ऑडी डिबेट
15 अगस्त शाम के 6 बज रहे थे, बिट्स पिलानी का ऑडिटोरियम खचाखच भरा हुआ था, छात्रों का समूह अभी भी भीतर आ रहा था, भीतर की रोशनी मध्यम कर दी गयी थी, मंच पर अध्यक्ष एवं महासचिव पद के सारे उम्मीद्वार अपने-अपने स्थान पर विराजमान थे, ठीक उनके सामने बैठे थे चुनाव आयोग के सदस्य जिनके पीछे थी छात्रों की भीड़, मौका था बहुप्रतिष्ठित ‘Audi-debate’ का जिसका हर किसी को इंतज़ार था।
सारी तैयारियों की जांच करने के बाद प्रवेश द्वार को बंद करने की घोषणा हुई और सारी बत्तियाँ बुझा दी गयीं। चुनाव आयोग के सदस्यों और अधिकारियों ने वहाँ मौज़ूद सभी उम्मीद्वारों और दर्शकों का ‘Audi-debate’ में स्वागत किया और समस्त जनों को चुनाव में गहन रुचि दिखाने के लिये धन्यवाद दिया जिसे वहाँ उपस्थित सभी लोगो ने सम्मिलित उद्घोष से स्वीकारा।
आयोग ने वाद-विवाद की शुरुआत महासचिव पद के उम्मीद्वार आशुतोष पाण्डेय से इस सभा का औचित्य पूछ कर की, जिसका वान्छित उत्तर ना पाकर, आयोग ने स्वयं बताया कि यह सभा सभी उम्मीद्वारों की तैयारी जांचने के लिए है। कई मुद्दों पर उनके विचार लेकर एवं उनके घोषणापत्र के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर अपने विचार प्रकट करके मतदाताओं को सर्वश्रेष्ठ प्रतिनिधि के चयन में सहायता करना उनका उद्देश्य है। शुरुआती प्रश्न उम्मीद्वारों की विभिन्न विषयों पर उनकी सोच जानने के लिए किए गए। जहाँ सागर से क्षेत्रवादिता पर उनके मत मांगे तो वहीं प्रणीत से चुनाव प्रचार की मौज़ूदा प्रक्रिया में सुधार के बारे में पूछा गया।
इसके पश्चात आयोग ने प्रत्येक घोषणा पत्र के विवादित वादों का मुद्दा उठाया। शुभम गुप्ता के मत-संग्रह को घोषणा पत्र बिंदु के रूप में आयोग गैर-ज़रूरी कहता रहा वहीं शुभम इसे ज्यादा से ज्यादा छात्रों की S.U. में भागीदारी के लिये आवश्यक बताते रहे। नमन मुनोत की ‘Sports Electives’ को पाठ्यक्रम में शामिल करने के बिंदु को आयोग ने पुराने असफल ‘Audit Course’ की तरह ही बताया जिसके लिए पर्याप्त फैकल्टी की कमी है।
सागर को अपनी चार योजनाओं के लिये एक ही व्यापारी से सम्पर्क करने के लिये लताड़ा, उन्हें अपनी ज़िम्मेदारियों का एहसास दिलाते हुए कहा गया कि उन्हें सबसे सरल रास्ता चुनने की जगह और शोध करना चाहिये था। सागर ने अपनी गलती स्वीकारते हुए माफ़ी भी माँगी।
S. U. को किसी भी बाहरी व्यवसायिक संस्थान के सहयोग में ना काम करने के नियम का हवाला देते हुए आयोग ने प्रणीत से मोटर ड्राइविंग स्कूल चलाने और आशुतोष पाण्डेय से प्रतियोगी परिक्षाओं के लिए कोचिंग संस्थाओं को पिलानी लाने की उन योजनाओं पर सवाल उठाये।
आयोग द्वारा पहले से चल रही कुछ योजनाओं को भी अपने घोषणापत्र में शामिल करने का आरोप लगाया गया जिसके अंतर्गत सागर की सौर उर्जा प्रदान करने की योजना, प्रणीत की आपातकालीन फंड की योजना, नमन की अल्युम्नाई मीट की योजना शामिल हैं।
कैम्पस में अभी कार्यरत धोबी प्रणाली को प्राईवेट फर्म द्वारा चालित लांड्री प्रणाली से बदलने वाले बिंदुओं पर भी ज़ोरदार चर्चा हुई। सागर को जहाँ विश्वविद्यालय द्वारा लीज़ पर जमीन ना मिलने पर उनकी योजना को सफ़ल बनाने के लिये अब उठाए जाने वाले कदम पूछे तो वहीं प्रणीत से धोबियों की जीविका छीने जाने पर सवाल किया।
विभिन्न उम्मीद्वारों द्वारा कराये गये सर्वेक्षणों के सत्य होने का प्रमाण मांगने पर जहाँ बाकी उम्मीद्वार उत्तर देने से कतराते रहे वहीं आशुतोष मुंधडा ने सर्वेक्षणों की सत्यता की पूरी जिम्मेदारी ली।
3 घण्टे चले इस वाद-विवाद के दौर में कभी उम्मीद्वारों नें सवालों से बचने की कोशिश की तो कभी अपनी योजनाओं का डटकर बचाव किया, कभी अपनी गलती स्वीकारी तो कभी आयोग पर ही पलटवार किया।
सारी तैयारियों की जांच करने के बाद प्रवेश द्वार को बंद करने की घोषणा हुई और सारी बत्तियाँ बुझा दी गयीं। चुनाव आयोग के सदस्यों और अधिकारियों ने वहाँ मौज़ूद सभी उम्मीद्वारों और दर्शकों का ‘Audi-debate’ में स्वागत किया और समस्त जनों को चुनाव में गहन रुचि दिखाने के लिये धन्यवाद दिया जिसे वहाँ उपस्थित सभी लोगो ने सम्मिलित उद्घोष से स्वीकारा।
आयोग ने वाद-विवाद की शुरुआत महासचिव पद के उम्मीद्वार आशुतोष पाण्डेय से इस सभा का औचित्य पूछ कर की, जिसका वान्छित उत्तर ना पाकर, आयोग ने स्वयं बताया कि यह सभा सभी उम्मीद्वारों की तैयारी जांचने के लिए है। कई मुद्दों पर उनके विचार लेकर एवं उनके घोषणापत्र के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर अपने विचार प्रकट करके मतदाताओं को सर्वश्रेष्ठ प्रतिनिधि के चयन में सहायता करना उनका उद्देश्य है। शुरुआती प्रश्न उम्मीद्वारों की विभिन्न विषयों पर उनकी सोच जानने के लिए किए गए। जहाँ सागर से क्षेत्रवादिता पर उनके मत मांगे तो वहीं प्रणीत से चुनाव प्रचार की मौज़ूदा प्रक्रिया में सुधार के बारे में पूछा गया।
इसके पश्चात आयोग ने प्रत्येक घोषणा पत्र के विवादित वादों का मुद्दा उठाया। शुभम गुप्ता के मत-संग्रह को घोषणा पत्र बिंदु के रूप में आयोग गैर-ज़रूरी कहता रहा वहीं शुभम इसे ज्यादा से ज्यादा छात्रों की S.U. में भागीदारी के लिये आवश्यक बताते रहे। नमन मुनोत की ‘Sports Electives’ को पाठ्यक्रम में शामिल करने के बिंदु को आयोग ने पुराने असफल ‘Audit Course’ की तरह ही बताया जिसके लिए पर्याप्त फैकल्टी की कमी है।
सागर को अपनी चार योजनाओं के लिये एक ही व्यापारी से सम्पर्क करने के लिये लताड़ा, उन्हें अपनी ज़िम्मेदारियों का एहसास दिलाते हुए कहा गया कि उन्हें सबसे सरल रास्ता चुनने की जगह और शोध करना चाहिये था। सागर ने अपनी गलती स्वीकारते हुए माफ़ी भी माँगी।
S. U. को किसी भी बाहरी व्यवसायिक संस्थान के सहयोग में ना काम करने के नियम का हवाला देते हुए आयोग ने प्रणीत से मोटर ड्राइविंग स्कूल चलाने और आशुतोष पाण्डेय से प्रतियोगी परिक्षाओं के लिए कोचिंग संस्थाओं को पिलानी लाने की उन योजनाओं पर सवाल उठाये।
आयोग द्वारा पहले से चल रही कुछ योजनाओं को भी अपने घोषणापत्र में शामिल करने का आरोप लगाया गया जिसके अंतर्गत सागर की सौर उर्जा प्रदान करने की योजना, प्रणीत की आपातकालीन फंड की योजना, नमन की अल्युम्नाई मीट की योजना शामिल हैं।
कैम्पस में अभी कार्यरत धोबी प्रणाली को प्राईवेट फर्म द्वारा चालित लांड्री प्रणाली से बदलने वाले बिंदुओं पर भी ज़ोरदार चर्चा हुई। सागर को जहाँ विश्वविद्यालय द्वारा लीज़ पर जमीन ना मिलने पर उनकी योजना को सफ़ल बनाने के लिये अब उठाए जाने वाले कदम पूछे तो वहीं प्रणीत से धोबियों की जीविका छीने जाने पर सवाल किया।
विभिन्न उम्मीद्वारों द्वारा कराये गये सर्वेक्षणों के सत्य होने का प्रमाण मांगने पर जहाँ बाकी उम्मीद्वार उत्तर देने से कतराते रहे वहीं आशुतोष मुंधडा ने सर्वेक्षणों की सत्यता की पूरी जिम्मेदारी ली।
3 घण्टे चले इस वाद-विवाद के दौर में कभी उम्मीद्वारों नें सवालों से बचने की कोशिश की तो कभी अपनी योजनाओं का डटकर बचाव किया, कभी अपनी गलती स्वीकारी तो कभी आयोग पर ही पलटवार किया।