अभी हाल ही में 9 अक्टूबर को सुबह 8 बजे FD 3 में रसायनशास्त्र की प्रयोगशाला में लगी आग बिट्स के इतिहास में दुर्भाग्यपूर्ण घटना रही। इस घटना की विस्तृत जानकारी हिंदी प्रेस क्लब ने मुख्य वार्डन श्री चम्पक बरन दास से ली। आग लगने का मुख्य कारण पूछने पर उन्होंने बताया कि एक समिति का गठन किया गया है जो अभी कारणों का पता लगा रही है। उड़ती हुई अफवाहों को ख़ारिज करते हुए उन्होंने कहा कि किसी छात्र की गलती के कारण आग नहीं लगी है। असल तो उन दिनों मध्य-सत्रीय परीक्षा चल रही थी जिस कारण प्रयोगशाला में कोई छात्र था ही नहीं। आग कहाँ तक फैली, इमारत को आर्थिक एवं संरचनात्मक क्षति कितनी हुई एवं नवीकरण में कितना समय लगेगा आदि पर चर्चा भी गठित समिति ही कर रही है। सी.बी.डी. सर ने बताया कि समिति अभी कार्यरत है एवं उपरोक्त प्रश्नों के जवाब अभी उपलब्ध नहीं हैं।
आग का प्रभाव आसपास की अन्य प्रयोगशालाओं एवं कक्षों पर भी पड़ा है। आग जल्द ही फ़ैल गई थी एवं रसायनों का जहरीला धुँआ उठने लगा था। तुरंत ही स्थानीय प्रशासन को बुलाया गया। आग जटिल थी एवं विशेषज्ञों की आवश्यकता भी थी। CEERI से भी एक दल रवाना हुआ जिसने प्रशंसनीय सहायता प्रदान की। बिट्स के रसायनशास्त्री भी एकत्रित हुए एवं घटनाक्रम का जायज़ा लिया। अग्नि रोकथाम के प्रयास चलते रहे जो अगले दिन तक चले। 10 अक्तूबर की सुबह तक आग पर काबू पाया जा सका। गौरतलब है कि कोई भी चोटिल नहीं हुआ एवं इमारत समय पर ही खाली कर ली गई थी। श्री चम्पक बरन ने बताया कि दिल्ली से संरचना विशेषज्ञ भी बुलाए गए हैं जो पुनर्निर्माण का कार्य संभाल रहे हैं। अंदाजे के अनुसार तो ओएसिस के बाद प्रयोगशाला सुचारु रूप से चालित हो जाएँगी। चूँकि इस तरह की घटना पहली बार हुई है, संस्थान के लिए यह एक सबक के समान है। संस्थान से जुड़े सभी व्यक्तियों से सुझाव भी लिए जा रहे हैं ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सके। इस तरह की अचानक आई समस्या का निवारण कठिन होता है परन्तु सावधानी बरतने से ऐसी दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है|
आग का प्रभाव आसपास की अन्य प्रयोगशालाओं एवं कक्षों पर भी पड़ा है। आग जल्द ही फ़ैल गई थी एवं रसायनों का जहरीला धुँआ उठने लगा था। तुरंत ही स्थानीय प्रशासन को बुलाया गया। आग जटिल थी एवं विशेषज्ञों की आवश्यकता भी थी। CEERI से भी एक दल रवाना हुआ जिसने प्रशंसनीय सहायता प्रदान की। बिट्स के रसायनशास्त्री भी एकत्रित हुए एवं घटनाक्रम का जायज़ा लिया। अग्नि रोकथाम के प्रयास चलते रहे जो अगले दिन तक चले। 10 अक्तूबर की सुबह तक आग पर काबू पाया जा सका। गौरतलब है कि कोई भी चोटिल नहीं हुआ एवं इमारत समय पर ही खाली कर ली गई थी। श्री चम्पक बरन ने बताया कि दिल्ली से संरचना विशेषज्ञ भी बुलाए गए हैं जो पुनर्निर्माण का कार्य संभाल रहे हैं। अंदाजे के अनुसार तो ओएसिस के बाद प्रयोगशाला सुचारु रूप से चालित हो जाएँगी। चूँकि इस तरह की घटना पहली बार हुई है, संस्थान के लिए यह एक सबक के समान है। संस्थान से जुड़े सभी व्यक्तियों से सुझाव भी लिए जा रहे हैं ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोका जा सके। इस तरह की अचानक आई समस्या का निवारण कठिन होता है परन्तु सावधानी बरतने से ऐसी दुर्घटनाओं से बचा जा सकता है|