति होने के कारण उनके कार्य एवं निर्णय में दखल-अंदाज़ी नहीं करना चाहेंगे। यद्यपि चुनावी मंज़र शांत हो गया है तथापि हाल ही की कुछ घटनाओं की चर्चा आवाम करती रहेगी।
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August 2015
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