कैंडल लाईट मार्च: एक पहल
हमारी राष्ट्रीय राजधानी में पिछले दिनों बस में एक महिला के साथ जो दुष्कर्म हुआ उससे पूरा राष्ट्र शर्मशार हो गया| इस घटना से कई लोग जागे भी, सड़कों पर भी निकले, इण्डिया गेट पर अपना काम-काज छोड़कर जमा भी हो गए पर समय के साथ-साथ उनमें से अधिकतर पुनः सो गए| यह कोई नई बात नहीं है| हमको झकझोर कर रख देने वाली कई घटनाएँ समाज में घटती रहती हैं, हम उस पर कई बार नाराज भी होते हैं| गुस्सा जब ज्यादा बढ़ जाता है तब दो-चार लोगों से अपनी बात कह देते हैं और ऐसा प्रतीत होता है कि मानो गुस्सा लोगों के बीच बंट गया हो| हम आक्रोश को विभाजित सा कर देते हैं और उसके बाद बिना किसी निष्कर्ष पर पहुंचे बगैर ही ऐसा मान बैठते हैं कि हमारा काम तो पूरा हो गया| बिना किसी विरोध के यह बात बिल्कुल सही है कि भावनाएँ हमें किसी रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करती हैं परन्तु सिर्फ भावनाओं से पीड़ितों को न्याय नहीं मिलता| सिर्फ भावानाओं में कुछ देर तक बहने के बाद हम अपनी जिम्मेदारी से मुंह नहीं मोड़ सकते| हमें अपने समाज को “लिंग-असमानता” के रोग से मुक्त करने के लिए भावानाओं को कार्य में बदलना होगा| हमें जीवन के हर मोड़ पर हमें ध्यान रखना होगा कि लड़के और लडकियॉं दोनों मिलकर इस पृथ्वी की सर्वाधिक प्रगतिशील एवं बुद्धिमान “मनुष्य प्रजाति” का निर्माण करते हैं और इसमें दोनों का ही समान योगदान है|
इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए निर्माण ‘लिंग उत्पीड़न’ का शिकार हुई पीड़ितों के न्याय और ‘महिला सुरक्षा’ को लेकर 19 सितम्बर को शाम 7 बजे जिम-जी से “कैंडिल लाइट मार्च” का आयोजन कर रहा है| अधिक जानकारी के लिए श्रीविघ्नेश(7737906483) से संपर्क कर सकते हैं|
इस उद्देश्य को ध्यान में रखते हुए निर्माण ‘लिंग उत्पीड़न’ का शिकार हुई पीड़ितों के न्याय और ‘महिला सुरक्षा’ को लेकर 19 सितम्बर को शाम 7 बजे जिम-जी से “कैंडिल लाइट मार्च” का आयोजन कर रहा है| अधिक जानकारी के लिए श्रीविघ्नेश(7737906483) से संपर्क कर सकते हैं|