छात्रसंघ महासचिव - रिजुल दत्ता
बिट्स पिलानी के महासचिव रिजुल दत्ता से हुए साक्षात्कार के जरिए हिंदी प्रेस क्लब ने अपोजी की तैयारियों का एक लेखा-जोखा लिया| अपोजी के एक महीने पहले अर्थात मार्च के बजाय फरवरी में होने के कारण उन्होंने माना कि अपोजी के लिए तैयारी पहले से शुरू करनी पड़ी| परन्तु वे अब तक की तैयारियों से संतुष्ट हैं| एक महीने पहले होने के कारण काम का भार थोड़ा बढ़ा है परन्तु फिर भी सभी क्लब और डिपार्टमेंट के सहयोग से निर्धारित समय में काम अपने पूरी गति से चल रहा है| इस अपोजी के नए आकर्षण में NDRF और CSIR-CEERI के प्रदर्शेनी, लिटरेचर फेस्ट, प्रोफ-शो जैसे सरीखे इवेंट्स हैं| कार्ड-बाइक और डायरेक्टर्स कॉन्क्लेव भी इस अपोजी की शोभा को बढ़ाएँगे| डायरेक्टर्स कॉन्क्लेव के बारे में उन्होंने बताया कि इस अपोजी बिट्स के सभी डायरेक्टर्स बिट्स सम्बंधित कई महत्त्वपूर्ण विषयों पर चर्चा करेंगे| इस चर्चा में बिट्स पिलानी का कोई भी विद्यार्थी अपना प्रश्न पूछ सकता है जिसका जवाब सीधा बिट्स के डायरेक्टर्स देंगे| यह कॉन्क्लेव अपने आप में एक नायब पहल है| अपोजी को 3 दिन तक सीमित करने और रात भर चलने के पीछे का कारण उन्होंने बताया कि पहले अपोजी में इवेंट्स के बीच की अवधी में छात्र बोर हो जाते थे लेकिन इस बार अपोजी के ओएसिस की तरह रात भर होने के कारण लगातार कोई न कोई आयोजन होता रहेगा| इवेंट्स की संख्या में कोई बदलाव करने की कोशिश नहीं की है फिर भी कुछ इवेंट्स जो ज्यादा दर्शक को आकर्षित नहीं कर पाते उन्हें अपोजी में जगह नहीं दी है| अपोजी के लिए प्रायोजक भी अपनी रुचि दिखा रहे हैं और इस अपोजी के लिए भी वे निर्धारित स्पॉन्सरशिप के करीब पहुँच गए हैं| अपोजी के पहले होने के कारण प्रायोजकों को लेकर थोड़ी परेशानी का सामना जरुर करना पड़ा लेकिन उसे भी अब सुलझा लिया गया है|
गत वर्ष उनकी टीम ने अपोजी को टेक्निकल फेस्ट के तौर पर देखने वाली जनता से अपोजी के दौरान प्रोफ-शो करने को लेकर सुझाव माँगे थे और एक सर्वे करवाया था जिसमें उनसे पूछा था कि अपोजी के दौरान प्रोफ-शो करना चाहिए या नहीं| इस सर्वे में अधिकतर जनता ने हाँ में जवाब दिया था| इसलिए उन्हें पूरी उम्मीद है कि इस फेस्ट में प्रतियोगियों की संख्या में अच्छी बढ़ोतरी होगी| अभी तक के पंजीकरण से भी वे बहुत खुश हैं और उन्हें 800 से 900 प्रतिभागियों के आने की सम्भावना है| अपोजी के लिए बिट्स में प्रचार-प्रसार को लेकर वे थोड़ा चिंतित हैं| ओएसिस से पहले कई सांस्कृतिक कार्यक्रम होने के कारण उन कार्यक्रम में ओएसिस के इवेंट्स का प्रचार-प्रसार हो गया था| लेकिन इस सेमेस्टर अभी तक इतने कार्यक्रम, जहाँ अधिक संख्या में छात्र एकत्रित हुए हैं, नहीं हुए| इस लिए प्रसार में थोड़ा फर्क पड़ा है| लेकिन वे फाउंडर्स-डे, मामा-नाईट आदि कार्यक्रम में वीडियो चलाकर प्रचार की कोशिश करेंगे| अपोजी के प्रचार के लिए उन्होंने द्वितीय और तृतीय वर्षीय छात्रों का महत्त्वपूर्ण योगदान माना हैं क्योंकि उनके अनुसार सभी प्रथम वर्षीय अपने सीनियर्स से ही फेस्ट के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं और अगर वे सभी सीनियर्स अपोजी के बारे में सकारात्मक जानकारी देंगे तो अधिक संख्या में प्रथम वर्षीय अपोजी में भाग लेंगे| उन्होंने कहा कि अपोजी को केवल पेपर-प्रोजेक्ट-प्रेजेंटेशन की दृष्टि से ही नहीं देखा जाए बल्कि इनोवेट-एंटरटेन-एक्स्प्लोर के नाम से जाना जाए|
गत वर्ष उनकी टीम ने अपोजी को टेक्निकल फेस्ट के तौर पर देखने वाली जनता से अपोजी के दौरान प्रोफ-शो करने को लेकर सुझाव माँगे थे और एक सर्वे करवाया था जिसमें उनसे पूछा था कि अपोजी के दौरान प्रोफ-शो करना चाहिए या नहीं| इस सर्वे में अधिकतर जनता ने हाँ में जवाब दिया था| इसलिए उन्हें पूरी उम्मीद है कि इस फेस्ट में प्रतियोगियों की संख्या में अच्छी बढ़ोतरी होगी| अभी तक के पंजीकरण से भी वे बहुत खुश हैं और उन्हें 800 से 900 प्रतिभागियों के आने की सम्भावना है| अपोजी के लिए बिट्स में प्रचार-प्रसार को लेकर वे थोड़ा चिंतित हैं| ओएसिस से पहले कई सांस्कृतिक कार्यक्रम होने के कारण उन कार्यक्रम में ओएसिस के इवेंट्स का प्रचार-प्रसार हो गया था| लेकिन इस सेमेस्टर अभी तक इतने कार्यक्रम, जहाँ अधिक संख्या में छात्र एकत्रित हुए हैं, नहीं हुए| इस लिए प्रसार में थोड़ा फर्क पड़ा है| लेकिन वे फाउंडर्स-डे, मामा-नाईट आदि कार्यक्रम में वीडियो चलाकर प्रचार की कोशिश करेंगे| अपोजी के प्रचार के लिए उन्होंने द्वितीय और तृतीय वर्षीय छात्रों का महत्त्वपूर्ण योगदान माना हैं क्योंकि उनके अनुसार सभी प्रथम वर्षीय अपने सीनियर्स से ही फेस्ट के बारे में जानकारी प्राप्त करते हैं और अगर वे सभी सीनियर्स अपोजी के बारे में सकारात्मक जानकारी देंगे तो अधिक संख्या में प्रथम वर्षीय अपोजी में भाग लेंगे| उन्होंने कहा कि अपोजी को केवल पेपर-प्रोजेक्ट-प्रेजेंटेशन की दृष्टि से ही नहीं देखा जाए बल्कि इनोवेट-एंटरटेन-एक्स्प्लोर के नाम से जाना जाए|